ओडिसा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे में 270 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इनकी जिंदगी को वापस तो नहीं लाया सकता है लेकिन इनके परिजनों को जर्नी इंश्योरेंस के 10 लाख रुपए देकर रेलवे राहत दे रहा है.


कानपुर(ब्यूरो)। ओडिसा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे में 270 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इनकी जिंदगी को वापस तो नहीं लाया सकता है लेकिन इनके परिजनों को जर्नी इंश्योरेंस के 10 लाख रुपए देकर रेलवे राहत दे रहा है। लेकिन, ये रकम उन्हीं पैसेंजर्स के परिजनों को मिलेगी जिन्होंने टिकट बुकिंग करते समय जर्नी इंश्योरेंस का ऑप्शन लेकर नॉमिनी सहित अन्य डिटेल भरी होगी। अन्यथा ये रकम परिजनों को नही मिलेगी। अगर आप भी टिकट बुकिंग के दौरान इस तरह की गलती करते हैं तो आगे से ऐसा मत कीजिएगा। क्योंकि यह आपकी सेफ्टी का मामला है। टिकट बुक करने के दौरान इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनने के बाद आईआरसीटीसी के द्वारा भेजा गया इंश्योरेंस फार्म जरूर भरिएगा। जिसके बाद ही आपका जर्नी इंश्योरेंस कम्प्लीट माना जाएगा। फस्र्ट एसी से जनरल पैसेंजर्स तक


आईआरसीटीसी के अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन रेल टिकट बुकिंग कराने के दौरान आईआरसीटीसी पैसेंजर्स को 35 पैसे में 10 रुपए का इंश्योरेंस करता है। जिसकी विभिन्न कैटेगिरी होती हैं। दुर्घटना के दौरान अगर पैसेंजर की मौत होने, घायल होने और विकलांगता की स्थिति में आईआरसीटीसी उसको व उसके परिजनों को इंश्योरेंस का पैसा देता है। यह सुविधा ट्रेन के फस्र्ट एसी में सफर करने वालों से लेकर जनरल क्लास के पैसेंजर, सभी के लिए सामान्य है। काउंटर टिकट पर भी सुविधाएनसीआर रीजन के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग करने में इंश्योरेंस का ऑप्शन चूज करने की जिम्मेदारी पैसेंजर्स की होती है। वहीं स्टेशन से काउंटर टिकट बुक कराने पर यह प्रॉसेस बुकिंग टिकट क्लर्क कर देते हैं। रिजर्वेशन फार्म में पैसेंजर्स की भरी गई डिटेल के माध्यम से टिकट बुकिंग क्लर्क पैसेंजर्स का जर्नी इंश्योरेंस खुद भर देते हैं। मेल व मैसेज से मांगते डिटेल आईआरसीटीसी से टिकट बुकिंग करने के दौरान जर्नी इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनने के बाद सिर्फ 35 पैसा प्रति पैसेंजर इंश्योरेंस के लिए देना होता है। आईआरसीटीसी की तरफ से पैसेंजर्स की ओर से दी गई ई मेल आईडी या फिर फोन नंबर पर मैसेज भेजा जाता है। जिसमें इंश्योरेंस का नामिनी समेत कुछ अन्य जानकारियां पैसेंजर्स को देनी होती हैं। जिसके बदले आपको 10 लाख का इंश्योरेंस मिलता है। अगर पैसेंजर्स सही से जानकारी नहीं भरते हैं तो क्लेम करने के दौरान आपको विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कैफे से बुकिंग कराने के दौरान रखे ध्यान

रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक 30 परसेंट से अधिक लोग रेलवे की ऑनलाइन टिकट कैफे या फिर आईआरसीटीसी के ऑथराइज वेंडर से बुक कराते हैं। कैफे से टिकट बुक कराने में वह ओटीपी के चक्कर में अपना फोन नंबर ही डालते हैं। जिसकी वजह से जर्नी इंश्योरेंस का मैसेज व मेल पैसेंजर तक नहीं पहुंचता है और न ही कैफे संचालक इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनने के बाद पूरी डिटेल भरता है। लिहाजा इंश्योरेंस पालिसी अधूरी रहती है। जिससे क्लेम नहीं मिल पाता है।टिकट मे मौजूद हर पैसेंजर्स का इंश्योरेंस रेलवे अधिकारियों के मुताबिक कई बार एक टिकट में दो से पांच सदस्य तक होते हैं। इस स्थिति में पैसेंजर्स को यह कंफ्यूजन रहता है कि जर्नी इंश्योरेंस सिर्फ एक पैसेंजर का है। जिसके नाम टिकट है या फिर टिकट में मौजूद सभी पैसेंजर्स का? तो बता दें कि टिकट में मौजूद हर पैसेंजर का इंश्योरेंस होता है। क्योंकि टिकट बुकिंग के दौरान इंश्योरेंस का ऑप्शन चुनने के बाद पर हर पैंसेजर के हिसाब से होता है।इंश्योरेंस लेने पर डेथ - 10 लाख रुपएपरमानेंट टोटल डिसेबिलिटी -10 लाख रु। परमानेंट पार्शियल डिसेबिलिटी -7.50 लाख रु।हॉस्पिटलाइजेशन एक्सपेंस फॉर इंजरी- 2 लाख रुपए ट्रासंपोर्टेशन ऑफ मोर्टल रीमेंस--10 हजार रुपए -------------------------

ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने के दौरान जर्नी इंश्योरेंस का ऑप्शन मांगा जाता है। यस करने के बाद आईआरसीटीसी की तरफ से मेल व मैसेज के माध्यम से नामिनी समेत मांगी जाने वाली अन्य जानकारी को पैसेंजर्स को जरूर देना चाहिए। जिससे क्लेम लेने में पैसेंजर्स व उनके फैमिली मेंबर्स को समस्या न हो।अजीत सिन्हा, सीआरएम, आईआरसीटीसी, लखनऊ

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