स्कूलों में पढऩे वाले 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स में सोशल मीडिया पर रील्स बनाने की लत दिमाग पर बुरा असर डाल रही है. किशोरों में रील्स बनाने की लत एकाग्रता भंग करने के साथ याददाश्त पर भी दुष्प्रभाव डाल रही है. मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया पर रील्स की लत से होने वाले नुकसान पर निजी स्कूलों के 50 स्टूडेंट्स पर सर्वे किया. इसमें बच्चों में मनोवैज्ञानिक विकार एकाग्रता न होने मोटापा बढऩे के लक्षण पाए गए हैं. अब मनोविज्ञानी इंटर कॉलेजों में वर्कशॉप कर स्टूडेंट्स को जागरूक करेंगे.


कानपुर (ब्यूरो) मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र प्रभारी डॉ। नरेश चंद्र ने बताया कि स्कूलों और केंद्र में आने वाले किशोरों को सर्वे में शामिल करके उनकी दिनचर्या और स्क्रीन टाइम, डाइट के बारे में सवाल पूछ कर रिपोर्ट तैयार की गई है। उन्होंनेे बताया कि सोशल मीडिया पर आने वाले अपडेट को चेक करने से धीरे धीरे बच्चों के मस्तिष्क में बदलाव देखा गया। उनमें पढ़ाई के दौरान एकाग्रता न होने और याददाश्त कमजोर होने का पता चला है। ऐसे में बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखकर उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। ये दिखे लक्षण - मनोवैज्ञानिक विकार (साइकोलाजिकल डिसआर्डर)- दिमाग एक काम में केंद्रित न कर पाना। - लगातार मोटापा बढऩा - ऑनलाइन पढ़ाई के बहाने सोशल एप पर एक्टिव रहना ऐसे करें सुधार - फोटो और वीडियो से दूरी बनाएं - मोबाइल पर स्क्रीन टाइम सीमित रखें


- समय पर पौष्टिक आहार लेते रहें

- रचनात्मक कार्यों के लिए सोशल एप का उपयोग करें

Posted By: Inextlive