World Cancer Day : 23 परसेंट को मुंह-गले का कैंसर, नियमित ट्रीटमेंट से चल पड़ी जिंदगानी
गोरखपुर (सुनील त्रिगुणायत)।विशेषज्ञों का कहना है कि सही समय पर अगर जानकारी हो जाए, तो कैंसर से बचाया जा सकता है। इसके लिए बेहतर खान-पान व जीवन शैली में बदलाव करना होगा। तभी इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है। हालांकि, नियमित ट्रीटमेंट से कई पेशेंट से अच्छा जीवन-यापन कर रहे हैं। गुटका, तंबाकू और सिगरेट कैंसर की वजह
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आने वाले पेशेंट्स में सबसे अधिक 23 परसेंट मुंह व गले के कैंसर से पीडि़त हैं। इसका मुख्य कारण पान मसाला, गुटका, तंबाकू और सिगरेट हैं। दूसरे नंबर पर बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के पेशेंट हैं। इनकी संख्या 18 परसेंट है। ब्रेस्ट कैंसर के 13 परसेंट व गालब्लेडर के कैंसर के 9.5 परसेंट मामले हैं। वहीं, 4.5 परसेंट को फेफड़े का कैंसर है। अन्य अंगों में कैंसर के मामले चार परसेंट से नीचे हैं। ऐसे में पान मसाला, गुटका, तंबाकू से बचाव बेहद जरूरी है।इसलिए मनाते हैं कैंसर डेपहली बार अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने 1933 में जनेवा में यह दिवस मनाया था। इसके बाद से इसी दिन हर साल लोगों को अवेयर करने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।बढ़ रही कैंसर पेशेंट्स की संख्या
हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल में प्रतिदिन 30 से 40 पेशेंट कैंसर के आ रहे हैं। इसमें ज्यादातर माउथ कैंसर, बच्चेदानी के मुंह और ब्रेस्ट कैंसर के पेशेंट शामिल हैं। जबकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पेशेंट की संख्या 10 के आसपास है। कैंसर के कारणतंबाकू और उससे बने उत्पादों का सेवन।लंबे समय तक शराब का सेवन।जंक फूड और फास्ट फूड का इस्तेमाल ।शरीर में गांठें बनना। बार-बार एक्स-रे करवाना।कैंसर के लक्षण- कोई घाव, जो ठीक न हो रहा हो- स्तन या शरीर के किसी हिस्से में गांठ या कड़ापन - कोई खरास, जो ठीक न हो रही हो- आवाज बैठ जाना या खांसी ठीक न होना - असामान्य रक्त स्राव या डिस्चार्ज - पेशाब की आदतों में परिवर्तन - खाने के बाद असुविधा महसूस करना- निगलने में कठिनाई - वजन में बिना किसी कारण वृद्धि व कमी - कोई नया तिल या मौजूदा तिल के परिवर्तन - कमजोरी या बहुत थकावट लगना। कैंसर से बचाव - तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें- कम वसा वाला भोजन करें, सब्जी, फलों और समूचे अनाजों का इस्तेमाल अधिक करें- नियमित व्यायाम करें एवं तनावमुक्त रहें कैंसर पेशेंट्स की ओपीडी वर्ष ओपीडी
2009 10012010 45452011 55252012 49482013 68042014 81822015 87902016 79962017 10,0732018 13,2912019 13,3002020 50002021 10,5532022 11,720(नोट: आंकड़े बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हैं.) केस 1
पश्चिमी चंपारण निवासी रामेश्वर सिंह तीन साल से मुंह व गले के कैंसर से पीडि़त थे। वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज कैंसर विभाग पहुंचे। जहां उन्होंने डॉक्टर से परामर्श लेकर प्रॉपर इलाज करवाया। अब वह स्वस्थ महसूस कर रहे हैं। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन कर रहे हैं। वह खुद अन्य लोगों को धूम्रपान नहीं करने के लिए अवेयर भी करते हैं।केस 2पादरी बाजार स्थित मोहनापुर की रहने वाली उमा देवी चार साल से ब्रेस्ट के कैंसर से ग्रसित हैं। इलाज में काफी पैसे खर्च हुए। परिजनों ने बीआरडी के डॉक्टर्स से संपर्क किया। डॉक्टर की सलाह पर नियमित इलाज करवाया। चेकअप के साथ रेगुलर दवाएं लेती हैं। अब वह स्वयं को ठीक महसूस कर रही हैं। केस 3सलेमपुर निवासी आराधना चार साल से गॉल ब्लेडर के कैंसर से पीडि़त हैं। इलाज में काफी पैसे खर्च होने के बाद आर्थिक स्थित खराब हो गई। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के कैंसर विभाग पहुंचे। जहां डॉक्टर ने रेगुलर चेकअप के साथ इलाज किया। अब वह अपने इलाज से संतुष्ट हैं। डॉक्टर की सलाह पर नियमित ओपीडी में आकर परामर्श लेती हैं।
कैंसर के ज्यादातर मामले मुंह और गले के कैंसर के आ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह तंबाकू और उससे बने उत्पाद का सेवन है। खान-पान और बदल रही जीवन शैली में अगर बदलाव किया जाए, तो इससे बचा जा सकता है।डॉ। राकेश कुमार रावत, प्रोफेसर व एचओडी कैंसर विभाग बीआरडी