अव्यवस्थाओं की चादर में बिलखती ममता
GORAKHPUR: एक मां नौ महीने तक कोख में अपने खून से बच्चे को सींचती है। उसके हर दिन बढ़ते अहसास को महसूस करती है। उसके साथ कई सपने देखती है। धीरे-धीरे वह उसकी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। आखिरकार वह दिन आता है, जब उसका 'लाल' इस दुनिया में आंखे खोलता है। हॉस्पिटल में बच्चे की गूंज से पूरा खानदान खुश हो उठता है। दो दिन तक वह मासूम मां की ममता की छांव में रहता है, लेकिन अचानक उसका शरीर पत्थर की तरह हो जाता है। मां पागल हो जाती है, बाप के अंाखों से आंसू थमने का नाम नहीं लेते हैं। बदहवास हालत में दौड़ते हुए पिता जब डॉक्टर को बुलाता है, तो पता चलता है कि उसका बच्चा इस दुनिया को छोड़कर जा चुका है। इतनी मन्नतों के बाद मिली औलद को अपने ही हाथों में मरा देख मां सदमे में चली जाती है। उसके आंसू सूख जाते हैं। यह किसी कहानी की पटकथा नहीं महिला अस्पताल में हर रोज की कहानी है.?
जब कहानी के पीछे का सच जानने की कोशिश की गई तो अव्यवस्थाओं की एक बड़ी चादर दिखाई दी.?पेश है आई नेक्स्ट का लाइव ऑपरेशन- उबल रहे थे नवजात-आई नेक्स्ट टीम सबसे पहले एएनसी वार्ड, एल-7 पहुंची। यहां 5 प्रसूता और 3 नवजात थे। पूछने पर पता चला कि एक नवजात को गर्मी के कारण प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है दूसरा मेडिकल कॉलेज में एडमिट है। वार्ड में गर्मी के कारण मां और नवजात दोनों बेहाल थे। पंखे गर्म हवा फेंक रहे थे। एक बंद कूलर भी कबाड़ की तरह खिड़की पर लगा हुआ था। परिजनों ने चादर को पर्दे की तरह लगाकर किसी तरह बाहर से आ रही धूप को रोकने का इंतजाम किया था। हालत यह थी कि आधे घंटे में हमारी टीम ही पसीने से लथपथ हो गई.?ऐसे में जरा सोचिए दो दिन के मासूम का क्या हाल होगा।
इनफेक्शन के बीच में मासूम- टीम एएनसी वार्ड, एल-6 पहुंची। यहां 4 प्रसूता अपने बच्चे के साथ एडमिट थी। वार्ड में फटे हुए गद्दे और गंदगी का अंबार था.?यही नहीं एक पंखा भी बंद था। गर्मी के मारे मासूम और मां दोनों का हाल बेहाल था। कहने के लिए दो एग्जॉस्ट फैन तो लगे थे लेकिन वे बंद पड़े हुए थे। अब जरा सोचिए ऐसी गर्मी में यहां मासूम का क्या हाल हो रहा होगा.? ये गर्मी तो मार डालेगी-एएनसी वार्ड, एल-4. इस वार्ड में प्री डिलेवरी वाले 4 पेशेंट मिले। सभी गर्मी से परेशान थे। न तो यहां कोई कूलर था और न कोई खिडकियों पर पर्दे पर लगे हुए थे। पंखे भी रेंगते हुए चल रहे थे.? चारों पेशेंट दर्द और गर्मी दोनों से परेशान थे।
नवजात शिशु?देखभाल कॉर्नर- अस्पताल में नवजात शिशु?की देखभाल के लिए नई बिल्डिंग में लाखों रुपए खर्च कर एक वार्ड बनवाया गया है। जब टीम इस वार्ड में पहुंची तो वहां एक सिस्टर मिली। उन्होंने बताया कि अभी यह चालू नहीं हुआ है। यहां कोई भी शिशु?नहीं लाया जाता है। कपड़े तक उतार डाले- अस्पताल की पहली मंजिल पर दो वार्ड बनाए गए है। एक वार्ड में 3 और दूसरे वार्ड में एक प्रसूता अपने नवजात के साथ मिली.पहले वार्ड में प्रवेश करते ही एक व्यक्ति बिना शर्ट?के लेटे हुए मिला। गर्मी?से उसकी हालत खराब थी। पूछने पर उसने बताया कि उसकी वाइफ सामने वाले पलंग पर एडमिट है.?गर्मी?के कारण बच्चे से लेकर मां तक की हालत खराब थी। दोनों ही वार्ड के यही हाल थे। जरा सोचिए एक 35 साल का व्यक्ति इस गर्मी?को नहीं झेल पा रहा है तो वह 2 दिन का बच्चा कैसे गर्मी?बर्दाश्त कर रहा होगा.? कूलर पंखा सब फेलइसके बाद टीम न्यू बिल्डिंग में पहुंची। वहां अभी एक वार्ड को ओपन किया गया है। इस वार्ड में 8 प्रसूता भर्ती थी। गर्मी?से वार्ड दीवारें तप रही थी। खुली खिडि़कियों से आ रही लू ने सभी को परेशान कर रखा था। ऐसा लग रहा था जैसे इस कमरे में लोगों को बंद कर उबाला जा रहा हो। कूलर से लेकर पंखा तक सभी गर्म?हवा फेंक रहे थे। नवजात बच्चे चीख रहे थे। उनकी रूदाली से पूरा माहौल गूंज रहा था। अब आप भी बताइए यह मासूम अपने ऊपर हो रहे इस जुल्म को कैसे बताएं।
आखिर क्यों न मरे मासूम- - महिला अस्पताल में केवल एक चाइल्ड?स्पेशलिस्ट है। ऐसे में सवाल उठता है कि 24 घंटे एक डॉक्टर दर्जनों नवजात बच्चों को कैसे देख सकता है? उनकी प्रॉपर केयर और इलाज कैसे हो सकता है? - नवजात के लिए एनआईसीयू की कोई व्यवस्था नहीं है। अगर हल्की सी भी तबियत खराब हो जाए तो मेडिकल या प्राइवेट?अस्पताल के अलावा कोई सहारा नहीं है.? - सारे वार्ड?में केवल नर्स?ही ड्यूटी देतीे है। किसी तरह कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होते हैं।