आखिर 'शरीफÓ कैसे बन गया हैवान
कानपुर (ब्यूरो) दरअसल डॉक्टर सुशील जीएसवीएम में सरकारी डॉक्टर थे। नौकरी छोडऩे के बाद उन्होंने रामा हॉस्पिटल में ज्वाइन किया था। जिसे लेकर वह बहुत पछताता था। बेटे का एडमिशन दिल्ली के नामी कॉलेज में कराया, जहां वह क्लैट की तैयारी कर रहा था। वह 15 दिन पहले ही दिल्ली से आया था। सुनील ने बताया कि 8 दिसंबर को पूरे परिवार को बहन के यहां शादी समारोह में शामिल होने दिल्ली जाना था, रिजर्वेशन भी करा दिया गया था।
शुरू से ही रिजर्व नेचर रहा
वहीं चंद्रप्रभा के चाचा कन्हैया लाल ने बताया कि चंद्रप्रभा की शादी के तीसरे दिन ही उसे ज्वाइनिंग लेटर मिला था.पांच साल पहले सुशील ने फ्लैट लिया था। वह शुरू से ही रिजर्व नेचर का है। मेहमानों के आने पर भी वह किसी से बात नहीं करता था। मेहमानों को भी फैमिली मेंबर्स ही इंटरटेन करते थे। घर में दो गाडिय़ां क्रेटा और वैगनआर है। ड्राइवर ही चंद्रप्रभा और डॉक्टर सुशील को लेकर जाता था। सुशील को रामा में छोडऩे के बाद ड्राइवर चंद्रप्रभा को लेकर शिवराजपुर जाता था और वहां रुक जाता था। देर शाम दोनों को लेकर घर वापस आता था।