रिक्शे के झूले में पली दामिनी की अस्पताल से छुट्टी
कोई पंद्रह दिन पहले पहले दामिनी को बेहद नासाज़ हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.लेकिन लगभग एक पखवाड़े के उपचार के बाद दामिनी को जब जयपुर में अस्पताल से छुट्टी दी गई तो ऐसा माहौल था गोया कोई विवाह के बाद बेटी बाबुल से विदाई ले रही हो। जयुपर के फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर और दूसरे लोग भी विदा देते वक्त उसकी सलामती के लिए दुआ दे रहे थे।खास उपचार"मैं बहुत खुश हूँ! जब यहाँ दामिनी को बीमारी की हालत में लाये थे तब बहुत कम उम्मीद थी, मगर ये सब की दुआ और डॉक्टरो की दवा का असर है। दामिनी अब स्वस्थ है," ये कहते हुए दामिनी के पिता बबलू ने उसे सीने से लगा लिया।
दामिनी का इलाज कर रहे डॉ जयकिशन मित्तल ने कहा अब दामिनी ठीक है। उन्होंने कहा, "जब उसे यहाँ लाया गया था,उसका वजन महज 1400 ग्राम था। अब उसका वजन बढ़ कर 2140 ग्राम हो गया है, ये अच्छा संकेत है। मगर ये जरूरी है कि उसे आगे भी अच्छी खुराक और देखभाल मिले, नहीं तो उसके स्वास्थ्य को फिर दिक्कत हो सकती है."
दामिनी अब 52 दिन की हो गई है। वो जब भरतपुर में पैदा हुई तो कुछ समय बाद ही उसके सर से माँ का साया उठ गया। फिर पिता बबलू ने उसकी पूरी जिम्मेदारी संभाली। बबलू जब भी रिक्शा चलाने जाते, दामिनी उनके दामन से लिपटी रहती।रिक्शा चालक बबलू ने कपडे का एक झूला बनाया और अपने गले को पेड़ के डाल की मानिद किया और नन्हीं परी को उसमें सुला लिया। रिक्शा चलाते बबलू सवारी भी ढोते और साथ साथ दामिनी भी पिता के दामन से लिपटे रहती।लेकिन इन हालात में दामिनी बीमार पड़ गई और उसकी जान पर बन आई।मददलिहाज़ा बबलू उसे भरतपुर के अस्पताल ले गए। मगर दामिनी की हालत और बिगड़ गई। इस दौरान रिक्शे पर अपने पिता के संग गले में लिपटी दामिनी की तस्वीर दुनिया भर में पहुची तो मदद के लिए बहुतेरे हाथ आगे बढे और देखते देखते बबलू के खाते में कोई पन्द्रह लाख रूपये से ज्यादा जमा हो गये। राज्य सरकार को पता चला तो उसके इलाज की व्यवस्था की। दामिनी को पिछले 22 सितम्बर को भरतपुर से जयपुर लाया गया और एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उसके इलाज का खर्च सरकार उठा रही है। डॉ मित्तल कहते हैं, "वैसे तो डॉक्टर लिए हर बच्चा अहम होता है मगर जिस तरह दामिनी यहाँ आई, वो एक पैगाम भी लाई कि बेटी भी बेटे जैसे ही लाडली होती है, इसलिए हम उसके लिए ज्यादा दुआ करते है। हम भरोसा करते है दामिनी आगे जाकर बहुत ही अच्छा काम करेगी और मिसाल बनेगी."वहीं दामिनी के पिता बबलू कहते है वो उसकी पूरी देखभाल करेंगे। " बबलू कहते हैं, "मैं उसके लिए पिता तो हूँ ही मगर माँ का किरदार भी कर रहा हूँ, क्योंकि हमें ये संतान शादी के कोई पन्द्रह साल बाद नसीब हुई है। इसके साथ मेरी पत्नी की यादे भी जुडी है."