कोरोना के बाद से ठप पड़ा है कैटनिरंग कारोबार, बंदिशें खत्म होने का इंतजार
-पार्टी में 100 लोगों से ज्यादा की परमीशन नहीं होने से 4 गुना तक बढ़ गई है प्लेट की कॉस्ट, रेट पूछकर ही लौट रहे लोग
-घर का खर्च चलाने के लिए कैटरिंग बिजनेस से जुड़े सैकड़ों लोगों ने पकड़ा दूसरा काम, नई गाइडलाइन का कर रहे हैं इंतजारKANPUR: कोरोना की मार से कई इंडस्ट्रीज इतनी बुरी तरह घायल हो चुकी हैं कि उनका खड़ा हो पाना मुश्किल हो रहा है। यही हाल कैटरिंग बिजनेस का है। कोरोना काल के पहले तक जहां सिटी में केटरिंग का बिजनेस बूम पर था, खूब फलफूल रहा था। लेकिन, अब ये बेहद घाटे का सौदा साबित हो रहा है। कैटरिंग के काम से जुड़े हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। कई लोगों ने ये काम छोड़कर खाने-खर्चे के लिए दूसरा काम शुरू कर दिया है। ऐसा नहीं है कि कैटरर्स के पास बुकिंग के लिए लोग नहीं आ रहे हैं, लेकिन रेट सुनते ही बुकिंग करने से लोग इंकार कर चले जा रहे हैं। कैटरर्स का कहना है कि शादी व पार्टी में जब तक लोगों की संख्या नहीं बढ़ेगी तब तक बजट कवर नहीं होगा।
4 गुना तक बढ़ गए रेटसिटी में 100 से ज्यादा बड़े कैटरर्स हैं, छोटे कैटरर्स को मिलाकर इनकी संख्या 300 के पार हो जाएगी। दि अरेंजर्स इवेंट्स एंड कैटरर्स के सत्यम अग्रवाल के मुताबिक कैटरिंग के लिए लोग बिल्कुल भी नहीं आ रहे हैं। हमसे काम करवाने के बदले लोग हलवाई प्रेफर कर रहे हैं। क्योंकि गवर्नमेंट की गाइडलाइन के मुताबिक 100 से ज्यादा लोग पार्टी में अलाऊ नहीं हैं। ऐसे में कैटरिंग की प्लेट जहां 500 लोगों में 500 से 700 रुपए तक पड़ती थी, वहीं अब दो से ढाई हजार रुपए पड़ रही है। क्योंकि खाना 100 लोगों के लिए बने या 500 के लिए, बनाने में खर्च उतना ही बैठता है।
-------------- 40 परसेंट भी बिजनेस नहीं त्रिपाठी टेंट एंड केटरर्स के ओनर सूर्य प्रताप त्रिपाठी के मुताबिक सरकार को कोविड प्रोटोकॉल के तहत पार्टी अन्य कार्यक्रमों में लोगों की संख्या में इजाफा करना चाहिए। तभी केटरिंग बिजनेस में बूम आएगा, ऐसे तो हम सभी बेहद परेशान हैं। 6 महीने से काम के नाम पर कुछ भी नहीं किया। जमा पूंजी से ही घर का खर्च चल रहा है। केटरर्स अजय सरावगी के मुताबिक, पूरे साल की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले 40 परसेंट भी बिजनेस नहीं है। ------------- बिजनेस छोड़ कर रहे जॉबश्याम नगर निवासी अवनीश सैनी ने बीते 2 साल पहले ही कैटटरिंग का बिजनेस शुरू किया था। पार्टियां भी मिलने लगी थीं, लेकिन लॉकडाउन के बाद से हालात बेहद खराब हैं। ईयर-2020 के शुरुआत में कुछ पार्टियां मिलीं लेकिन कोरोना के चलते पिछले 6 महीने से पूरी तरह बेकार हैं। जो जमा पूंजी थी वो भी खर्च हो गई। अब उम्मीद न नजर आते देख काम से ब्रेक लेकर एक रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम जॉब कर रहे हैं।
------------- वर्जन कोविड के दौरान बिजनेस बेहद बुरे दौर में हैं। पार्टी मिलना बेहद कम हैं, जो मिल भी रही हैं, उनमें खर्चे निकालना भी बेहद मुश्किल है। बस किसी तरह काम चल रहा है। -रोहित गुप्ता, ओनर, दी लेमन ट्री केटरर्स। ----- सब कुछ नॉर्मल है तो सरकार को भी पार्टी में लोगों की संख्या बढ़ाने चाहिए। पार्टी में लोगों के आने से ही हम लोगों के खर्चे निकल पाएंगे, वरना ये साल हम बर्बाद हो जाएंगे। -सूर्य प्रताप त्रिपाठी, ओनर, त्रिपाठी केटरर्स। -----