आज से ठीक 9 दिन पहले कल्याणपुर के डिविनिटी अपार्टमेंट में हुई सनसनीखेज वारदात ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था. फ्लैट नंबर 501 में तीन लाशें बरामद हुईं. 48 साल की चंद्रप्रभा 21 साल का बेटा शिखर और 16 साल की बेटी खुशी. इस ट्रिपल मर्डर का आरोप लगा इसी फ्लैट में रहने वाले शहर के एक चर्चित सीनियर और होनहार डॉक्टर सुशील पर. डॉ. सुशील ने अपने भाई को भेजे एक मैसेज में यह कबूल भी किया कि उसने ही अपनी पत्नी और बच्चों की हत्या की है. लेकिन अपने पूरे परिवार को इस तरह खत्म कर देने के पीछे कोई ठोस वजह सामने नहीं आई. डिप्रेशन का नतीजा प्लांड मर्डर इंफीरियरिटी कॉम्पलेक्स जैसे कई कयास भी वारदात को अंजाम देने के पीछे लगाए गए. इसके बाद से ही पुलिस डॉ. सुशील की तलाश कर रही थी. पुलिस को उम्मीद थी कि सुशील के मिलते ही सारी हकीकत सामने आ जएगी. रहस्य से पर्दा उठ जाएगा. वारदात के न दिन बाद पुलिस को इसमें कामयाबी भी मिल गई. डॉ. सुशील मिल गए लेकिन जिंदा नहीं. चकेरी के सिद्धनाथ घाट पर उनकी लाश गंगा किनारे मिली. और इसी के साथ वारदात से जुड़े सभी राज हमेशा हमेशा के लिए दफ्न हो गए.

कानपुर (ब्यूरो) कल्याणपुर में हुए ट्रिपल मर्डर के आरोपी डॉक्टर की डेडबॉडी तलाशने में डीसीपी वेस्ट की टीम और जल पुलिस के स्विमर्स को 9वें दिन सफलता मिला गई। जल पुलिस के तैराक की सूचना पर पहुंचे डीसीपी वेस्ट ने शव निकलवाकर डॉक्टर सुशील के साले से पहचान कराई। पुलिस ने भले ही शव की तलाश कर अपना काम हल्का कर लिया हो लेकिन ट्रिपल मर्डर की मिस्ट्री डॉक्टर की सांसों के साथ ही पुलिस की फाइलों में बंद हो गई। डॉक्टर की मौत की पुष्टि अपने पीछे अनगिनत सवाल छोड़ गई। कई राज दफन हो गए। ये सवाल पुलिस के रजिस्टर में अब सवाल बनकर ही रह जाएंगे। क्योंकि चार लोगों के इस परिवार में कोई जिंदा नहीं बचा है। जो बता सके कि आखिर क्या हुआ था उस दिन। पुलिस ने डॉक्टर का शव सील किया और उसकी जेब से मिली वस्तुओं को भी सील कर पंचायतनामा में शामिल कर लिया गया।

5 टीमें कर रही थीं तलाश
डॉक्टर की जेब से मिले पर्स से पैसे और जरूरी दस्तावेज बरामद किए हैं। बीती 3 दिसम्बर को डिविनिटी अपार्टमेंट कल्याणपुर निवासी डॉ। सुशील कुमार भाष्कर ने 48 साल की पत्नी चंद्रप्रभा, 18 साल के बेटे शिखर और 16 साल की बेटी खुशी की हत्या कर दी थी। घटना के बाद से आरोपी डॉक्टर लापता हो गया था। पुलिस की पांच टीमें लगातार डॉक्टर की तलाश में लगी थीं। सर्विलांस टीम और सीसीटीवी कैमरों पर लगातार काम चल रहा था। गंगा में गोताखोरों की चार टीमें अलग अलग घाटों पर डॉक्टरों की तलाश कर रही थी।

11:45 बजे जल पुलिस को मिला शव
संडे को जल पुलिस के तैराक मोती और उसकी टीम स्टीमर से डॉक्टर की गंगा में तलाश कर रही थी। सिद्धनाथ घाट और डपकेश्वर घाट के बीच में बने बंगाली घाट के पास एक शव का पैर लकड़ी में फंसा दिखाई दिया। शव पर नीले रंग का जैकेट और काले रंग की पैंट थी। मोती ने शव को सबसे पहले देखा और डीसीपी वेस्ट बीबीजीटीएस मूर्ति को सूचना दी। डीसीपी उस दौरान सरसैया घाट पर मौजूद थे। सूचना मिलने पर वे स्टीमर से ही घटनास्थल पर पहुंच गए।

Posted By: Inextlive