स्माल एंड मीडियम कैटेगरी की दवा मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों के सामने अस्तित्व के संकट को लेकर यूपी फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने लखनऊ में चीफ सेक्रेटरी दुर्गाशंकर मिश्र के साथ मीटिंग की. इस दौरान यूपी में दवा मैन्युफैक्चरिंग को लेकर आ रही तमाम दिक्कतों और सरकारी रवैये को लेकर शिकायतें भी की गर्ई. जिस पर चीफ सेकेट्री ने इन शिकायतों को जल्द दूर करने का भरोसा भी दिया. एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सीएस भार्गव और महामंत्री अतुल सेठ के मुताबिक चीफ सेकेट्री ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में दवा उद्योग शासन की प्राथमिकता की सूची में रहेगा और उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य यूपी बने इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.


कानपुर (ब्यूरो) यूपी में दवा मैन्युफैक्चरिंग उद्योग से जुड़ी स्मॉल और मीडियम कैटेगरी की 400 के करीब ही यूनिटें बची हैं। इस सेक्टर में नए उद्योगों की स्थापना तो दूर जो यूनिटें हैं वही ठीक से नहीं चल पा रही हैं। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात में ऐसा नहीं है। शासन इस पर स्टडी भी करा सकता है।

प्रोफार्मा भी दिया
इस बाबत एक प्रोफार्मा भी चीफ सेकेट्री को दिया गया। यह शिकायत जो एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दी। उसमें खास तौर से सरकारी दवा खरीद के टेंडर में शामिल होने के लिए 5 से 20 करोड़ के सलाना टर्नओवर की शर्त लगाए जाने पर भी आपत्ति की गई। इससे एमएसएमई कैटेगरी के मैन्युफैक्चरर्स टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो पाते। इस पर कहा जाता है कि वह समय पर दवा की आपूर्ति नहीं कर पाते। जबकि ऐसा नहीं है। ऐसा कर अधिकारी कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश मेें लगी दवा की यूनिटें बंदी की कगार पर पहुंच गई हैं।

Posted By: Inextlive