लंदन ओलंपिक में बैडमिंटन प्रतियोगिता में कांटे की टक्कर के बीच पदक जीतना स्पर्धा की सबसे बड़ी चुनौती होगी.

महिला डबल में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोन्नपा की जोड़ी लंदन में भारत की चुनौती होगी। बीबीसी के साथ बातचीत में अश्विनी ने कहा, “लंदन ओलंपिक में विश्व की 16 शीर्ष जोड़ियों ने क्वॉलिफाई किया है। सभी टीमें मजबूत हैं। सभी अच्छी फॉर्म के साथ ओलंपिक में आ रही हैं। यकीनन चीनी खिलाड़ियों की रैंकिंग अच्छी है और वे अपनी टॉप फॉर्म के साथ आ रहे हैं। लेकिन फिर भी उन्हें हराया जा सकता है.”

डबल्स को भारत में ज्यादा तरजीह नहीं दी जाती। इसके बावजूद भारत ने ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई किया है। भारत के लिए यह बहुत ही बड़ी उपलब्धि है।

स्पेशल ओलंपिक

अश्विनी ने कहा, “ओलंपिक मेरे लिए काफी स्पेशल है। क्योंकि किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना बड़ा सपना होता है। मैंने और ज्वाला ने डबल्स के लिए क्वॉलिफाई किया है। यह एक बड़ी बात हैं। मैं देश को मेडल जिताने के लिए हम अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। ”

गुट्टा और अश्वनी पिछले तीन साल से साथ खेल रही हैं। पहले एक दो टूर्नामेंटों में तालमेल बिठाने में थोड़ी दिक्कत हुई थी। लेकिन एक-दो महीने के बाद इन दोनों ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

गुट्टा अच्छी सांझेदार

अश्विनी ने बताया, “कोर्ट के अंदर और बाहर मेरा ज्वाला के साथ काफी अच्छा तालमेल है। कोर्ट पर मैं अगर कुछ गलती करती हूं या मेरी एकाग्रता भंग होती है तो ज्वाला मदद करती है। इसके अलावा मौका मिलने पर हम दोंनों डिनर या लंच व फिल्म के लिए भी जाते हैं। टूर्नामेंट खेलने से लिए साथ-साथ यात्रा के अलावा, एक साथ रहने का भी मौका मिलता है.”

अश्विनी ने कहा, “मेरा और ज्वाला का लक्ष्य एक सा रहा है, वह भी मेरी तरह राष्ट्रमंडल खेलों में मेडल जीतना चाहती थी। वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी हमने उम्दा प्रदर्शन करने का सोचा था। वहां भी हम सफल रहे। हमें क्वॉलिफाई करने का पूरा भरोसा था। अब लंदन के लिए भी हम एक जैसा ही सोच रहे हैं.”

2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में जोड़ी के रूप में पहली बार ज्वाला और अश्विनी ने कोई इंटरनेशनल मेडल जीता था। उस प्रदर्शन के बाद से दोनों में काफी आत्मविश्वास आया। अश्विनी ने बताया, “लंदन के लिए मेरी और ज्वाला की लंबे अर्से से ट्रेनिंग चल रही है। इसके अलावा हम दोनों पुलेला गोपीचंद की अकेडमी में कैंप का भी हिस्सा था। पुणे में कैंप के दौरान कोच एडविन की निगरानी में हमारी तैयारी हुई। जब हम हैदराबाद में होते थे तो कोच आरिफ हमें ट्रेनिंग देते थे.”

मजबूत आत्मविश्वासअश्विन ने बताया कि वह काफी मजबूत आत्मविश्वास के साथ लंदन जा रही हैं। एथेंस ओलंपिक में उन्होंने अपर्णा पोपट को खेलते देखा था। फिर बीजिंग में भी उन्होंने पूरे देश को बैडमिंटन के लिए उत्साही होते देखा। वह सब उनकी यादों का हिस्सा है।

तैयारियों के मद्देनजर खाने में देखभाल के बारे में पूछे जाने पर अश्विनी ने बताया, “इस बारे में मैं कुछ खास नहीं करती। मेरी मां जो बना कर दे देती हैं, मैं खा लेती हूं। लेकिन ऐसा भी हुआ है कि मैंने ज्यादा मिठाई खा ली और फिर मुझे अपने वजन को काबू में लाने के लिए मेहनत करनी पड़ी। ”

परिवार का योगदान

अश्विनी ने बताया कि उन्होंने 3 साल की उम्र में खेलना शुरु किया था और इस खेल के प्रति गंभीर बनाने में उनकी मां का ही योगदान है। अश्विनी ने कहा, “अंडर-16 का खिताब जीतना मेरे खेल जीवन की सबसे सुखद याद है। वह मेरा पहला राष्ट्रीय खिताब था.” अश्विनी ने कहा कि इस पूरी यात्रा में उनके पूरे परिवार का जबरदस्त योगदान रहा है।

Posted By: Inextlive