एक करोड़ टैक्स के बाद भी हैं प्यासे
- महेवा मंडी का हाल
- खरीदे गए पानी से व्यापारी बुझाते हैं प्यास GORAKHPUR: महेवा मंडी में पेयजल की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। इसी की नतीजा है कि एक करोड़ रुपए टैक्स देने के बाद भी व्यापारी पेयजल की व्यवस्था से दूर हैं। बढ़ती गर्मी के बीच यहां व्यापारी बाहर से पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। हालांकि पिछले दिनों मंडी प्रशासन ने दावा किया था कि पेयजल की सुविधा के लिए वॉटर कूलर लगाए जाएंगे, मगर अब तक इनका कुछ पता नहीं है। इस बारे में जिम्मेदारों का कहना है कि पाइप लाइन सप्लाई न होने की वजह से मामला ठंडे बस्ते में है। मोटा टैक्स, सुविधा नहींपूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी कही जाने वाली महेवा मंडी में फल-सब्जी, गल्ला और मछली का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। यहां करीब 600 दुकानें हैं। इसके सापेक्ष कुल 900 कारोबारी लाइसेंस होल्डर हैं। इन लोगों से कारोबार का ढाई प्रतिशत शुल्क मंडी समिति वसूल करती है। इसमें से आधा शुल्क सुविधा के नाम पर लिया जाता है। इसके बाद भी यहां व्यापारी पेयजल आदि सुविधाओं से महरूम हैं।
पिछले साल गर्मी में चार इंडिया मार्का हैंडपंप लगाए गए थे। इनमें से दो पूरी तरह सूख चुके हैं। वहीं मंडी समिति की ओर से लगाए जाने वाले वॉटर कूलर भी नहीं लगे हैं। इस कारण सभी को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
राजन गुप्ता मंडी में पेयजल की व्यवस्था नहीं है। मजबूरन व्यापारी पानी पर पैसे खर्च कर रहे हैं। जिम्मेदार व्यापारियों की समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देते हैं। हालांकि यहां जो इंडिया मार्का हैंडपंप चालू हालत में हैं, उनका पानी पीने योग्य नहीं है। फिरोज अहमद राईन, महामंत्री बीच में वॉटर कूलर लगाने का काम चल रहा था। निर्माण विभाग द्वारा पाइप लाइन सप्लाई का काम पूरा न होने से काम बंद कर दिया गया। जल्द ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा। सुभाष यादव, सचिव मंडी समिति