- भागते-भागते जिंदगी को 7 दिन और खींच सका विकास, मौत से बचने के लिए चली हर हाल लेकिन नहीं आई काम

-महाकाल मंदिर में 'मैं विकास दुबे हूं, कानुपर वाला' चिल्लाते हुए गिरफ्तारी के 24 घंटे पूरे होने से पहले ही आ गया काल

KANPUR: 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद फरार हुआ मुख्य आरोपी विकास दुबे अच्छी तरह जानता था कि मौत के उसके सिर पर मंडरा रही है। फिर भी सैकड़ों किलोमीटर भागते-भागते उसने अपनी जिंदगी को 7 दिन और लंबा खींच लिया। अपनी जिंदगी को बचाने के लिए उसने हर चाल चली। गुरुवार सुबह उज्जैन पहुंच कर महाकाल मंदिर में पब्लिक के बीच 'मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला' चिल्लाते हुए गिरफ्तार हुआ। इसके बाद मीडिया का भी जमावड़ा लग गया। यहां से उसे यकीन हो चला था कि फिलहाल उसकी जान तो बच गई। लेकिन, स्टोरी का क्लाइमेक्स अभी बाकी था जो सचेंडी में सुबह 6:30 बजे आया।

चेहरे पर दिखी शातिर मुस्कान

उज्जैन पुलिस ने अज्ञात जगह पर ले जाकर विकास से पूछताछ शुरू की। शाम को यूपी एसटीएफ की टीम उज्जैन पहुंच गई। ट्रांजिट रिमांड के बाद शाम 7 बजे एसटीएफ विकास दुबे को हिरासत में लेकर 4 गाडि़यों के साथ कानपुर के लिए रवाना हुई। इस काफिले के साथ मीडिया की कई गाडि़यां भी थीं। इंदौर से निकलते वक्त सफारी कार में बैठे कुख्यात विकास के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान भी थी। वहीं सुबह 6.30 बजे गाडि़यों काफिला सचेंडी में कानपुर बार्डर पहुंचते ही पूरी कहानी ही बदल गई। सचेंडी थाने से 500 मीटर पहले ही नाटकीय अंदाज में पुलिस की एक गाड़ी पलट गई और विकास का एनकाउंटर में खात्मा हो गया। उज्जैन से कानपुर आने तक के इस 22 घंटे 30 मिनट के वक्त में विकास महाकाल से अपने काल तक पहुंच गया।

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कोई प्लानिंग काम न आई

यूपी समेत हरियाणा और मध्य प्रदेश पुलिस को चमका देते हुए थर्सडे सुबह 7.30 बजे के करीब मोस्ट वांटेड हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे उज्जैन में महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच गया। यहां उसने बकायदा फोटो खिंचाई। दर्शन के लिए पर्ची कटाने के वक्त अपना नाम बताया और आगे बढ़ गया। शक होने पर मंदिर में तैनात प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी के जवानों ने उसे रोका। पुलिस को सूचना दी गई। 8 बजे एमपी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। मंदिर से बाहर निकलते वक्त वहां मीडिया पहुंच चुकी थी। इससे साफ है कि विकास ने अपनी उपस्थिति जताने के लिए पूरा गेम प्लान तैयार किया था। इसी के चलते वह पुलिस थाने तक पहुंचते वक्त भी कई बार खुद को पहचनवाता रहा। कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला।

शुक्रवार से शुक्रवार तक

झांसी के रास्ते एसटीएफ विकास दुबे को लेकर कानपुर तरफ बढ़ रही थी। कानपुर देहात में बारा टोल के पास सुबह 6.20 बजे एसटीएफ का काफिला भारी पुलिस बल की मौजूदगी में टोल को क्रॉस किया। इसी दौरान एसटीएफ के काफिले के साथ आ रही मीडियाकर्मियों की गाडि़यों को पुलिस ने कोरोना चेकिंग के नाम पर रोक लिया। 10 मिनट तक मीडिया की गाडि़यां रुकी रहीं। 6.30 बजे यही वह वक्त था जब सचेंडी थाने से ठीक पहले एसटीएफ की टीयूवी-300 गाड़ी पलट गई। यही वह वक्त था जब एसटीएफ की विकास से मुठभेड़ हुई। और एसटीएफ जवानों की गोलियों ने विकास को खत्म कर दिया। 3 जुलाई की दिन शुक्रवार के पहले घंटे में जब विकास और उसके गुर्गो ने 8 पुलिस कर्मियों को शहीद किया था। 10 जुलाई दिन शुक्रवार सुबह 6.30 बजे विकास खुद ढेर हो गया।

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7:30 बजे थर्सडे सुबह विकास महाकाल के दर्शन करने पहुंचा

8:00 बजे महाकाल थाने की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया

7:00 बजे शाम यूपीएसटीफ उसे लेकर चार गाडि़यों से रवाना हुई

6:20 बजे शुक्रवार सुबह गाडि़यों का काफिला बारा टोल से गुजरा

6:30 बजे सचेंडी थाने से ठीक पहले विकास वाली गाड़ी पलट गई

6:35 बजे पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश में वह मारा गया

Posted By: Inextlive