हलमंडी को दबोचने पर एटीएस का सीधा फोकस
- नहीं मिल रहा गजवात-उल- हिंद के कमाण्डर उमर हलमंडी का सुराग, कानपुर में मिले थे हलमंडी के सूत्र
- कमाण्डर की तलाश में लगी एनआईए और एटीएस, स्थानीय ऑपरेशन में एसटीएफ के किया शामिल kanpur : आतंक का इनपुट मिलने के बाद एटीएस ने मिनहाज, मसरुद्दीन, शकील, मुस्तकीम और मुहम्मद जैद को पकड़ तो लिया, लेकिन जिस सफलता की सिक्योरिटी एजेंसीज को आशा थी, वह पूरी नहीं हो पाई। भले ही कानपुर और लखनऊ समेत तमाम जगहों पर धमाके के प्लान को पूरी तरह से ब्रस्ट कर दिया हो लेकिन सिक्योरिटी एजेंसीज के माथे पर अब भी चिंता की लकीरें हैं। यानी कि आतंक से जुड़ा कोई बड़ा नाम गिरफ्त में नहीं आया। दरअसल गजावत-उल- हिंद के कमाण्डर इन चीफ उमर हलमंडी को यूपी की सीमा से बाहर निकालना था। जब तक ये बात एजेंसीज को पता चलती, तब तक देर हो चुकी थी।20 दिनों में ऑपरेशन पूरा
एटीएस को सर्विलांस से अहम जानकारी मिल रही है। माड्यूल का टारगेट और फिक्स डेट की जानकारी भी हो चुकी है। सिक्योरिटी एजेंसीज के बॉस ने 20 दिनों में ऑपरेशन पूरा करने का टारगेट भी दिया है। पकड़े गए पांचों आतंकियों से गंभीरता से पूछताछ हो रही है। उन्हें कानपुर लाने की तैयारी भी की जा रही है। दरअसल एटीएस का टारगेट उमर हलमंडी को गिरफ्तार करने का है। उमर के कानपुर में कनेक्शन पाए गए हैं। संभल में रहने वाले उमर के बहनोई का कारोबार भी कानपुर से जुड़ा है। हालांकि मिनहाज के पकड़े जाने के बाद से उसका पता नहीं चल रहा है। जिन दुकानदारों के पास वह अपना माल देने जाता था, स्लीपर सेल्स से मिली जानकारी के बाद एटीएस की टीम ने उन्हें भी हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। कुछ इनपुट न निकलने पर उन्हें छोड़ दिया गया है।
जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपीकानपुर में हलमंडी का मूवमेंट देखने के बाद एटीएस ने लोकल मूवमेंट की जानकारी एसटीएफ को सौंपी है। कानपुर ही नहीं पकड़े गए पांचों संदिग्धों के जहां जहां मूवमेंट और नेटवर्क रहा है। उसे तोड़ने का काम एसटीएफ करेगी। हालांकि इसके पहले क्राइम ब्रांच को मामले से जुड़े लोगों की जरूरी जानकारी दी गई थी, लेकिन कोई इनपुट निकल कर सामने नहीं आया। चूंकि ऑपरेशन का समय निर्धारित कर दिया गया है। इसी वजह से एसटीएफ इस मामले में शामिल होकर इसे गंभीरता से देखेगी। इसके पीछे यह भी वजह वजह है कि एसटीएफ का नेटवर्क एटीएस से लोकल स्तर पर स्ट्रांग है। एसटीएफ के टच में सर्विलांस के अलावा लोकल लोग भी रहते हैं। जो इनके इनफार्मर कहे जाते हैं।
रक्षा प्रतिष्ठानों के नक्शों ने मिनहाज और मसीरुद्दीन के पास से रक्षा प्रतिष्ठानों के नक्शे मिले थे। इस वजह से जिम्मेदारों की चिंता कम नहीं हुई है.एजेंसियां किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहती हैं। इस वजह से एजेंसियों को कम समय में काम पूरा करने के लिए कहा गया है। सूत्रों की माने तो एटीएस से बड़ी एजेंसियां भी इसमें शामिल हो गई हैं। जो एटीएस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कम समय में ऑपरेशन को अंजाम देने में जुटी हैं।