गंगा को अविरल निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे सहित कई योजनाओं के माध्यम से अरबों रुपए खर्च किए गए. ऐतिहासिक सीसामऊ नाले सहित कई बड़े नालों को टैप किया गया लेकिन अब भी कई नालों से गंदगी गंगा में गिर रही है. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जल निगम सहित अन्य विभागों से गंगा सफाई को लेकर रिपोर्ट तलब किया है. नमामि गंगे प्रोजेक्ट में हुए खर्च का हिसाब देने को कहा है.

कानपुर (ब्यूरो) हाईकोर्ट के आदेश के बाद से गंगा सफाई से संबंधित विभागों में हड़कंप मच गया है। आंकड़े बताते हैं कि कानपुर नगर में ही नमामि गंगे के तहत 4.33 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। वहीं बीते तीन दशक की बात की जाए तो विभिन्न योजनाओं के जरिए गंगा सफाई के लिए अबतक 1512 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

ये नाले किए गए टैप
370 करोड़ रुपए से गंगा के किनारे जुड़े 35 वार्डों की सीवर सफाई के साथ ही टूटी सीवर लाइन को नमामि गंगे योजना के तहत बदला जा रहा है। साथ ही कुंभ मेले को देखते हुए वर्ष 2018 में नमामि गंगे के तहत 63 करोड़ रुपए से सीसामऊ नाला, परमियापुरवा, नवाबगंज नाला, म्योर मिल नाला ,डबका नाला, गुप्तार घाट नाला बंद कर दिया गया।
ओवरफ्लो होकर
अगर कानपुर नगर की बात करे तो गंगा में कुल 17 बड़े नाले गिर रहे हैं, अभी 12 नाले ही बंद किए गए हैं। बाकी अब भी गंगा में धड़ल्ले से गिर रहे है। बंद नालों का दूषित पानी ट्रीट होने के लिए जाजमऊ, बिनगवां और बनियापुरवा में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जा रहा है। बारिश के दौरान कई बार टैप किए गए नाले भी ओवरफ्लो होकर गंगा में गिरने लगते हैं।

एक नजर में गंगा का हाल
17 नाला गंगा से जुड़े
12 नालों को कराया गया बंद
05 नाले अभी भी गंगा में गिर रहे
1512 करोड़ गंगा सफाई में खर्च
450 एमएलडी सीवर का पानी रोज निकलता
342 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता

यह भी जाने
- वाजिपुर में बने 36 एमएलडी सीईटीपी में भी 27 एमएलडी सीवर का पानी ट्रीट होता है। इसके अलावा नौ एमएलडी टेनरी का पानी ट्रीट होता है, लेकिन इससे ज्यादा टेनरी का दूषित पानी ट्रीट होन जाता है।
- टेनरी का पानी अधिक आने के बारे में कई बार यूपीपीसीबी को पत्र लिख चुके है। पांच नालों को बंद करने के लिए शासन से 61 करोड़ रुपए मांगे हैं ।

Posted By: Inextlive