नई ङ्क्षजदगी और आशियाने की आस लेकर 63 ङ्क्षहदू बंगाली परिवार मंडे को तीन बसों से रसूलाबाद पहुंच गए. मेरठ में 1984 में मिल बंद होने के बाद ये सभी परिवार सड़क पर आ गए थे. मजदूरी और दूसरे छोटे-मोटे काम करके किसी तरह से जीवन यापन कर रहे थे. अब यहां इन विस्थापितों के अपने मकान व अपने खेत होंगे. सभी को कांशीराम कॉलोनी के कम्यूनिटी हॉल में रोका गया है.

कानपुर (ब्यूरो) 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से यहां विस्थापित हुए परिवारों में कुछ को मेरठ में और कुछ को रसूलाबाद के भैंसाया के पास बसाया गया था। इनमें मेरठ के परिवारों को अब योगी सरकार ने यहां बसाने का फैसला किया और भैंसाया में उनके लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। तीन बसों से सोमवार दोपहर को नायब तहसीलदार मनोज रावत ङ्क्षहदू बंगाली परिवारों को लेकर पहुंचे। यहां तहसीलदार राजकुमार चौधरी व अधिशाषी अधिकारी दिनेश कुमार शुक्ला ने सभी का स्वागत किया। इसके बाद सभी परिवार के सदस्य बसों से अपने कपड़े, राशन व बाकी सामग्री निकालकर हाल में पहुंचे और वहां पर बिस्तर लगाया व बाकी सामान को रखा।

हॉल मेें लगवाए नए पंखे
गर्मी के इस मौसम में इन परिवारों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए तत्काल नए पंखे लगवाए जा रहे हैं। परिवारों को उनके मकान बनने तक यहां रहने की पूरी व्यवस्था की जा रही है। तहसीलदार राजकुमार चौधरी में बताया कि इन लोगों के यहां बैंकों में खाते खुलवाए जाएंगे। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 1.20 लाख रुपये उनके खाते में स्थानांतरित किए जाएंगे। इसके बाद ये लोग अपने मकान बनाएंगे और मकान बनते ही अपने घरों में जाएंगे। इसके साथ ही इनके राशन की व्यवस्था के लिए इन्हें राशन कार्ड बना कर दे दिए जाएंगे और भी किसी प्रकार की परेशानी होने पर उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।

सरकार से बेहद खुश है परिवार
सभी परिवार योगी सरकार के इस फैसले से बेहद खुश हैं। उनका कहना था कि हमारी पीढिय़ां परेशान थीं लेकिन अब जाकर स्थायी ठिकाना मिलेगा। जमा पूंजी खर्च करने के बाद मेहनत मजदूरी करके किसी तरीके से अपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहे थे। इसी दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हम लोगों की सुनवाई कर ली जिससे एक नई ङ्क्षजदगी मिली है।

Posted By: Inextlive