पूर्वांचल में पनपने वाली बीमारियों की पहचान के लिए अब जिम्मेदारों को दूर तक नहीं दौड़ लगानी होगी. उनका मौके पर ही स्पेसिमेन लेकर ऑनस्पॉट ही वायरस और बैक्टेरिया की जांच हो सकेगी. इसके लिए गोरखपुर में अब आईसीएमआर क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र की तरफ से बीएसएल-3 मोबाइल लैब अब जगह-जगह दौड़ लगाएगी. वहीं स्पॉट पर जाकर सैैंपल की जांच करेगी.


गोरखपुर (ब्यूरो)। किसी भी एरिया में जाकर यह मोबाइल लैब वायरोलाजिस्ट की मदद से सीधे वायरस और बैक्टेरिया की पहचान कर सकेंगे। देश की यह दूसरी बस है जो महाराष्ट्र के नासिक के बाद अब यूपी के गोरखपुर में आएगी।15 मई तक आने की उम्मीदजिम्मेदारों की मानें तो यह बस पूरी तरह से टेक्नोलॉजी बेस्ड के साथ-साथ फुली एयरकंडीशंड है। यह देश-विदेश के किसी भी एक्सपर्ट लैब से कनेक्ट हो सकेगी। यह मोबाइल बीएसएल-3 लैब बस गोरखपुर में 15 मई तक आने की उम्मीद है। इसका उद्घाटन आईसीएमआर महानिदेशक और सीएम योगी आदित्यनाथ के हाथों होने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल आरएमआरसी ने इसके उद्घाटन की तैयारी शुरू कर दी है।तीन प्रोसेज के एक्यूपमेंट्स से होगी पहचान


गोरखपुर व आसपास के जिले में तेजी के साथ इंसेफेलाइटिस, डेंगू, जीका वायरस व कोरोना समेत अन्य बीमारियों के वायरस और बैक्टेरिया की पहचान होगी। बस की खासियत के बारे में जानकारी देते हुए आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी व वायरोलाजिस्ट डॉ। अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि यह मोबाइल बस कंप्लीटली बीएसएल-3 लैब होगी, जो मोबाइल है। यह पूरी तरह से एयर टाइट व आटोमैटिक है। जो बाहर के एनवायर्नमेंट को प्रभावित नहीं करेगी। साथ ही इसमें वैक्यूम लगे होंगे, जो सॉलिड वेस्ट कंटेट को डिस्पोज करने में सक्षम हैं। बायो सेफ्टी होगी। इसमें तीन विधि से किसी भी वायरस या बैक्टेरिया की पहचान के लिए माइक्रोस्कोपी, एलाइजा व पीसीआर टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध होगी।ट्रांसपोर्ट करने में नहीं होगा खतरा उन्होंने बताया कि बस को कहीं भी ले जाकर वहां पर सैैंपल कलेक्ट किए जा सकेंगे और वहीं टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। अक्सर क्या होता है कि किसी भी वायरस या बैक्टेरिया के टेस्टिंग के दौरान ट्रांसपोर्ट करने में खतरा रहता है या फिर सैैंपल लैब तक पहुंचने में समस्याएं आती हैैं। ऐसी कंडीशन में यह लैब खुद ही उस जगह पर पहुंच कर केस ट्रेस करने का काम करेगी। उन्होंने बताया कि इसकी सबसे खास बात यह होगी कि किसी भी प्रकार के पैथोजन (वायरस या बैक्टेरिया) की रोकथाम में मददगार साबित होगी। गोरखपुर-बस्ती मंडल समेत नेपाल और बिहार तक यह अपनी सेवा देगी।यह है इसकी खासियत - फुली एसी एंड एयर टाइट - एलाइजा, माइक्रोस्कोपी व पीसीआर से लैस - इंटरनेट, सेटेलाइट, जीपीएस सिस्टम - मोबाइल बस को ट्रैकिंग किया जा सकता है - वायरोलाजिस्ट की टीम होगी- देश-विदेश के किसी भी बीएसएल-थ्री लैब से कनेक्टिविटी - हाई लेवल के साथ-साथ एडवांस इक्विपमेंट्स से लैस

- सारे इक्विपमेंट्स के फंक्शन की मॉनीटरिंग के लिए मॉनीटर स्क्रीनयह है खासियत - - यह एक बड़े बस के आकार की होगी।- मोबाइल लैब वाली बस की लंबाई सामान्य बस से लगभग डेढ़ गुना अधिक है।- लैब में सभी आधुनिक सुविधाएं रहेंगी।- इस लैब की सहायता से वायरोलाजिस्ट संक्रमित क्षेत्रों में जाकर बीमारी फैलाने वाले वायरस पर रिसर्च कर सकेंगे।- इन बीमारियों पर भी होगा रिसर्च - येलो फीवर वायरस- वेस्ट नाइल वायरस- कोरोना वायरस- स्वाइन फ्लू वायरस- मर्स वायरस - इंसेफेलाइटिस - स्क्रब टायफस- डेंगू - मलेरिया- हेपेटाइटिस - ड्रग रेजिस्टेंट - टीबी बैक्टेरियाबीएसएल-थ्री लैब पूरी तरह से मोबाइल बस है, जो हाईटेक के साथ-साथ पूरी तरह से इंटनेट, सेटेलाइट व जीपीएस से लैस है। यह बस 15-20 मई तक गोरखपुर में आ जाएगी। अभी यह बस आईसीएमआर दिल्ली हेड क्वार्टर में मौजूद है। वहां से आने के बाद इसका उद्घाटन होगा। - डॉ। अशोक पांडेय, वायरोलाजिस्ट, मीडिया प्रभारी, आरएमआरसी गोरखपुर

Posted By: Inextlive