शहर में ताबड़तोड़ हो रही चारियां आउटर कार्डन को निशाना बना रहे शातिर

कानपुर (ब्यूरो)। शहर में चोरों के गैैंग सक्रिय हैैं, जो लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैैं। थाने की पिकेट और पीआरवी कर्मियों के साथ पुलिस की गश्त की रेकी करने के बाद चोर वारदातों को अंजाम दे रहे हैैं। सबसे बड़ी बात ये है कि 20 दिन में जिन 17 दुकानों के ताले तोड़े गए हैैं, उनमें मोबाइल, किराना, ज्वैलरी और ऑटो पार्ट्स की दुकाने हैैं। वारदातों को अंजाम देने की सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ रही है, इसके बाद भी पुलिस के हाथ चोरों की गिरेबां तक नहीं पहुंच पा रहे हैैं। शहर की तीन बड़ी चोरियां महीनों बाद अनसुलझी पड़ी हैैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सुरंग बनाकर चोरी, पनकी और महाराजपुर में कार शो रूम में चोरी का खुलासा पुलिस नहीं कर पाई हैैं। वहीं सनी टोयोटा शोरूम में चोरी का खुलासा तो हुआ लेकिन न तो वारदात को अंजाम देने वाले सारे अपराधी पकड़े गए और न ही माल बरामद हुआ।

एक साथ छह दुकानों में
शहर के एक पुलिस अधिकारी की माने तो पहले आस पास के जिलों से बाइक से गैैंग के लोग आते हैैं, फिर वे दो-तीन दिन तक रेकी करते हैैं। इस दौरान ये चिन्हित किया जाता है कि किन इलाके की दुकानों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। इसके बाद गैैंग के लोग आस पास पुलिस की लोकेशन देखते हैैं। कई-कई घंटे एक ही जगह रुककर देखा जाता है कि पुलिस का मूवमेंट किस समय होता है। रात दिन रेकी करने के बाद फाइनल राउंड में इलाके में लगे सीसीटवी चेक किए जाते हैैं। जिस रूट पर सीसीटीवी नहीं होते हैैं। वहीं से शहर में इंट्री कर वारदात को अंजाम देना और एग्जिट कर जाना इस गैैंग की मॉडस अप्रेंडी है। अब तक की वारदातों के खुलासे में लगी टीम की माने तो गैैंग के लोग चोरी के लिए हमेशा चोरी की बाइक का ही इस्तेमाल करते हैैं। दूसरी बात ये कि रेकी करने के दौरान ये भी देखा जाता है कि चोरी में हाथ आया माल कहां ठिकाने लगाना है?

केवल घटनास्थल के कैमरे में
आमतौर पर पुलिस को घटनास्थल से जो फुटेज मिलते हैैं, उन्ही फुटेज को ट्रेस करते हुए गैैंग का एग्जिट वे तलाशना होता है, लेकिन पहले से तैयारी के बाद वारदातों को अंजाम देने की वजह से इनका एग्जिट वे तलाशना पुलिस के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। एक सीनियर ऑफिसर की माने तो लगातार बढ़ रहे क्राइम ग्राफ की वजह से पुलिस इन मामलों को गलत तरीके से खोल देती है, जिससे ओरिजिनल आरोपी तो पकड़े नहीं जाते लेकिन क्राइम करने वाले जरूर बढ़ जाते हैैं। जेल से निकलने के बाद उनका जीना थाना पुलिस ही हराम कर देती है। ऐसे हालात में जेल से छूटा ये आरोपी या तो पुलिस का मुखबिर बन जाता है या वारदातों को अंजाम देने लगता है।

बिना आवाज के टूट रहे शटर
बीते दिनों एक ही रात में छह दुकानों में चोरों ने वारदातों को अंजाम दिया। ये सभी दुकानें एक ही बाजार में थीं। इन सभी दुकानों में चोरी की वारदातों में एक चीज सेम दिखाई दी, सारी दुकानों के शटर एक ही तरीके से यानी बड़े वाहन के जैक से उठाए गए हैैं। इस बात से एक बात और सामने आई कि गैैंग पहले से ही निर्धारित करके आया था कि उसे एक नहीं कई दुकानों में वारदात को अंजाम देना है।

चोरी में चकेरी, कल्याणपुर और पनकी अव्वल
यूं तो हर तरह का क्राइम हर इलाके में हो रहा है, लेकिन कुछ क्राइम केवल आउटर कार्डन में ही हो रहे हैैं। जैसे चोरी के मामलों में चकेरी, कल्याणपुर और पनकी अव्वल रहे हैैं। लगातार इन्हीं इलाकों में वारदातें हो रही हैैं। बीते छह महीने की बात की जाए तो पनकी में 47, चकेरी में 53 और कल्याणपुर में 39 चोरी के केस दर्ज किए गए हैैं। वहीं अगर वर्कआउट की बात की जाए तो छह महीने में वारदातों की आधी घटनाओं का खुलासा भी पुलिस नहीं कर पाई है।
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कल्याणपुर में 9, पनकी में 8 और चकेरी में 11 पीआरवी

पुलिस सिक्योरिटी की बात की जाए तो आउटर कार्डन होने की वजह से यहां सिक्योरिटी भी ज्यादा होनी चाहिए। कल्याणपुर में 9 पीआरवी, 5 थाने की गश्त टीम और दो जीप से गश्त होती है। वहीं पनकी में थाने की दो जीप, 8 पीआरवी और थाने की 6 टीमें गश्त पर रहती हैैं। चकेरी में बड़ा इलाका होने की वजह से 11 पीआरवी, चार थाने की गाडिय़ां और आठ टीमों का मूवमेंट रहता है। इसके अलावा चौकी की पुलिस का मूवमेंट भी रहता है। इतने इंतजाम के बाद भी चोरी की वारदातें नहीं रुक पा रही हैं। जीवन भर की कमाई से दुकानों में भरा माल चोर चंद घंटों में ठिकाने लगा देते हैैं।

Posted By: Inextlive