सफाईकर्मियों की फौज के बावजूद गांवों में गंदगी
- पांच वर्षो से गांवों में नहीं हुई सफाई
- सफाईकर्मी दिखा रहे काम के प्रति लापरवाही JANGAL KAUDIA: क्षेत्र के गांवों में तैनात की गई सफाईकर्मियों की फौज के बाद भी गांव गंदे पड़े हैं। इसके लिए सफाईकर्मी ही नहीं पंचायती राज विभाग भी पूरी तरह जिम्मेदार है। यहां सफाईकर्मियों को सफाई के लिए सिर्फ कुदाल और ठेला ही कुछ गांवों मे उपलब्ध कराए गए हैं। पांच साल से सुधार का इंतजार पंचायती राज विभाग ने क्षेत्र में पांच साल पूर्व गांवों की साफ-सफाई के लिए बड़े पैमाने पर सफाईकर्मियों की नियुक्ति की थी। इससे ग्रामीणों को क्षेत्र की स्थिति सुधरने की उम्मीद जगी थी, लेकिन तैनाती के कुछ ही समय बाद विभाग और सफाई कर्मियों की उदासीनता सामने आ गई। बिना काम उठा रहे वेतनजंगल कौडि़या ब्लॉक में 224 सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सफाईकर्मी गांवों में जाते तो हैं लेकिन काम नहीं करते। विभागीय नियम ये है कि प्रत्येक कार्य दिवस पर गांवों में दो शिफ्ट यानि सुबह 7 बजे से 11 बजे तक और दोपहर 3 बजे से 6 बजे तक साफ-सफाई की जाए। सफाईकर्मियों का हाजिरी रजिस्टर ग्राम प्रधान के पास रहता है। इसमें रोज हाजिरी दर्शाना आवश्यक होता है। इसी के आधार पर उनका पेरोल बना कर वेतन भुगतान किया जाता है। गांवों में सफाईकर्मियों की हाजिरी तो हमेशा बराबर रहती है लेकिन सफाई का कहीं नामोनिशान नहीं दिखता। पिछले पांच वर्षो से बिना काम के वेतन लेने का ये खेल इसी तरह बेधड़क चल रहा है।
इन जगहों पर करनी होती है सफाई सफाई कर्मियों को गांव के खड़ंजा, सड़क, नाली, पंचायत भवन, एनएम सेंटर, सामुदायिक केंद्र एवं स्कूल, सार्वजनिक शौचालय, खेल के मैदान, हैंडपंप एवं सरकारी नलकूप के आस-पास, खलिहान और अन्य सार्वजनिक स्थानों की सफाई करने की जिम्मेदारी दी गई है। इनके कामों का निरीक्षण एवं सफाई की स्थिति जांचने की जिम्मेदारी एडीओ, बीडीओ एवं डीपी आरओ स्तर के लोगों को सौंपी गई है। अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ये लोग किस तरह करते आ रहे हैं इसका अंदाजा ब्लॉक के किसी भी गांव की गली या खड़ंजे को देख कर लगाया जा सकता है। गांवों के लिए बुनियादी सफाई उपकरण लोहे का ठेला दो फावड़ा छह डलिया चार खुर्पा चार तौलिया दो झाड़ू एक साबुन एक दिन के लिए पांच किलो ब्लीचिंग पाउडर एक माह के लिए दो लीटर फिनायलसफाईकर्मियों की मॉनीटरिंग बराबर की जाती है और समय-समय पर उन्हें चेतावनी भी दी जाती है।
ताजुल आफरीन, एडीओ पंचायत जंगल कौडि़या