पुलिस के कहर से बचने के लिए लगवाए कैमरे
कानपुर (ब्यूरो) ये वही बिकरू गांव है जहां दो साल पहले तक पुलिस दहशत में रहती थी। दहशत तो छोडि़ए साहब गांव की इस गली में पैर रखने से पहले कई बार सोचना पड़ता था। कोई ऊंच-नीच हो जाए तो जनेऊ के साथ गंगाजल लेकर पुलिसकर्मी कसम तक खाते थे, जिसके बाद अगर दुर्दांत दुबे का दिल पसीज गया तो उसे अभयदान दे दिया जाता था। गांव आने से पहले पुलिसकर्मी विकास से बात करने के बाद ही गांव में आते थे। आज के हालात कुछ ऐसे हैैं कि जब मन होता है तो पुलिसकर्मी किसी के भी घर का दरवाजा खटखटाते हैैं और दरवाजा खुलवाकर भीतर चले जाते हैैं। पुलिस कर्मी मनमानी करते हैैं लेकिन पीडि़त गांव वालों की सुनने वाला कोई नहीं है। इन घरों के पुरुष या तो जेल में हैैं या गांव छोड़ चुके हैैं। अपनी सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने अपने घरों में कैमरे लगवा लिए हैैं।
पुलिसकर्मियों में कैमरों का डर
इन्हीं में से एक घर की युवती ने बताया कि वे घर के दरवाजे हमेशा बंद रखते हैैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम लगभाग 1:30 बजे के आस पास बिकरू पहुंची, जहां एक घर में मौजूद युवती ने बताया कि कुछ देर पहले ही पुलिस आई थी। काफी देर दरवाजा खटखटाती रही। खोलने के लिए भी कहा, लेकिन हम लोगों ने जवाब नहीं दिया। पुलिसकर्मी गाली गलौज करते हुए चले गए। वहीं एक दूसरे घर की महिला ने बताया कि दो साल पहले गांव की सड़कें साफ रहती थीं। अब गांव में गंदगी बहुत रहती है। प्रधान तीन किलोमीटर दूर स्थित डिब्बा निवादा गांव के हैैं। स्वीपर से सफाई को कहने पर कहा जाता है कि प्रधान ने मना किया है जबकि प्रधान से कहने पर वे जवाब देते हैैं कि उन्होंने मना नहीं किया। ऐसे हालात में गांव में गंदगी फैली हुई हैैं।
गांव के डेवलपमेंट की कोई योजना नहीं
वृद्ध राजाराम ने बताया कि दो साल पहले तक गांव का विकास हुआ था। शिवली से बिकरू और डिब्बा निवादा समेत 20 गांव जाने के लिए पांडु नदी पार करनी होती थी, जिसमें शाम छह बजे तक नाव चलती थी। शाम छह बजे के बाद नाव न होने पर पैदल पार करना पड़ता था, डूबने का डर रहता था। विकास दुबे यानी दुर्दांत दुबे ने 12 साल पहले ही इन पांडु नदी पर पुल बनवाया था, जिस पर केवल बाइक से निकलने का रास्ता बना है। डिब्बा निवादा निवासी ग्रामीण ने बताया कि अगर विकास जिंदा रहता तो अब तक इस पुल को पार करने के लिए कार का रास्ता भी बन जाता। हालांकि एक बात और सामने आई है कि 2 जुलाई की रात वारदात के बाद पूरे गांव में पुलिस फैली थी। गांव से निकलने का रास्ता नहीं था। विकास दुबे बाइक से इसी पुल को पार कर शिवली पहुंचा था।