एक पल की चूक ले सकती है जान
-लापरवाही में हर रोज लोग अपनी जान डालते हैं खतरे में
-जल्दबाजी, स्टंट का शौक और शॉर्ट कट होता है खतरनाक - ट्रेन की चपेट में आकर महिला की मौत GORAKHPUR: हमारी एक चूक, जल्दबाजी और लापरवाही जिदंगी को खत्म कर सकती है। लोग नियम कानून ताक पर रख कर रोज गलती करते है और टोकने जाने पर बस इतना कहकर आगे बढ़ जाते हैं, सॉरी जल्दी थी। तरंग क्रासिंग के पास संडे मार्निग एक ऐसी घटना हुई जिससे लोगों की रूह कांप गई। जल्दबाजी के चक्कर में एक महिला की मौत हो गई। यह मौत सबक है उन लापरवाह लोगों के लिए जो हर रोज अपनी जिंदगी को बेवजह खतरे में डालते हैं। माल गाड़ी के नीचे से निकल रही थीगोरखनाथ के हुमायुपुर उत्तरी निवासी राम वृक्ष की पत्नी कुसुम (ब्0) संडे मार्निग 7 बजे तरंग क्रासिंग स्थित रेलवे ट्रैक पार करके रोड पर जा रही थी। रेलवे पटरी पर सिग्नल न होने के चलते एक मालगाड़ी काफी देर से खड़ी थी। प्रत्यदर्शियों के अनुसार सिग्नल न होने के चलते माल गाड़ी काफी समय से रुकी हुई थी, जिसके चलते महिला ट्रैक पार नहीं कर पा रही थी। अचानक उसने माल गाड़ी के नीचे से होकर ट्रैक पार करने का सोचा और अंदर दाखिल हो गई।
हादसे को देख दिल दहल गया महिला ट्रैक पार करने के लिए जैसी ही मालगाड़ी के नीचे से गुजरने का प्रयास कर रही थी कि अचानक वह चल दी। कुसुम ट्रेन की चपेट में आ गई और दो भाग में कट गई। ट्रेन के गुजरने के बाद लोगों की भीड़ ने हादसा देख शोर मचाना शुरू किया। सूचना पाकर जीआरपी तत्काल मौके पर पहुंच गई। तीन घंटे बाद हुई मौत कुसुम की हालत देख सबके हाथ पांव फूल गए। जीआरपी पुलिस ने उसे इलाज के लिए पहले डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचाया और फिर मेडिकल कॉलेज ले गए। करीब तीन घंटे तक उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टर्स प्रयास करते रहे। मार्निग दस बजे के बाद डॉक्टरों ने कुसुम को मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने बॉडी को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। बंद क्रासिंग करते हैं पारमानव रहित क्रासिंग तो दूर लोग क्रासिंग बंद होने के बाद नीचे से निकलने का प्रयास करते हैं। सिटी में तरंग क्रासिंग, कौवा बाग क्रासिंग, गोरखनाथ क्रासिंग, नंदा नगर क्रासिंग समेत अन्य रेलवे क्रासिंग गेट पर हर दिन हजारों लोग गेट बंद होने के बाद भी गेट के नीचे से पाकर होकर ट्रैक पार करते हैं। जबकि इससे पहले भी कई बार हादसे हो चुके हैं।
उतरने की रहती है जल्दबाजी अपनी मंजिल पर जल्दी पहुंचने की जल्दी में पैसेंजर्स जान हथेली पर भी रख देते हैं। खासतौर पर तरंग क्रासिंग और गोरखनाथ क्रासिंग के पास ट्रेन की स्पीड धीरे हो जाती है और उसी दौरान लोग चलती ट्रेन से उतरते हैं या फिर गेट पर लटक कर स्टेशन से प्लेटफॉर्म तक की यात्रा करते हैं। हालांकि इस तरह के हादसे रोकने के लिए रेलवे ने कई बार अभियान भी चलाए, लेकिन वह इसमें असफल साबित हुई है। नहींयूज करते हैं फुट ओवरब्रिज का विश्व के नंबर वन प्लेटफॉर्म का दर्जा प्राप्त गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर ही हर रोज हजारों लोग जान हथेली पर रखकर ट्रेन पकड़ते हैं। ओवरब्रिज होने के बाद भी लोग एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए पुल की जगह रेलवे ट्रैक पाकर करते हैं। हालांकि रेलवे में कानून बना है कि रेलवे पटरी पार करते समय पकड़े जाने पर सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है, लेकिन जुर्माना केवल हाथ की अंगुलियों तक ही सीमित हैं। क्यों रहती है जल्दबाजी?अक्सर लोगों में ट्रेन पकड़े की जल्दबाजी रहती हैं। ट्रेन का टाइम निश्चित रहता है, लेकिन स्टेशन पर पहुंचने के लिए लोग टाइम लगाते हैं और फिर ट्रेन को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागते हैं। यहीं नहीं ट्रेन के चलते के बाद भी लोग गेट पर लटक कर यात्रा करते हैं। ऐसी स्थिति में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता हैं।
आए दिन होते हैं हादसे ट्रेन कटकर जान जाने या फिर अपाहिज होने की सैकड़ों घटनाएं सामने आती है। उसके बाद भी लोग सबक नहीं लेते। गोरखपुर डिस्ट्रिक्ट में हर साल ट्रेन की चपेट में आकर करीब तीन दर्जन लोगों की मौत होती है और सैकड़ों लोग घायल होते हैं। मऊ क्रासिंग पर बस के ड्राइवर की लापरवाही से पांच मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं तरंग क्रासिंग के पास दो सालों के भीतर एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।