लंबी है अरुण मिश्रा के कारनामों की लिस्ट
- फर्जी डिग्री से नौकरी पाने का भी लग चुका है आरोप, हाईकोर्ट में चला था मामला
- बर्खास्त करने के हुए थे आदेश, सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाकर बचे थे चीफ इंजीनियर > KANPUR: यूपीसीडा के चीफ इंजीनियर अरुण मिश्रा का विवादों से गहरा नाता है। उन पर फर्जी डिग्री से नौकरी पाने का आरोप लग चुका है। जिसका मामला हाई कोर्ट में चला था। हाईकोर्ट से उन्हें बर्खास्त करने के आदेश हुए थे। लेकिन वे सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाकर बच गए थे। इसके अलावा वे निलंबित भी हो चुके हैं। मूल रूप से घाटमपुर निवासी अरुण कुमार 1986 में सहायक अभियंता के पद पर यूपीसीडा में ज्वाइन हुए थे। हाई कोर्ट ने 30 अगस्त 2014 को उन्हें बर्खास्त करने के साथ ही उनका 25 साल से अधिक का वेतन वसूलने का आदेश भी दिया था। इधर सस्पेंड, उधर बहालहाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अरुण मिश्रा सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाए और नौकरी ज्वाइन कर ली। इसके पहले दो बार उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। वह निलंबित भी किए गए थे लेकिन कुछ महीने बाद ही बहाल हो गए। भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद भी उन्हें चीफ इंजीनियर बना दिया गया। 2007 में वे दूसरी बार निलंबित हुए लेकिन 6 महीने बाद फिर से बहाल हो गए। उस समय उन पर ट्रानिका सिटी के 400 से जयादा औद्योगिक प्लाट मनमाने तरीके से बेचने का आरोप था। उन पर ये भी आरोप है कि उन्होंने पद पर रहने के दौरान नोएडा के सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र की एक जमीन होटल प्रोजेक्ट के लिए दी थी।
अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर इसी तरह साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र साइट के जो दो प्लाट औद्योगिक इस्तेमाल के थे, उस पर थ्री स्टार होटल बनाने के आदेश दे दिए थे। जो इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। उन्नाव ट्रांस गंगा सिटी में भी बिना काम के 6 करोड़ का भुगतान कर दिया था। लखनऊ के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में बिना परमिशन के पांच मंजिला इमारत बनाने का भी आरोप है। यहां पर बिना लैंड यूज चेंज किए मकान बनवा दिया गया। इसमें करीब 27 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था।