- 2006 में लगाई गई थी विप्रो कंपनी की सीटी स्कैन मशीन

- स्टाल करने के बाद दो बार हो चुकी है खराब

- अभी तक मरम्मत में हो चुके है लाखों खर्च

- मशीन खराब होने के कारण एक हफ्ते में लौटाए गए 120 पेशेंट

ख्00म् में लगाई गई थी विप्रो कंपनी की सीटी स्कैन मशीन

- स्टाल करने के बाद दो बार हो चुकी है खराब

- अभी तक मरम्मत में हो चुके है लाखों खर्च

- मशीन खराब होने के कारण एक हफ्ते में लौटाए गए क्ख्0 पेशेंट

GORAKHPUR: GORAKHPUR: जिला अस्पताल के क्षेत्रीय निदान केंद्र में क्भ् वर्ष पहले विप्रो कंपनी की सीटी स्कैन मशीन लगाई गई थी। मशीन की दो बार मरम्मत कराई जा चुकी है। जिस पर अस्पताल प्रशासन ने लाखों रुपये खर्च किए। एक्पर्ट का मनना है कि सीटी स्कैन का ट्यूब खराब है। उसे बदलने में ख्क् से ख्म् लाख रुपये खर्च होंगे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मशीन की मरम्मत में कितना पैसा खर्च किया गया होगा। क्फ् मई को मशीन में अचानक खराबी आ गई। जिसकी वजह से जांच पूरी तरह से प्रभावित हो गई। छह दिन के अंदर क्ख्0 पेशेंट को जांच के बगैर ही लौटाया दिया गया। इससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सीटी स्कैन मशीन कब तक ठीक कराई जाएगी। इस पर जिम्मेदार कुछ कह पाने से इंकार कर रहे हैं।

पेशेंट के साथ एक्सीडेंटल मामले की जांच में हो रही दिक्कत

सीटी स्कैन मशीन खराब होने से एक्सीडेंटल और सूट आउट से गंभीर पेशेंट परेशान है। सहजनवां एरिया के विनोद एक एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल थे। डॉक्टर ने सीटी स्कैन जांच कराने की सलाह दी। उसके फैमिली मेंबर्स आरडीसी सेंटर पहुंचे लेकिन यहां से उन्हें लौटा दिया गया। इतना ही नहीं थर्सडे की मार्निग को लगभग क्भ् से ख्0 पेशेंट जांच कराने आए थे लेकिन उनको मायूसी ही हाथ लगी। सूत्रों की माने तो सीटी स्कैन जांच की जगह जिम्मेदार पर्ची पर एक्सरे लिख रहे हैं। इसकी जगह मजबूरन पेशेंट को एक्सरे कराना पड़ रहा है।

मेडिकल कॉलेज भेजे जा रहे पेशेंट

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सीटी स्कैन मशीन खराब होने की वजह से पेशेंट को मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। जहां पेशेंट को एक घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट मिली जाती थी। वहां जांच के लिए मेडिकल कॉलेज जाने में ही कई घंटे लग जा रहे हैं। जिससे उनकी परेशानी बढ गई है।

भ् सौ रुपये की जगह देने पड़ रहे क्7 सौ रुपये

जिला अस्पताल में सीटी स्कैन जांच मात्र पांच सौ रुपये में होती है, वहीं बीपीएल और एपीएल कार्ड के लिए यह जांच फ्री है। ऐसे में प्राइवेट सीटी स्कैन वालों को पेशेंट्स पांच सौ रुपये की जगह क्7 रुपये देने के लिए मजबूर हैं। वहीं गरीब पेशेंट्स के जेब पर तो डाका पड़ जा रहा है।

छह दिन पहले ही दिया गया था आदेश

आरडीसी के जानकारों की माने तो सीटी स्कैन ठीक कराने के लिए छह दिन पहले ही अस्पताल प्रशासन को लिखित आदेश दिया गया था लेकिन आज तक मशीन को ठीक नहीं कराया जा सका। उधर कंपनी ने भी मशीन की मरम्मत करने से इंकार कर दिया है। क्योंकि अस्पताल प्रशासन पर कंपनी का पुराना बकाया है। बकाया धनराशी नहीं मिलने की वजह से कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए है।

सीटी स्कैन मशीन को ठीक कराने के लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। उधर रिपेयरिंग करने वाली कंपनी से बात चल रही है। जल्द ही मशीन की मरम्मत करवा ली जाएगी।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive