200 बांगलादेशी पुलिस के राडार पर
कानपुर (ब्यूरो) मूलगंज में पकड़े गए रिजवान अहमद के परिवार, उससे जुड़े लोगों की जांच खुफिया तरीके से कराई जा रही है। सोशल मीडिया के तमाम इविडेंस और बैैंक खातों के लेन-देन की जानकारी इनवेस्टीगेशन में लगी टीम को धीरे धीरे हो रही है। इसी इनवेस्टीगेशन के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल रिजवान के हवाला कारोबारी होने की पुष्टि के बाद से इस मामले को हेडक्वार्टर ने टेकओवर कर लिया था। एक निजी बैैंक का खाता खंगाला गया तो उसमें लगभग 200 ट्रांजेक्शन मिले हैैं। कुछ लेन-देन बड़े हैैं जबकि कुछ लेन देन बहुत छोटे हैैं। बैैंकों के खाते चेक करने के बाद प्रॉपर आईडी मिलने पर जांच कर रहे टीम की आंखे फैल गई हैैं।
रबर स्टैैंप से बन रहे आधार
अब तक हुई जांच में सामने आया है कि जिन लोगों के बैैंक खाते खोले गए, उनके पास प्रॉपर आईडी थी। जब जांच और आगे बढ़ी तो ये आधार कार्ड ओरिजनल पाए गए। आधार कार्ड बनाने वाली एजेेंसी से संपर्क किया गया तो जांच करने वाली एजेंसियों की और भी आंखें खुल गईं। पहली बात तो ये कि पूरे के पूरे आधार कार्ड विशेष समुदाय के लोगों के हैैं। दूसरी बात ये है कि इन सभी में जिन लोगों ने तस्दीक करने का पत्र लगाया है वे भी विशेष समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायक और पार्षद हैैं। एजेंसिंयों के सामने सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि इतनी बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों की जानकारी अभी तक लोकल इंटेलीजेंस यूनिट को क्यों नहीं हो पाई। जिन पतों की ये आईडी बनाई गई है, वहां रिजवान अहमद के पकड़े जाने के बाद से या तो ताले बंद हैैं या वे घर छोड़कर जा चुके हैैं, लिहाजा इस मामले की जांच में मुख्यालय की टीम लगाई गई है।
कानपुर में सपा विधायक इरफान सोलंकी द्वारा कई बांग्लादेशी नागरिकों को चोरी से बसाए जाने का मामला सामने आया था। ये सभी बांग्लादेशी चोरी-छिपे यूपी के कानपुर में रह रहे थे। मगर इनकी भनक पुलिस को लग गई थी। पूरे परिवार को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया था। रिजवान से रिमांड पर मिली जानकारी के आधार पर पुलिस की स्पेशल टीमें काम कर रही है। हालांकि स्थानीय पुलिस अधिकारी इस संबंध मेें जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैैं।
देश की सुरक्षा में सेंध
मामले की जांच में जुटी एक विंग के एक सदस्य की बात माने तो रिजवान अहमद के दूसरे बैैंक खातों की जानकारी भी की जा रही है, जिसके लेन-देन की जानकारी होने पर कुछ और लोगों की जानकारी हो सकती है, जो चोरी छिपे कानपुर या आसपास के रूरल एरियाज में रह रहे हैैं। मिलिट्री इंटेलीजेंस इसे देश की सुरक्षा में सेंध लगाने की साजिश के तहत देख रही है। इसकी सीधे मॉनीटरिंग पुलिस मुख्यालय से की जा रही है। जिसकी रिपोर्ट गृह विभाग को भेजी जा रही है।
प्रशांत कुमार, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर