ऑटोनामी बचाने के लिए शुरू हुआ 'दांव-पेंच'
- मेडिकल कालेज में इंस्टीट्यूट बनने के साथ ही कार्डियोलॉजी और जेके कैंसर के शामिल होने पर एतराज
- सेंटर फॉर एक्सिलेंस का दर्जा रखने वाला हार्ट इंस्टीट्यूट नहीं खोना चाहता ऑटोनामी, शासन में लगाया जोर KANPUR: जीएसवीएम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस बनना अब तय हो गया है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज के अंडर आने वाले दो मेडिकल इंस्टीट्यूट अपनी ऑटोनामी बचाने में लग गए हैं। खास तौर से एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी की ओर से इस बाबत शासन स्तर पर भी जोर लगाया जा रहा है। जिससे उनकी ऑटोनामी बनी रहे। हालाकि शासन का रूख अलग से किसी इंस्टीट्यूट को ऑटोनामी देने का नहीं है। जेके कैंसर इंस्टीटयूट और एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी मेडिकल कालेज में ही दूसरे डिपार्टमेंट्स की तरह हो जाएंगे। ऐसे में यह भी जताने की कोशिश हो रही है कि दोनों संस्थान ऐसा होने पर चौपट हो जाएंगे। ऑटोनामी बचाने काे तिकड़मएलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में अभी दवा, असाध्य रोग और आउटसोर्सिग सर्विसेज के लिए करोड़ों का बजट मिलता है। जबकि वहां मरीजों को फ्री दवा देने के लिए एक भी दवा काउंटर नहीं हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के जीएसवीएम मेडिकल इंस्टीट्यूट के अधीन होने के बाद इसे अलग से कोई फंड नहीं मिलेगा। मेडिकल कॉलेज के दूसरे डिपार्टमेंट्स की तरह ही यहां वही व्यवस्था होगी। इसके अलावा डायरेक्टर का पद खत्म हो जाएगा। ऐसे में इस व्यवस्था को बचाने के लिए शासन स्तर से तिकड़म भिड़ाई जा रही है।
चार्जेस पर कमेटी करेगी फैसला मेडिकल कालेज के इंस्टीट्यूट बन जाने पर ट्रीटमेंट महंगा होने की भी अफवाह है। मालूम हो कि एसजीपीजीआई और आरएमएल जैसे मेडिकल संस्थानों में यूजर चार्जेस तय करने के लिए कमेटी होती है। जो उस एरिया के सोशल इकोनामिक स्टेटस को भी देखती है जहां वह संस्थान है। लखनऊ में एसजीपीजीआई और आरएमएल दोनों की जगहों पर यूजर चार्ज अलग हैं। ऐसे में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के इंस्टीटयूट बन जाने के बाद एसजीपीजीआई के जितना ही यूजर चार्ज बढ़ेगा यह कहना सही नहीं होगा। फ्री ट्रीटमेंट पर असर नहीं जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एक सीनियर प्रोफेसर ने बताया कि मेडिकल कालेज के इंस्टीट्यूट बनने से गरीब पेशेंट्स के फ्री ट्रीटमेंट में कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी। बल्कि उन्हें ज्यादा बेहतर इलाज मिलेगा साथ ही उनकी दूसरे शहरों की दौड़ भाग भी खत्म हो जाएगी। बीपीएल कार्डधारक हो या फिर आयुष्मान लाभार्थी उन्हें उसी तरह ट्रीटमेंट मिलेगा जैसे अभी तक मिलता आया है। ऑटोनामी जाने से क्या होगा -- जेके कैंसर और कॉर्डियोलॉजी में डायरेक्टर का डेजीग्नेशन परमानेंट खत्म कर दिए जाएंगे
- दोनों इंस्टीट्यूट्स के डिपार्टमेंट मेडिकल कालेज के अन्य डिपार्टमेंटों जैसे ही काम करेंगे - इंस्टीट्यूट का स्टेटस खत्म होने से शासन से अलग मिलने वाला बजट मिलना खत्म होगा - उपकरणों की खरीद और रोज की जरूरतों के लिए शासन स्तर की भागदौड़ खत्म होगी - जांच, ऑपरेशन व अन्य मिलने वाले यूजर चार्ज को शासन में डिपाजिट नहीं करना होगा - गरीबों के इलाज में फर्क नहीं पड़ेगा इंस्टीट्यूट बने या न बने उनका इलाज फ्री ही होगा '' फरवरी में मेडिकल कॉलेज को इंस्टीट्यूट का स्टेटस मिल जाएगा। एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी और जेके कैंसर इंस्टीट्यूट भी इसमें शामिल होंगे। इससे दोनों संस्थानों में मिलने वाली फैसिलिटीज और पेशेंट्स का ट्रीटमेंट और बेहतर हाे सकेगा.'' डॉ। आरती लालचंदानी, प्रिंसिपल जीएसवीएम मेिडकल कॉलेज