थायरायड में खुद डॉक्टर न बने मरीज
- वर्ल्ड डायराइड डे स्पेशल
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : अवेयरनेस की कमी पूर्वाचल को एक गंभीर बीमारी का शिकार बना रही है। यह बीमारी कोई नई नहीं बल्कि थायराइड का एक प्रकार हाइपोथायराडिज्म है। सीनियर फिजीशियन डॉ। संजीव गुप्ता ने बताया कि ये बीमारी होने के बावजूद 60 परसेंट लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है। जब इस बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है, तब इसकी जानकारी होती है। पूर्वाचल में इस बीमारी का प्रकोप अधिक है। क्योंकि पूर्वाचल तराई बेल्ट है। इस एरिया में थायराइड हार्मोन शरीर में सामान्य स्तर से कम होता है, इसे हाइपोथायराइडिज्म कहते हैं। 25 मई को विश्व थायराइड दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल की थीम 'हाइपोथायराडिज्म-अनमास्किंग द काज एंड सिम्पटम्स' है। डॉ। गुप्ता ने बताया कि ये बीमारी पुरुषों की अपेक्षा में महिलाओं में अधिक होती है। यह एक हार्मोनल डिजीज है। इसलिए इस बीमारी में दवा का यूज रेगुलर करना चाहिए। मगर बीच में ही दवा बंद करने से प्रॉब्लम बढ़ जाती है। साथ ही दवा की मात्रा भी कम-ज्यादा हो सकती है। इसलिए समय-समय पर डॉक्टर से एडवाइस लेना भी जरूरी है। वरना दवा भी एक नई बीमारी का कारण बन सकती है।
सिंपटम्स -वजन का तेजी से बढ़ना -अधिक ब्लीडिंग -बांझपन -प्रेग्नेंसी का न ठहरना -थकान -उदासी-कब्जियत
-अवसाद
-मानसिक उलझन -आवाज का भारी होना -मांसपेशी में अकड़न -सूखी त्वचा -रुखे बाल -हाथ पांव का सुन्न होना ---------- यह बरतें सावधानी - फिजिकल वर्क के साथ एक्सरसाइज करें - जंक फूड का यूज कम से कम करें - सिम्पटम्स दिखने पर डॉक्टर से एडवाइस जरूर लें