हत्यारे ने कहा - मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
कियारन स्टेपलटन ने तेईस साल के अनुज बिदवे को बॉक्सिंग-डे के दिन मार डाला था। अनुज बिदवे लैंकास्टर विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रानिक्स में पोस्ट ग्रैजुएट की पढ़ाई कर रहे थे।
बिदवे की हत्या तब कर दी गई जब वो अपने दोस्तों के साथ छुट्टी बिताने गए थे और सुबह के वक्त मैनचेस्टर शहर के एक बाजार के पास घूम रहे थे। फैसला सुनाए जाने के वक्त अनुज बिदवे के पिता सुभाष बिदवे और मां योगिनी अदालत में मौजूद थे। फैसला सुनने के बाद योगनी रोने लगीं जबकि उनके पिता अपनी सीट पर बैठ गए और चेहरे को अपने हाथों से छुपा लिया।सुभाष बिदवे ने कहा, "स्टेपलटन तो एक बार ज्यूरी की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे और अपने चेहरे की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा: मेरे चेहरे की तरफ देखो, क्या आपको लगता है कि मुझे कोई फर्क पड़ता है?"
दिमागी रूप से बीमारउनका कहना था, "मेरा बेटा अनुज बहुत ही दयालू व्यक्ति था, उसे पता था कि क्या सही है और क्या गलत। उसने अपनी जिंदगी सही तरह से गुजारी। कियारन स्टेपलटन उसके बिल्कुल विपरीत हैं। लेकिन वो जीवित हैं जबकि मेरे बेटे की हत्या हो गई."
सुभाष बिदवे ने उस क्षण को याद किया जब वो 18 जुलाई को ओर्डसाल लेन पहुंचे थे, जहां उनके बेटे की हत्या कर दी गई थी। उस दिन अनुज बिदवे की चौबीसवीं सालगिरह थी।
फैसला सुनाए जाने के पहले जेल से अदालत लाए गए कियारन स्टेपलटन लगभग तेज चलते हुए कठघरे में पहुंचे, अदालत में बैठे हुए लोगों की तरफ देखा और मुस्कुराए।जब वो पहली बार अदालत के सामने लाए गए थे तो उन्होंने अपना नाम 'साइको स्टेपलटन' बताया था। ये पूछे जाने पर कि उन्होंने ये कत्ल क्यों किया, उनका जवाब था, "मुझे ईमानदारी से मालूम नहीं कि इसकी क्या वजह थी"।बचाव और अभियोजन पक्ष के वकीलों ने ये स्वीकार किया कि स्टेपलटन दिमागी रूप से बीमार हैं। कोर्ट को ये भी बताया गया कि हत्या करने के बाद स्टेपलटन एक होटल में जाकर ठहर गए थे और पूरी जांच पर नजर रख रहे थे। स्टेपलटन को शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी।