30 दिन, 104 हादसे, 43 मौत
कानपुर(ब्यूरो)। हादसों से शहर की रोड खून से लाल हो रही हैै, लेकिन कानपुर कमिश्नरेट पुलिस इसको रोकने के लिए कोई माकूल इंतजाम नहीं कर रही है। हालांकि रोड एक्सीडेंट्स पर अंकुश लगाने के लिए तमाम प्लान बने है, लेकिन उसको अमल में नहीं लाया गया। खाली प्लान से क्या होता है। 30 दिन में शहर में हुए हादसों में 43 लोगों की जिंदगी खत्म हो गई। ये हम नहीं कह रहे कानपुर कमिश्नरेट और पोस्टमार्टम हाउस से मिले हुए आंकड़े हैैं। एक महीने में इतनी मौते फिर भी जिम्मेदार ऑफिसर्स एसी ऑफिस में बैठकर कागजों पर आदेश के घोड़े दौड़ा रहे हैैं। यातायात माह 1 नवंबर से शुरू होकर 30 नवंबर तक चल गया, लेकिन इस दौरान 43 मौतों ने अभियान पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
हादसा - 1
परिवार का इकलौैता सहारा था
महाराजपुर निवासी राजाराम की तबीयत खराब थी। उनका पौत्र उन्हें दिखाने के लिए कानपुर ला रहा था। हाईवे पर पीछे से आ रहे ट्रैक्टर ने बाइक में टक्कर मार दी। राजाराम को पौत्र की मौके पर ही मौत हो गई। मृतक पॉलीटेक्निक का छात्र था और पूरे परिवार का इकलौैता सहारा था।
हादसा - 2
ट्रेलर नो इंट्री में घुसा था
पनकी के सुंदर नगर निवासी तीन परिवारों का पालन पोषण करने वाले तीन दोस्त काम करने जा रहे थे। सडक़ पार करने के दौरान पीछे से आए ट्रेलर ने टक्कर मार दी। हाालांकि परिजनों के मुताबिक ट्रेलर नो इंट्री में घुसा था। 24 घंटे हो गए, लेकिन ट्रेलर चालक पुलिस को नहीं मिला।
ट्रक ने पिता-पुत्र को कुचला
चकेरी के श्याम नगर में 15 नवंबर को हुए हादसे में पिता पुत्र की मौत हो गई थी। परिजनों ने जमकर हंगामा किया था। इस हादसे में मृतक पिता पुत्र की कोई गलती नहीं थी। फ्लाईओवर के नीचे से निकलकर वे स्लिप वे पर पहुंचे थे कि रामादेवी की तरफ से आ रहा ट्रक उन्हें कुचलता निकल गया। इन वजहों से हुए ऑनलाइन चालान (30 दिन में)
रैश ड्राइविंग : 3432
स्टॉप लाइन जंप : 4312
रेड लाइट जंप : 5229
विदआउट हेलमेट : 6514
गलत नंबर प्लेट : 2112
विदआउट सीट बेल्ट : 0989
ओवर लोड व्हीकल्स : 1543
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हाइवे पर हुए हादसे : 34
शहर के अंदर हुए हादसे : 70
हादसों में हुईं मौतें : 43
हादसों में हुए दिव्यांग: 18
घायलों की संख्या : 32
खराब रोड्स से हुए हादसे : 19
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अधिक ब्लीडिंग से मौतें : 22
नशे की वजह से हुए हादसे : 30
------------------------ हादसे रोकने के लिए करने होंगे ये इंतजाम
- शहर में अंदरूनी इलाकों में बनाने होंगे रंबल स्ट्रिप या टेबल बे्रेकर
- ब्लैक स्पाट्स को खत्म करके वहां नियमित निगरानी करना।
- हाईवे पर बेवजह खड़े वाहनों को हटवाना।
- ट्रैक्टर ट्राली में रेडियम की यलो और रेड स्ट्रिप लगवाना।
- हादसे वाली जगह चिन्हित कर वहां रोशनी का इंतजाम करना।
- मुख्य चौराहों के पहले टेबल ब्रेकर बनवाना।
- हाईवे पर स्थित ढाबों से खड़े वाहन हटवाना। लाखों के चालान, बजट का रोना
यातायात माह में ऐसा नहीं है कि प्लान नहीं बनाया गया। पूरा प्लान बनाया गया शासन को इसका बजट भी सौंपा गया। लेकिन बजट न आने का बहाना बनाकर विभाग के लोग अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैैं। विभाग से मिले डेटा के मुताबिक नवंबर में 33.9 लाख रुपये का चालान शुल्क वसूला गया।
स्मूथ ट्रैफिक के लिए इंस्ट्रूमेंट
यातायात विभाग के सूत्रों की मानें तो इस महीने के अलावा जो भी चालान से रुपये मिलते हैैं, वे सभी सरकारी खाते में चले जाते हैैं। इसके बाद जिले की जरूरत के मुताबिक स्मूथ ट्रैफिक के लिए इंस्ट्रूमेंट खरीदे जाते हैैं। जिससे हादसे रोकने का इंतजाम किया जाता है। 2020 में 3.9 लाख रुपये का बजट यातायात माह के लिए बनाकर भेजा गया था। जिसमें 3.2 लाख रुपये विभाग को मिले भी थे। इसके बाद भी शहर का ट्रैफिक जस का तस बना हुआ है।
आने वाला है हादसों का समय
मौसम विभाग की मानें तो 10 दिसंबर से कोहरा शुरू हो जाएगा, जिसके बाद हादसों की संख्या बढ़ जाएगी। यानी सात दिन का समय ट्रैफिक विभाग के पास बचा है। इसके बाद भी न तो ब्लैक स्पॉट्स पर कोई कार्रवाई की गई और न ही रेडियम स्ट्रिप लगवाई गई। कुल मिलाकर देखा जाए तो यातायात विभाग के सिपाही और होमगार्ड ऑनलाइन चालान होने के बाद भी वसूली के नए रास्ते निकाल रहे हैैं। चौराहों के हालात ये हैं कि आधे से ज्यादा चौराहों पर लाइटें खराब हैैं।
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हादसों को रोकने का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। यातायात माह में कुछ जागरुकता के कार्यक्रम हुए थे। वीआईपी ड्यूटी और तमाम वजहों से पुलिस फोर्स कम थी, जिसकी वजह से प्रापर काम नहीं हो पाया। जल्द ही बदलाïव देखने को मिलेगा।
असीम अरुण, पुलिस कमिश्नर कानपुर