एक ट्यूबवेल के सहारे मेडिकल कॉलेज
- तीन में से दो ट्यूबवेल पड़े हैं खराब
- वॉटर सप्लाई न होने से समस्या बरकरार, भारी भरकम मेडिकल कॉलेज एक टंकी के सहारे तीन में से दो ट्यूबवेल पड़े हैं खराब - वॉटर सप्लाई न होने से समस्या बरकरार, भारी भरकम मेडिकल कॉलेज एक टंकी के सहारे GORAKHPUR: GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पानी के तीन ट्यूबवेल में से दो पूरी तरह से सुख चुके हैं। एक ट्यूबवेल के भरोसे इतने भारी भरकम मेडिकल कॉलेज की पानी सप्लाई की जा रही है। अगर बाकी बचे इस ट्यूबवेल में कोई गड़बड़ी आ जाती है तो मरीजों और उनके साथ आने वाले तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस मामले की जानकारी होने के बाद जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं और उन्होंने खराब पड़े ट्यूबवेल को ठीक कराने के लिए कोशिश नहीं शुरू की है। पहले भी आ चुकी है खराबीमेडिकल कॉलेज में एक ट्यूबवेल के सहारे वॉटर सप्लाई है। अभी कुछ दिन पहले ट्यूबवेल के मोटर में आई खराबी की वजह से वॉटर सप्लाई पूरी तरह बाधित हो गई। इसकी वजह से मरीज और तीमारदारों को खासी परेशानी झेलनी पड़ गई। इस समस्या से निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आनन-फानन में नया मोटर लगवाया। तब जाकर समस्या का समाधान हो सका। मगर जुगाड़ की यह व्यवस्था कब तक कारगर होगी? यह कोई नहीं बता सकता। लेकिन अगर इस आखिरी सही बचे ट्यूबवेल में कोई खराबी आती है, तो मेडिकल कॉलेज में सभी बूंद-बूंद पानी का तरसेंगे।
एक ट्यूबवेल से सब प्यासे पीने के पानी से लेकर अन्य कामों में लाने के लिए पानी का जबरदस्त इस्तेमाल हो रहा है। इसकी वजह से मेडिकल कॉलेज की पानी व्यवस्था को एक ट्यूबवेल संभालने में नाकाम है। पीएमआरआई सेंटर, ट्रॉमा सेंटर समेत कई विभागों में अब भी पानी का संकट बरकरार है। बाथरूम में पानी न होने से सभी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इस बात से मेडिकल कॉलेज प्रशासन बाखूबी वाकिफ है। फिर भी वह इस व्यवस्था को सुदृढ़ कराने के लिए बजट के आने का इंतजार कर रहे हैं। सिर्फ किए जाते हैं दावेनाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में विभिन्न समस्याएं हैं। इसे सिर्फ कागजों में ठीक कराने का दावा किया जाता है, लेकिन पर्दे के पीछे की हकीकत कुछ और है। अब डॉक्टर और पेशेंट्स व तीमारदार यहां का पानी पीने से परहेज करते हैं। मेडिकल कॉलेज के वॉटर कूलर का पानी नहीं है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद ट्यूबवेल लगाए गए, लेकिन वह भी खराब पड़े हैं। वहीं वार्ड में अलग से अव्वल दर्जे का फिल्टर भी लगाए गए। इसकी वर्तमान में स्थिति बेहद ही खराब हो चुकी है। शुद्ध पेय जल की कोई व्यवस्था नहीं है।
संसाधन ट्यूबवेल की संख्या-फ् खराब- ख् सप्लाई एरिया - भिन्न वार्ड उधर बीच में ट्यूबवेल का मोटर खराब हुआ था, उसे बदलवा दिया गया है। पानी की सप्लाई बहाल कर दी गई है। अभी कुछ कमियां है उसे दूर कर लिया जाएगा। डॉ.राजीव मिश्रा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज