30 दिन में गोद लिए 100 चौराहे , न लगे कैमरे और न हुआ सौन्दर्यीकरण
कानपुर (ब्यरो)। शहर में कई योजनाएं शुरू तो जोर शोर के साथ की जाती हैं लेकिन इसके बाद लंबे समय तक कागजों पर ही दौड़ती रहती हैं, जमीन पर नहीं उतरती। कुछ ऐसा ही हाल ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत गोद लिए गए चौराहों का है। सर्विलांस से मजबूत करने शहर के 100 बड़े चौराहे कैमरे लगाने और ब्यूटीफिकेशन के लिए चिन्हित किए गए थे। शहर के 70 बड़े कारोबारी आगे आए और चौराहों को गोद लेना शुरू किया। पुलिस कमिश्नर के पास पहुंचे तमाम कारोबारियों ने चौराहों को गोद लेने का दावा किया ।
पुलिस कमिश्नर के साथ फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। लेकिन पूरा अप्रैल बीत गया न किसी चौराहे का सौंदर्यीकरण किया गया और न ही कैमरे लगे।
दूसरे विभागों पर मढ़ा जा रहा दोष
एक अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक चलने वाले इस ऑपरेशन में साथ-साथ कैमरे लगाए जाने थे लेकिन समय पूरा हो गया। एक भी चौराहे पर कैमरा नहीं लगाया गया। जब इसकी जानकारी की गई तो पुलिस सूत्र कभी गहरी सीवर लाइन की खोदाई तो कभी मेट्रो कंस्ट्रक्शन का बहाना बना रहे हैं। पुलिस सूत्र ये भी बताते हैैं कि जो दावे करने वाले कारोबारी थे, वे प्रमाण पत्र लेकर घर बैठ गए। कुल मिलाकर कानपुर के 70 कारोबारियों ने पुलिस कमिश्नर के उस प्लान को फेल कर दिया है, जिसमें हर चौराहे को सर्विलांस युक्त किया जाना था।
एक अप्रैल से ये ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसका बेहतरीन लोगो बनवाया गया। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर इसका जबरदस्त विज्ञापन कराया गया। इसके बाद लोगों का आना शुरू हुआ। कमिश्नरेट से जारी हुए प्रेस नोट मेें बताया गया कि फलां संस्थान के मैनेजमेंट ने दो चौराहे गोद लिए हैैं या फलां कारोबारी ने पांच चौराहे गोद लिए हैैं। कुछ दिन तो गर्मा गर्मी रही। अधिकारियों के साथ गोद लेने वालों ने चौराहे देख भी लिए लेकिन कुछ समाधान नहीं हो सका।
पुरानों का नहीं हो पा रहा मेंटिनेंस
चौराहों पर कुछ साल पहले ही सीसीटीएनएस और ट्रैफिक के कैमरे लगाए गए थे। साउथ जोन की बात की जाए तो कुल 90 कैमरे लगाए गए थे, जिसमें सारे कैमरे निष्क्रिय पड़े हैैं। वहीं ईस्ट जोन की बात की जाए तो 109 कैमरे लगे थे जिनमें 26 कैमरे काम कर रहे हैैं। सेंट्रल जोन में 213 कैमरे लगाए गए थे जिनमें 43 कैमरे काम कर रहे हैैं। वहीं वेस्ट जोन में 79 कैमरे लगाए गए थे जिनमें 39 कैमरे वर्किंग में पाए गए हैैं। कैमरे खराब होने की वजह से ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी मोबाइल से फोटो खींचकर चालान करते हैं। साउथ जोन और ईस्ट जोन में तो मेट्रो की खोदाई हो रही है, बाकी बचे दो जोनों के कैमरों की हालत भी ठीक नहीं है।
पुलिस लाइन में लगभग 150 कैमरे रखे गए हैैं। जिन्हेें वीआईपी या वीवीआईपी मूवमेंट पर लगाया जाता है। इसके बाद इन कैमरों को उतार कर रख लिया जाता है। कमिश्नरेट के पहले कमिश्नर ने बॉक्स और 360 डिग्री पर रोटेट होने वाले कैमरे लगवाए थे लेकिन समय के साथ ही वे उतार कर रख लिए गए।