बेटा क्या कर रहे हो? कुछ नहीं पापा बस थोड़ा काम में बिजी हूं. बेटा तुम्हारी तबीयत ठीक है क्या अमेरिका में भी मौसम इंडिया जितना ही ठंडा है? नहीं पापा सब कुछ नार्मल है आप बताइए? बेटा परिवार में बहुत सी शादियां हैैं और तुम्हारी मम्मी की तबीयत भी कुछ ठीक नहीं है सोच रहा हूं कि उनका दिल्ली ले जाकर चेकअप करा लूं.

कानपुर (ब्यूरो)। बेटा क्या कर रहे हो? कुछ नहीं पापा बस थोड़ा काम में बिजी हूं। बेटा तुम्हारी तबीयत ठीक है, क्या अमेरिका में भी मौसम इंडिया जितना ही ठंडा है? नहीं पापा सब कुछ नार्मल है, आप बताइए? बेटा परिवार में बहुत सी शादियां हैैं और तुम्हारी मम्मी की तबीयत भी कुछ ठीक नहीं है, सोच रहा हूं कि उनका दिल्ली ले जाकर चेकअप करा लूं। तो ठीक है न पापा कितने रुपये आपको भेज दूं बताइए? बेटा डेढ़ लाख रुपये दे दो तो काम चल जाएगा। ये सुनकर अमेरिका में नौकरी कर रहे बेटे विशाल को कुछ शक तो हुआ लेकिन उसने इतना नहीं सोचा था कि उसके साथ इतना बड़ा फ्रॉड हो जाएगा। पिता के कहने पर कुछ ही देर बाद उसने रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठीक चार दिन बाद उसने जब कैंट निवासी पिता राजकुमार को फोन पर मां की सेहत की जानकारी ली और पैसे की पूछताछ की तो उसे अपने साथ हुई ठगी का पता चला। विशाल ने अमेरिका से ऑनलाइन एफआईआर तो की ही साथ ही राजकुमार ने भी साइबर थाने में केस दर्ज कराया।


ये अंदाज है शातिराना
जब इस पूरी ठगी की जानकारी राजकुमार ने साइबर थाने में दी तो साइबर स्पेशलिस्ट भी अचंभे में पड़ गए। राजकुमार के फोन में रिकॉर्डिंग चेक की गई तो हूबहू राजकुमार की आवाज निकाल कर शातिर ठगों ने उनके बेटे विशाल से बात की और डेढ़ लाख रुपये की ठगी को केवल चार मिनट में अंजाम दिया। हालांकि साइबर सेल इस पूरे मामले को हल करने में लगी है लेकिन जिस खाते में रकम डलवाई गई वह फेक आईडी पर तो था ही, साथ ही खाते से पूरी रकम निकाली जा चुकी है। इसकी वजह से देरी से जानकारी देना था, हालांकि इस संबंध में राजकुमार का कहना है कि चार दिन बाद बेटे की कॉल आने पर उन्हें जानकारी हुई कि उनके साथ ठगी हुई है।

लाल बंगले के रहने वाले हैैं राजकुमार
जिनके साथ ठगी हुई वे लाल बंगले के रहने वाले हैैं। चार साल पहले बैैंक अधिकारी के पद से रिटायर हुए थे। बेटा अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है। कानपुर में पत्नी रजनी और छोटा बेटा राहुल रहता है। रजनी और राहुल बीमार रहते हैैं। जबकि राजकुमार रिटायरमेंट के बाद घर पर ही रहते हैैं।

इस तरह से शातिर दे रहे वारदातों को अंजाम
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की ये विधा देश की बड़ी एजेंसियों ने वॉयस लॉक को डिकोड करने के लिए ईजाद की थी। कुछ दिन तक तो ये साइबर ठगों की नजर में नहीं आई थी लेकिन इधर दो महीने से ये विधा साइबर ठगों के हत्थे लग गई है, जिससे ये आपकी आवाज हूबहू निकालकर आपके रिश्तेदारों से बीमारी और मदद के नाम पर रुपये की मांग करते हैैं। साइबर स्पेशलिस्ट का कहना है कि इस वारदात को अंजाम देते समय आप अपनों की आवाज तो नहीं भूल पाएंगे लेकिन इस पूरी ठगी में बातचीत के दौरान आवाज टूटी हुई सुनाई दे तो सावधान हो जाना चाहिए। आम आदमी को चाहिए कि इस तरह की कॉल आने पर फोन काटकर अपने उसी रिश्तेदार को कॉल कर हकीकत की जानकारी कर ले, जिसके नाम से कॉल की गई है।
रिटायर्ड एडीजी को बना चुके हैैं शिकार
दो महीने पहले ही एक मामला सामने आया था जिसमें रिटायर्ड एडीजी की आवाज की कॉपी कर शातिरों ने उनकी नौकरी के समय का वर्दी पहने हुए वीडियो यूज किया था। किसी क्राइम के मामले को खत्म करने के लिए रुपये भी मांगे थे। एक बार रकम दी भी जा चुकी थी, लेकिन शातिरों का लालच बढ़ता गया, दोबारा रकम मांगी गई तो कुछ लोगों ने रिटायर्ड एडीजी से जानकारी की, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ।

Posted By: Inextlive