वर्चुअल में ओके, हकीकत में 'धोखे'
-जिला महिला अस्पताल की व्यवस्था की दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम के रियल्टी चेक में खुली पोल
-किसी का नहीं हुआ इलाज तो कोई बिना अल्ट्रासाउंड का लौटा GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल की व्यवस्था की जांच कर दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी उठाने वाली टीम को यहां के कर्मचारी गुमराह करते दिखे। एक तरफ टीम वर्चुअल तरीके से इंस्पेक्शन कर रही थी तो दूसरी तरफ कर्मचारी टूटे टाइल्स को कागज से ढकने का प्रयास करते दिखे। गुरुवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रियल्टी चेक में यह नजारा कैमेरे में कैद किया गया। जांच टीम से अपनी कमियों को छुपाने का यह प्रयास लोगों के साथ धोखा है। वहीं, मरीज इलाज के लिए भटकते भी दिखे। वर्चुअल विजिट में सब चकाचकजिला महिला अस्पताल में आने वाले मरीजों के एंट्री करने से लेकर उसके इलाज और ऑपरेशन और डिस्चार्ज तक की सारी व्यवस्था की टेस्ट क्वालिटी नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड की टीम हर साल करती है। इस बार कोरोना पैंडेमिक में टीम वर्चुअली टेस्ट कर रही है। वर्चुअली टेस्टिंग टीम में गुजरात की डॉ। नलिनी, तमिलनाडु से डॉ। समीर सिंह व आंध्र प्रदेश से डॉ। बीवी राव जुड़े थे। सुबह 10 बजे से ही टीम मोबाइल पर जुड़ गई थी। इसकी अगुवाई जिला महिला अस्पताल की एसआईसी डॉ माला सिन्हा, डिविजनल कंसल्टेंट क्वालिटी एश्योरेंस डॉ। जसवंत मल्ल, डिस्ट्रिक्ट कंसल्टेंट डॉ। मुस्तफा खान, हॉस्पिटल मैनेजर डॉ। कमलेश व हेल्प डेस्क मैनेजर अमरनाथ जायसवाल कर रहे थे। इन्होंने जानबूझकर पहले दिन जिला महिला अस्पताल की उन जगहों की वर्चुअल विजिट कराई जहां सब कुछ चकाचक था।
प्लीज अल्ट्रासाउंड कर लीजिए न वहीं, इलाज कराने के लिए नंदानगर दरगहिया से आई सरिता मेडिकल स्टाफ से गुहार लगाते दिखी। कह रहीं थी बहुत दर्द हो रहा है। आठवां महीना है। मैडम अल्ट्रासाउंड कर लीजिए। तभी भीतर से एक नर्स की आवाज आती है। टोकन लेकर आईए। बिना टोकन अल्ट्रासाउंड नहीं होगा। वैसे भी अल्ट्रासाउंड की एक मशीन खराब है। एक डॉक्टर हैं। वह भी इंस्पेक्शन ड्यूटी में 23 नंबर रूम में गए हैं। दूसरे डॉक्टर हैं तो उनकी तबीयत खराब है। यह सबकुछ नजारा देखने को तब मिला जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर गुरुवार को जिला महिला अस्पताल में रियल्टी चेक करने पहुंचा। वह भी तब जब एक तरफ गुजरात, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के डॉक्टरों की टीम वर्चुअल विजिट कर रही थी तो दूसरी तरफ पुराने जर्जर बिल्डिंग में प्रेग्नेंट लेडी बिना अल्ट्रासाउंड लौट रही थी। डिलीवरी रूम के बाहर हंगामादैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम आगे बढ़ी तो डिलीवरी रूम के बाहर प्रेग्नेंट लेडी के परिजन नजर आए। कैमरा देखते ही सभी ने अपनी समस्या शेयर करना शुरू कर दिया। तीमारदार टिंकू ने बताया कि पत्नी आरती के इलाज पर डॉक्टर व नर्स ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं, डॉ सुषमा वर्मा ने रिपोर्टर को बताया कि ऐसा नहीं है। चूंकि तीसरा बच्चा है, प्रसूता को पेन होना स्वाभाविक है। ऐसे में 12-24 घंटे तक धैर्य बनाना परिजन का काम होता है। खैर, टीम जब वहां से वापस निकली तो साफ-सफाई बेहतर दिखा। 100 शैय्या बेड के एंट्री गेट पर रामाशीष मिला। जो थर्मल स्कैनर के जरिए मरीज और तीमारदारों को बॉडी टेम्प्रेचर चेक कर रहा था। 100 शैय्या बेड हॉस्पिटल में साफ-सफाई के साथ-साथ सबकुछ प्रॉपर वे में था।
फैक्ट फीगर जिला महिला अस्पताल में रेगुलर डॉक्टर - 10 जिला महिला अस्पताल में संविदा डॉक्टर - 10 स्टाफ नर्स रेगुलर - 20 संविदा पर नर्स - 9 वर्चुअल विजिट में शामिल टीम के मेंबर गुजरात से जुड़ी थी - डॉ। नलिनी तमिलनाडू से जुड़े थे - डॉ। समीर सिंह आंध्र प्रदेश से जुड़े थे - डॉ बीवी राव कोट्सभाई की पत्नी की डिलीवरी है। तीसरा बच्चा है। लेकिन लापरवाही इतनी है कि पूछिए मत। कोई भी डॉक्टर या नर्स सही ढंग से बात नहीं करता है और ना ही जवाब देता है। जबकि, वह दर्द से कराह रही है।
सोनू कुमार, तीमारदार मेरे पेट में दर्द है। मेंहदावल से आई हूं। लेकिन अल्ट्रासाउंड नहीं हुआ। पर्ची भी कटवाई, लेकिन टोकन नहीं होने से वापस कर दिया गया। जबकि एक घंटे से इंतजार कर रही हूं। रूबी, मरीज सुबह 10 बजे डॉक्टर से दिखाई हूं। डॉक्टर से दिखाने के बाद अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलोजी विभाग भेजा गया। लेकिन यहां आने पर टोकन मांगा जा रहा है। कोई जानकारी ही थी। अब वापस जा रहे हैं। रूबी सिंह, मरीज वर्जन अल्ट्रासाउंड में इस वक्त एक डॉक्टर एमपी त्रिपाठी हैं। दूसरे डॉक्टर चले गए। तीसरे की तबीयत खराब है। अल्ट्रासाउंड के लिए जिस बिल्िडग में मशीनें रखी हुई हैं। उसकी छत के मरम्मत के लिए 9 लाख रुपए का बजट डिमांड के लिए भेजा गया है। डॉ। माला सिन्हा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल