काटती कम, धमकाती ज़्यादा हैं पिरान्हा
शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ये ख़तरनाक मछलियां अपनी बात कहने के लिए तरह-तरह की आवाज़े निकालती हैं। उनका ये शोर अक्सर प्रतियोगियों को डराने भर के लिए होता है और वो आक्रमण कम ही करती हैं।
वैज्ञानिकों ने जर्नल ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी की एक रिपोर्ट में बताया कि पिरान्हा तीन तरह की आवाज़ निकाल सकती हैं, जिनका मतलब अलग-अलग होता है। मुख्य शोधकर्ता एरिक पारमेंतिए मछलियों की आवाज़ पर लंबे समय से शोध कर रहे हैं।वो जानना चाहते थे कि पिरान्हा शोर आखिर क्यों मचाती है? ये पता लगाने के लिए उन्होंने अपने लैब में पिरान्हा मछलियों को पानी के अंदर फ़िल्माया। उन्होंने पिरान्हा की तीन ख़ास तरह की आवाज़ को रिकॉर्ड किया।तीन बोलीपहली आवाज़ भौंकने जैसी थी, जो ये मछलियां प्रतिद्वंद्वियों से सामना होने पर निकालती हैं। दूसरी आवाज़ ड्रम की थाप की तरह थी, जो ये मछलियां पीछा करते हुए निकालती हैं। तीसरी हल्की आवाज़ पिरान्हा काटते वक्त निकालती हैं। उनकी लड़ाई अक्सर खाने को लेकर होती है।
डॉक्टर पारमेंतिए ने कहा, "जानवरों को अपने साथी को आकर्षित करने के लिए ये कम उर्जा ख़र्च करने वाला होता है कि वो ज़्यादा शोर मचाए, बजाए इसके कि लड़ाई पर उतर जाएं"। उन्होंने अपने शोध में पाया कि ये मछलियां ज़्यादातर समय शांति से तैरते हुए बिताती हैं और झगड़ों में कम पड़ती हैं।
मछलियों की आवाज़ पर अपनी शोध से पारमेंतिए उनकी स्वभाव पर रोशनी डालना चाहते हैं। वो मानते हैं कि समुद्र की आवाज़ से एक दिन मछुआरों को ये बताया जा सकेगा कि मछली पकड़ने के लिए ये अच्छा समय है या नहीं। पिरान्हा की आवाज़ पर शोध इसी कड़ी में एक क़दम है।