एटीएस और दूसरी एजेंसियों ने शातिर कुर्बान अली का नेटवर्क खंगालना शुरू कर दिया है. बिहार का मूल निवासी कुर्बान अली का नेटवर्क देश के तमाम हिस्सों में फैला हुआ है. उसने मिनहाज ही नहीं देश विरोधी साजिश रचने वाले तमाम लोगों को असलहा सप्लाई किए हैैं. बिहार में अकूत संपति के मालिक कुर्बान अली को वहां लोग कुर्बान सेठ के नाम से जानते हैैं. सूत्रों की माने तो वह बिहार के बेरोजगारों को लाकर प्रतिबंधित बोर का असलहा बनाने की ट्रेनिंग देता था. कुर्बान को एटीएस ने एक दिन पहले ही बाबपुरवा से गिरफ्तार किया था.

कानपुर (ब्यूरो) कुर्बान का गिरोह लामा और बेरेटा कंपनियों के नाम का यूज कर हाईटेक हथियार बना उन्हें ऊंचे दामों पर बेचता था। ये ऐसा गैैंग था, जिसके असलहे आम लाइसेंसी शस्त्र धारकों के अलावा अपराधियों व आतंकियों तक सप्लाई होते थे। नौ साल पहले जब इस गिरोह का पर्दाफाश हुआ तो इससे मिले सबक को देखते हुए शस्त्र लाइसेंस के कई नियमों में बदलाव तक करने पड़े थे। कुर्बान और उसके गैैंग ने कहां-कहां असलहे सप्लाई किए और कितने असलहे अब तक सप्लाई किए जा चुके हैैं। इसकी जानकारी के लिए एटीएस कुर्बान अली को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है।

सिंगापुर से लाते थे पुर्जे
गैैंग में एल्विन नाम का एक सदस्य था जो कि कभी इंडियन एयरलाइंस से जुड़ा हुआ था। गैैंग के लोग उसकी मदद से सिंगापुर व कनाडा से विदेशी असलहों के पुर्जे लाकर यहां निर्माण करते थे। कंट्री मेड और मुंगेर में बनी पिस्टलों पर मेड इन यूएसए या मेड इन जर्मनी लिख कर पिस्टल या रिवाल्वर बेचने का धंधा खूब फलता फूलता रहा है, लेकिन उस वक्त यह पहली बार प्रकाश में आया था कि विदेशी कलपुर्जों की मदद से हथियार बनाकर उन्हें 15 से 20 लाख रुपये में बेचा जा रहा हो। अवैध असलहों को कूटरचित दस्तावेज से वैध भी बना दिया जाता था। इस गैैंग में लखनऊ, कानपुर, बरेली के शस्त्र विक्रेताओं के अलावा ग्वालियर व औरैया के लाइसेंसी शस्त्र विक्रेताओं के नाम सामने आए थे।

परिवार वालों से की पूछताछ
एटीएस की एक टीम ने बिहार में भी कुर्बान अली के संबंध में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। दरअसल कुर्बान अली मोबाइल का इस्तेमाल बहुत कम करता था। उसके मोबाइल में कानपुर के जो कांटैक्ट्स मिले हैैं। उन पर पुलिस की टीमें काम कर रही हैैं। बाबूपुरवा के मुंशीपुरवा में जिस घर में कुर्बान रहता था उसके आसपास रहने वालों से भी पूछताछ की गई है लेकिन कोई ऐसी जानकारी नहीं मिली है जिससे कुर्बान के घर कौन-कौन आता था। इसकी जानकारी मिले। एटीएस सूत्रों का मानना है कि रिमांड पर लेकर कुर्बान से बहुत सी जानकारी ली जाएंगी। कोर्ट में रिमांड एप्लीकेशन मूव कराई गई है।

-सिंगापुर व कनाडा से विदेशी असलहों के पुर्जे लाए जाते थे
-इन पुर्जों को असेंबल कर विदेशी हथियार तैयार किए जाते थे
- मेड इन यूएसए या मेड इन जर्मनी लिख कर बेचे जाते थे हथियार
-विदेशी के नाम पर 15 से 20 लाख रुपये में बेचता था पिस्टम
-अवैध असलहों को कूटरचित दस्तावेज से वैध भी बना देता था गैंग
- गैैंग में लखनऊ, कानपुर, बरेली के शस्त्र विक्रेताओं के भी नाम आए

Posted By: Inextlive