बाल मजदूरी के लिए किशोरों की 'स्मगलिंगÓ
कानपुर (ब्यूरो) जीआरपी इंस्पेक्टर आरके द्विवेदी ने बताया कि कंट्रोल से ट्रेन नंबर 12487 सीमांचल व ट्रेन नंबर 15483 सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस में संदिग्ध एक दर्जन से अधिक बच्चों के सफर करने की जानकारी मिली थी। आरपीएफ व जीआरपी की ज्वाइंट टीम ने ट्रेन के कानपुर आते ही चारो तरफ से घेराबंदी कर ट्रेन को सर्च तो 15 बच्चे मिले। जिसमें कुछ पश्चिम बंगाल व कुछ बिहार केहैं।
50 से 70 हजार में खरीदा जाताजीआरपी अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में बाल मजदूरी कराने वाले गैंग के सदस्य पश्चिम बंगाल व बिहार के उन इलाकों में सक्रिय हैं। जहां गरीबी अधिक है। उनके परिजनों को पैसा व नौकरी दिलाने का लालच देकर बच्चों को मजदूरी के लिए 50 से 70 हजार में खरीद लेते हैं।
पहले भी पकड़े जा चुके है केस
जीआरपी सोर्सेस के मुताबिक दिल्ली में घरों में काम करने वाले वर्कर्स बड़ी मुश्किल में मिलते हंै। लिहाजा गैंग के लोग पश्चिम बंगाल व बिहार से किशोर व किशोरियों को खरीद कर बाल मजदूरी के लिए दिल्ली ले जाते हैं। सैटरडे को सीमांचल व सिक्किम महानंदा में पकड़े गए किशोरों की घटना कोई नई नही है। इससे पहले भी बच्चे मिल चुके हैं।
मजिस्ट्रेट के सामने किए जाएंगे पेश
आरपीएफ इंस्पेक्टर बीपी सिंह ने बताया कि दोनों ट्रेनों से 15 किशोर को उतारा गया है। उनका मेडिकल कराने के बाद जीआरपी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेंगे। उनके निर्णय पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि किशोरों के बताए गए पते व फोन नंबर के अनुसार उनके परिजनों को दे दी गई है। संडे तक किशोरों के पैरेंट्स कानपुर आ पाएंगे।