आपने आज तक तबले को केवल म्यूजिक प्रोग्राम्स में सुना होगा. लेकिन तबले से केवल ट्रेडिशनल म्यूजिक ही नहीं बल्कि कई ऐसी आवाज निकल सकती हैं जिनको आप अक्सर सुनते रहते हैं.

कानपुर (ब्यूरो)। आपने आज तक तबले को केवल म्यूजिक प्रोग्राम्स में सुना होगा। लेकिन तबले से केवल ट्रेडिशनल म्यूजिक ही नहीं बल्कि कई ऐसी आवाज निकल सकती हैं, जिनको आप अक्सर सुनते रहते हैं। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के म्यूजिक डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। शुभम वर्मा अपने हाथों की कमाल से तबले की थाप पर ट्रेन के चलने, कबूतर की गुफ्तगू, पंख फडफ़ड़ाने, पक्षियों के उडऩे और घोड़े के टॉप समेत 50 तरह के अलग-अलग साउंड निकालते हैं।

तबले की थाप कहती है हर बात
31 साल की उम्र में शुभम का म्यूजिक पर इतना कमांड है कि वह तबला बोल में भी परफेक्ट हैं। शुभम बताते हैं कि वह क्लास 5 में अक्सर टेबल को बजाया करते थे, जिसको देखकर उनके गार्जियन ने क्लास 8 में उनको तबला सीखने की ट्रेनिंग दिलाई और आज वह तबले से अपने हाथों के अनुसार किसी भी तरह का साउंड निकालने में माहिर हैं। इनके पहले गुरु अवनीश सिंह और दूसरे हरीश झा हैैं।

शुभम का बैैंड कर चुका है 500 प्रोग्राम
डॉ। शुभम अपना एक म्यूजिकल ग्रुप (बैैंड)चलाते हैैं। इस ग्रुप में 10 लोग हैैं। यह लोग अभी तक लगभग 500 प्रोग्राम्स में जाकर महफिल जमा चुके हैैं। इन्होंने मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, इंदौर, भोपाल और गोरखपुर समेत कई स्थानों में प्रोग्राम किए हैैं। बैैंड में शुभम की सिंगिंग के सभी कायल हैैं।

पिता और मां भी है म्यूजिक में माहिर
शुभम के पिता प्रो। संजय स्वर्णकार करीब छह महीने पहले सीएसजेएमयू के इंग्लिश डिपार्टमेंट से रिटायर हुए हैैं। अंग्रेजी विषय के टीचर होने के बाद भी इनकी भजन संध्या सुनने के लिए लोग बेकरार रहते हैैं। यह डीन एकेडमिक्स, रजिस्ट्रार, डीएसडब्ल्यू और चीफ प्राक्टर समेत कई पोस्ट पर रह चुके हैैं। शुभम की मां रागिनी स्वर्णकार सीएसजेएमयू के म्यूजिक डिपार्टमेंट में सितार की असिस्टेंट प्रोफेसर हैैं। अपने माता-पिता की छाया पूरी तौर पर शुभम में दिखाई देती है।

फर्रुखाबाद घराने की वादन शैली पर की है रिसर्च
डॉ। शुभम ने सीएसजेएमयू से &फर्रुखाबाद घराने की वादन शैली के विकास में प्रतिष्ठित कलाकारों के योगदान: एक ऐतिहासिक अध्ययन&य विषय पर पीएचडी की है। इनकी गाइड प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव रही हैं। इसके अलावा यह 2013 में एमए इन तबला कोर्स से सीएसजेएमयू के टॉपर रहे हैैं। इनको वाइस चांसलर और वीसी गोल्ड के साथ एक सिल्वर और ब्रांज मेडल मिल चुका है। एमए करने के बाद शुभम ने चार बार नेट क्वालीफाई किया है, जिसमें दो बार म्यूजिक और दो बार परकशन इंस्ट्रूमेंट सब्जेक्ट शामिल हैैं।

50 से ज्यादा मिल चुके हैैं अवार्ड
अपनी कलाकारी के दम पर शुभम को अभी तक 50 से ज्यादा अवार्ड मिल चुके हैैं। अवार्ड में युवा संगीत रत्न अवार्ड, आल इंडिया रेडियो से हाइग्रेड आर्टिस्ट अवार्ड, सेंट्रल गवर्नमेंट के सीसीआरटी से स्कालरशिप समेत कई चीजें शामिल हैैं।

बंदिश से बोल बताने में हैैं माहिर
शुभम केवल तबले से तरह तरह के साउंड निकालने मेें ही नहीं बल्कि तबला बोल से बंदिश के जरिए किसी मैसेज को देने में भी सक्षम हैं। वह तबले की थाप पर तबला बोल के जरिए आपसे कोई भी बात बोल सकते हैैं।

Posted By: Inextlive