सांसों में घुला 6 गुना ज्यादा 'जहर'
-एयर क्वालिटी इंडेक्स में सिटी में पीएम 2.5 का स्तर 6 गुना से भी ज्यादा
KANPUR : सिटी में ट्यूजडे को पॉल्यूशन का स्तर मानक से 6 गुना से भी ज्यादा दर्ज किया गया। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में कानपुर में पीएम 2.5 का स्तर 378 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। एक्यूआई में कानपुर देश का 8वां सबसे प्रदूषित सिटी रहा। वहीं सिटी में लगे एनवायरमेंटल सेंसर्स ने ट्यूजडे शाम का जो डाटा सामने आया वह और भी चौंकाने वाला था। एक दर्जन के करीब जगहों पर पॉल्यूशन का स्तर 7 गुना से भी ज्यादा रहा। जबकि बाकी जगहों पर भी पार्टिकुलेटेड मैटर 2.5 का स्तर मानक से कई गुना तक ज्यादा रहा। देश में मोस्ट पॉल्यूटेड सिटीज गाजियाबाद-424 बुलंदशहर-390 ग्रेटर नोएडा-388 नोएडा-387 अंबाला-385 कानपुर- 378 मुजफ्फरनगर-378 मुरादाबाद-373 फतेहाबाद-367 एनवायरमेंटल सेंसर्स का शाम 7 बजे का डाटाएरिया एक्यूआई
पीएसी मोड चौराहा- 500 श्याम नगर चौराहा-500 गोल चौराहा-500 चकेरी स्टेशन रोड- 500 दीप टॉकीज तिराहा-493 यादव मार्केट चौराहा- 447 कोयला नगर- 429 बारादेवी चौराहा-445 मैनावती मार्ग-445 घंटाघर - 405 रामगोपाल चौराहा-409 सचान गेस्ट हाउस चौराहा-407 भैरोंघाट चौराहा-395 एलएमएल चौराहा-392 मरियमपुर चौराहा-390 जाजमऊ ब्रिज-367नोट- सभी आंकड़े पीएम 2.5 के, इसका मानक स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है।
पािर्टकुलेटेड मैटर का बॉडी पर असर - पीएम-10,पीएम-2.5 और पीएम-1 के साथ अल्ट्रा फाइन पार्टिकुलेटेड मैटर, व डीजल पाटिकुलेटेड मैटर का गले से लेकर फेफड़ों और ब्लड सेल्स पर भी सीधा असर पड़ता है। - पीएम-10 का असर नाक से लेकर गले तक पड़ता है, पीएम-2.5 का असर सांस की नली से फेफड़ों तक पड़ता है, वहीं पीएम-1 और डीपीएम लंग्स में पहुंच कर ब्लड सेल्स में भी मिल जाते हैं। यह इतना छोटा होता है कि इसे माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। - पीएम-1 और डीपीएम ब्लड के जरिए डीएनए तक पहुंचते हैं और उसकी संरचना को भी प्रभावित करते हैं। लंबे समय तक पॉल्यूशन में रहने वाले लोगों को इससे कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है। - मौजूदा दौर में पार्टिकुलेटेड मैटर का लंग्स पर सबसे ज्यादा प्रभाव लंग्स फाइब्रोसिस के रुप में पड़ता है। लंग्स फाइब्रोसिस में फेफड़ों के सिकुड़ने की क्षमता कम होती है और उसमें कड़ापन आ जाता है। पाॅल्यूशन स्तर के हिसाब से कैटेगरी गुड- 50 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तकसैटस्फैक्टरी- 51 से 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक
मॉडरेट- 101 से 200 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक
पुअर- 201 से 300 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक वैरी पुअर- 301 से 400 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक सीवियर -401 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर