अगर आपके खाने की थाली से दूध दही और मछली जैसी चीज़े ग़ायब हैं तो आप प्राइमेरी हाइपरपैराथाइरॉयडिज़्म पीएचपीटी जैसी बीमारी का शिकार हो सकते हैं.

एक अध्ययन में पता चला है कि भोजन में कैल्शियम की कमी से महिलाओं में हॉरमोन की समस्या हो सकती है। इससे थाइरॉयड से लेकर हड्डियों का कमज़ोर होना और किडनी में पत्थर होना शामिल है।

अध्ययन के अनुसार आठ सौ लोगों में से एक पीएचपीटी के शिकार हो सकते हैं और पोस्ट-मेनोपॉजॉल या रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में ये बीमारी सबसे आम है।

कैल्शियम है ज़रूरीकैल्शियम मज़बूत हड्डियाँ और दाँत बनाने में मदद करता हैकैल्शियम होने से खून में क्लॉटिंग सामान्य तरीके से होती हैदूध और डेयरी पदार्थ कैल्शियम का बेहतरीन ज़रीया हैंमछली, फल, बादाम, सब्ज़ियों में भी कैल्शियम होता हैविटामिन डी भी ज़रूरी है क्योंकि इसकी मदद से कैल्शियम हड्डियों में अच्छे से रच पाता है.

ब्रिटिश मेडिकल पत्रिका में छपे एक लेख में शोधकर्ताओं ने कहा है कि कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने से इन बीमारियों के ख़तरे से बचा जा सकता है।

वयस्कों को हर रोज़ 700 मिलीग्राम कैल्शियम लेने की सलाह दी गई है। लेकिन ज़्यादा कैल्शियम लेने से पेट दर्द और हैज़ा हो सकता है। पीएचपीटी की बीमारी उस स्थिति में होती है जब पैराथाइरॉयड ग्लैंड ज़्यादा मात्रा में पैराथाइरॉयड हॉरमोन छोड़ते हैं। हड्डी और किडनी के अलावा इससे हाई बल्ड प्रेशर और दिल की बीमारी होने का ख़तरा बना रहता है।

फ़ायदे और नुक़सानअमरीका में नर्सेज़ हेल्थ स्टडी के तहत 58 हज़ार तीन सौ महिलाओं से बातचीत और उनकी जांच के नतीज़ों का अध्ययन किया गया। 1986 में जब ये अध्ययन शुरु किया गया था तो इन महिलाओं की उम्र 39 से 66 साल के बीच थी और इनमें से किसी को भी पीएचपीटी की बीमारी का कोई इतिहास नहीं था।

उन महिलाओं से हर चार साल पर ये पूछा जाने लगा कि वे क्या खाती हैं और उनमें कैल्शियम की मात्रा कितनी होती है। इसी तरह से करते हुए उन महिलाओं से आख़िरी बार 2008 में वही प्रश्न पूछे गए।

22 वर्षों के बाद 2008 में 277 महिलाओं में पीएचपीटी की पुष्टि की गई। अध्ययन में सामने आया है कि जिन महिलाओं के खाने में कैल्शियम की मात्रा सबसे ज़्यादा थी, उनमें सबसे कम कैल्शियम लेने वाली बाक़ी महिलाओं के मुक़ाबले पीएचपीटी होने की आशंका 44 फ़ीसदी कम हो जाती है।

ब्रिटिश पत्रिका में शोध लिखने वाली टीम की प्रमुख डॉक्टर जूली पाइक का कहना है, "महिलाएं अगर अपने भोजन में सीधे कैल्शियम लेती रहें तो पीएचपीटी के ख़तरे को कम किया जा सकता है."

फ़्लोरिडा स्थित नॉर्मन पैराथाइरॉइड के जेम्स नॉर्मन का कहना है कि अगर रोज़ाना कैल्शियम का डोज़ लिया जाए तो इसके ख़तरे कम और फ़ायदे ज़्यादा हैं। लेकिन ब्रिटेन में विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम अपने रोज़ाना के भोजन से ही लेना चाहिए।

Posted By: Inextlive