परदेसियों को पोलिंग बूथ तक पहुंचा गई डेवलपमेंट की आस
- चरगांवा ब्लॉक के मिर्जापुर की दशा बदलने के लिए गांव वालों ने दिया वोट
- बदहाल सड़के, बिजली के खंभे और गांव की बदहाली से उबारने के लिए दूसरे शहर से वोट डालने आए ग्रामीणGORAKHPUR: चरगांवा ब्लॉक के गांव मिर्जापुर की सड़कें पूरी तरह से बदहाल है। बिजली के तार भी बांस के खंभों पर लटके नजर आते हैं। डेवलपमेंट के नाम पर चुने गए जनप्रतिनिधियों ने अब तक कोई खास काम नहीं किया। उन्होंने जनता को धोखा दिया, इसलिए अब वक्त आया है ऐसे लोगों को सबक सिखाने का। एक वोट भी प्रत्याशियों की जीत को हार में बदलने के लिए काफी है, बस यही सोच कर वोट डालने के लिए आई हूं। अगर मेरा वोट दिया कैंडिडेट जीत गया और उसने गांव के विकास के लिए कुछ कर दिया, तो समझूंगी की मेरा आना सफल हो गया। यह कहना है कि पोलिंग बूथ पर आई सुनीता का, जो हरियाणा से गोरखपुर सिर्फ अपने गांव की दशा बदलने के लिए वोटिंग राइट का इस्तेमाल करने के लिए पहुंची।
उम्र ढल गई, हालात जस के तसगांव में बरसों से वोट डालने वाली बुजुर्ग महिलाएं राजमति, कैकई और नगीना बताती हैं कि गांव के हालात देखते हुए उनकी उम्र ढल गई। आज भी यहां की सड़के जस की तस हैं, डेवलपमेंट के नाम पर भी कोई काम नहीं हुआ। आज भी यह गांव पिछड़े एरिया जैसा ही है। क्या पता अगले चुनाव में जिंदा रहेंगे या नहीं, लेकिन सिर्फ इसलिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया है ताकि गांव की तस्वीर बदलने में अपना योगदान भी कर सकूं।
त्योहारों से कीमती है वोट गांव की बदहाली की वजह से दिल्ली में जा बसे रामसूरत बताते हैं कि दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। पूरी फैमिली भी अब दिल्ली रहती है। एक दशक पहले जो गांव के हालात थे, वह आज भी हैं। बस यही सोचकर वोट देने के लिए चले आए कि शायद इस बार ही गांव की सूरत बदल जाए। इसके लिए उन्होंने दो महीने पहले से ही टिकट ले लिया था। राम सूरत की मानें तो सिर्फ इलेक्शन की वजह से उन्होंने दीवाली और छठ के लिए भी छुट्टी नहीं ली, जब इलेक्शन हुआ है, तो वह इसमें अपना कीमती वोट डालने के लिए आ पहुंचे। शायद बदल जाए यह 'तस्वीर'मिर्जापुर गांव में रहने वाले लोगों की मानें तो उनका गांव शहर से काफी नजदीक है। ऐसे में डेवलपमेंट बेहद जरूरी है। गांव की तस्वीर बदलने के लिए इस बार गांव के ग्राम प्रधान प्रत्याशियों ने बड़े-बड़े दावे और वादे किए हैं, अब उनके दावे और वादे में कितना दम है। यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन उम्मीदों के सहारे वोटर्स भी पोलिंग बूथों तक पहुंचे हैं कि शायद इस बार ही गांव की तस्वीर बदल जाए।