अब वेश्यालयों से छुटकारा चाहता है एमस्टर्डम
एम्सटर्डम के मेयर का कहना है कि शहर का रेड लाइट इलाका मानव तस्करी का केंद्र बन गया है। अब कोशिश की जा रही है कि शहर में वेश्यालय कम किए जाएं और उन्हें नए कारोबारों में बदला जाए।
एम्सटर्डम एक पुराना शहर है और यहां का बंदरगाह भी काफी पुराना है। 16वीं शताब्दी में शहर का परिचय एक ऐसी जगह के तौर पर होने लगा जहां नाविक आराम के लिए रूकते थे और मनोरंजन के लिए तट से थोड़ी ही दूर पर बसे रेड लाइट इलाके में टहलने के लिए जाते थे।एक दशक पहले वेश्यावृति को कानूनी इजाज़त दी गई ताकि ये काम चोरी छुपे न हो। उम्मीद थी कि इससे जुर्म कम होंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा ही।अब नई योजना बनाई जा रही है जिसके तहत शहर के 40 फीसदी वेश्यालयों कों बंद करके उनकी जगह दूसरे व्यापार शुरु किए जाएंगे शहर में ये बदलाव लाने की जिम्मेदारी उपमेयर लुडविक ऐशर को सौंपी गई है।
नए व्यवसायउपमेयर लुडविक शहर की रेडलाइट इलाके में एक ओर इशारा करते हुए कहते हैं, "अगले हफ्ते यहां किताब की दुकान खुलेगी। एम्सटर्डम में यहां के कानून और खुली वेश्यावृति के चलते यहां मानव तस्करी बढ़ गई। हम कोशिश कर रहे हैं कि हालात को बदला जाए."
एम्सटर्डम का रेड लाइट इलाका पर्यटकों के लिए शहर की सबसे लोकप्रिय और आकर्षक जगह है। तंग गलियों में पचास से ज्यादा 'सेक्स शॉप' हैं जिनके बाहर कम कपड़ों में लड़किय़ां ग्राहकों को लुभाती हैं। इस तरह का काम कम करने की कोशिश की जा रही है।शहर की काउंसिल फैशन से जुड़े व्यापार शुरु करने के लिए इन महिलाओं को विशेष छूट दे रही हैं। शहर में किराया बहुत ज्यादा है, लेकिन अगर कोई महिला सेक्स शॉप को बंद करके फैशन की दुकान खोलना चाहती है तो उसे किराए में बड़ी रियायत दी जाएगी।रेड लाइट इलाके में फैशन पर काम करने वाली एक महिला रूबिया कहती हैं, "एम्सटर्डम में जगह लेना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि यहां किराया बहुत ज्यादा है। इस वजह से कई फैशन डिजाइनर शहर से दूर चले जाने को मजबूर होती हैं जबकि शहर का ये इलाका उनके लिए सबसे फायदेमंद रहता."विरोधलेकिन उन लड़कियों का क्या जो वेश्यावृत्ति का काम करती है? मरिस्का मजूर ऐसी ही एक महिला हैं जो एक रात में एक हजार यूरो यानी लगभग 68, 000 हजार रूपये कमा लेती है। उनका कहना है कि नए नियम ठीक नहीं है क्योंकि ये सेक्स वर्कर के बारे में रूढ़िवादी विचार फैलाते हैं।
मरिस्का कहती हैं, "मुझे यहां खिड़की के पीछे सहज लगता है क्योंकि मैं ये काम करना चाहती हूं। मैं हर दिन इतने यौन संबंध बनाने की परवाह नहीं करती हूं, लेकिन मुझे फिक्र है लोगों की नज़रों की। वो हमारी तरफ ऐसे देखते हैं जैसे किसी चिड़ियाघर में बंदर को देख रहे हों। लेकिन अब शहर का प्रशासन हमें और कमजोर बना रहा है क्योंकि नए नियमों से हमारे बारे में लोगों की राय और नकारात्मक बन जाएगी."अभी जिन नए नियमों पर विचार किया जा रहा है उनमें न्यूनतम आयु 18 वर्ष करना और सेक्स के लिए काम कर रही महिलाओं को अनिवार्य पंजीकरण करवाना शामिल है।लेकिन यहां कि स्थिति पर नजर रखने वाले लोगों को डर है कि वेश्यालयों से कुछ लड़कियों को कम कर भर देने से समस्या का अंत नहीं हो जाएगा। उनका मानना है कि नए कदम तो बस नज़रो का धोखा है और समस्या को खत्म करने में बहुत कुछ करना बाकी है।