कसीनो या वेश्यावृत्ति का अड्डा!
मेरे साथ कुछ ऐसा ही मंगलवार की रात हुआ। हुआ यूँ कि मैं कोलंबो की चर्चित गॉल रोड पर रात को पैदल ही सैर-सपाटे के लिए निकला था। रास्ते भर में कुछ लुभावने कसीनो दिखे।
मन में जिज्ञासा जगी कि अंदर क्या हो रहा होगा? क्या कोलंबो के कसीनो भी गोवा की तरह के होंगे? देर किस बात की थी, दे डाली दस्तक बालीज़ नामक एक बड़े से कसीनो में। लेकिन अंदर जो देखा और सुना उसने तो मेरे होश ही उड़ा कर रख दिए।अंदर जुए की लगभग पंद्रह टेबलों में से करीब सात के इर्द गिर्द खूबसूरत सी कुछ महिलाएं खड़ी थीं जो मेहमानों का स्वागत कर रही थीं। लेकिन वहां कुछ और भी था।जैसे ही इनमे से एक-दो को ये आभास हो चलता था कि आप विदेशी हैं और अपनी वेशभूषा से पर्यटक से लगते हैं, वैसे ही ये आपके पास आकर फुसफुसा कर कहेंगी, "क्या आपको कुछ और भी सेवाएँ चाहिए."
सेक्सकर्मियों में विविधतामैं भी ठहरा ढीठ, सोचा देखूं तो क्या ऑफर है, झट हाँ कर दी। देर किस बात की थी, एक व्यक्ति मुझे रास्ता दिखाते हुए कसीनो की पार्किंग पर ले गया।यहीं से मेरे पसीने बहने ऐसे शुरू हुए कि पूछिए मत। कार पार्किंग में एक ऑटो यानी टुकटुक में एक अधेड़ सी महिला सिगरेट के कश उड़ा रही थी। मुझसे सीधे बोली,"भारत से हो न, तब तो विदेशी की तलाश में आए होगे?." इससे पहले की ज़ुबान से कुछ निकल भी पाता, मैंने पीछे मुड़ कर देखा और चार महिलाएं मेरे पीछे आकर खड़ी हो कर मुस्कुराने लगीं।
इतना समझ में तुरंत आ गया कि इनमें से दो किन्हीं मध्य यूरोपीय देशों की रहने वालीं है और एक तीसरी चीन की लग रही थी। चौथी की राष्ट्रीयता के बारे में घंटों कयास लगाने के बाद भी मैं जान पाने में विफल रहा हूँ। टुकटुक में सवार महिला ने मेरे हाव-भाव देख कर तपाक से कहा, " बस 70 डॉलर देने होंगे, जल्दी से बताओ किसे लेकर जाओगे."सब मेरी तरफ ऐसे निहार रहे थे जैसे मैं आज उनका तारणहार ही बन जाऊँगा। और मेरे पैरों से जैसे ज़मीन खिसक रही थी, कि करें तो क्या करें, यहाँ से निकलें तो कैसे निकलें। बड़ी हिम्मत जुटा कर मैंने कहा, अरे मेरे पास तो पैसे ही नहीं हैं, पैसे मेरे बैग में हैं जो रिसेप्शन पर रखवा लिया गया है।ये कहते ही मैंने मुड़ कर रिसेप्शन की तरफ चलना शुरू कर दिया और पीछे से मुझे उनमें से दो के खिलखिलाने की आवाज़ें भी सुनाई पड़ीं। लेकिन फिर से उनसे घिर जाने की हिम्मत किसके पास थी जनाब!