- घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से गोला तहसील स्थित बारानगर गांव के नौका टोला पर संकट

- दर्जनों घरों का समाप्त हो जाएगा अस्तित्व, खेतों को पहले ही बना चुकी है शिकार

GOPALPUR: घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से गोला तहसील स्थित बारानगर गांव के नौका टोला पर संकट गहराने लगा है। जैसे-जैसे नदी में पानी बढ़ रहा है इस टोले में रहने वाले लोगों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। लगातार कई वर्षो से नदी के काटने से पहले ही गांव की काफी जमीन नदी में विलिन हो चुकी है। पिछले वर्ष इस टोले के कई घरों को नदी ने काट लिया था। गांव के लोगों ने टोले को बचाने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी समस्या उठाई लेकिन नदी की कटान से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया।

सैकड़ों बीघे खेत नदी में समाए

इससे पहले करीब 20 वर्षो से नदी में हो रहे कटान से गांव और आसपास के किसानों की सैकड़ों बीघा खेती योग्य भूमि नदी में विलिन हो चुकी है। जिससे दर्जनों किसानों का काफी नुकसान हो चुका है। अगर जनप्रतिनिधि और प्रशासन समय रहते चेता होता तो इन किसानों की जमीन बच सकती थी।

समाप्त हो गई दलित बस्ती

सालों से नदी में हो रहे कटान की जानकारी प्रशासन को भी है। करीब 20 वर्ष पहले नौका टोला और नदी के बीच दलित बस्ती हुआ करती थी। जो कटान के कारण नदी में विलिन हो गई। टोले के लोगों गांव में दूसरे स्थान या दूसरे गांवों में अपना ठिकाना बना लिया। गांव के करीब तीन दर्जन परिवार पास के गांव दुरुई में जाकर रहने लगे। अब नदी का विकराल होता रूप और प्रशासन की उदासीनता के कारण गांव के लोग परेशान हैं।

आधा दर्जन घर डूबे

करीब एक किलोमीटर खेती योग्य भूमि और एक टोले को निगलने के बाद नदी करीब पांच सालों बारानगर गांव के मल्लाह टोले को काट रही है। अब तक टोले के करीब आठ घर नदी में में बह चुके हैं। गांव निवासी केशव गुप्ता, रामसकल, रामप्यारे, ऋषि, रामकवल गुप्ता, छोटे लाल, स्वामीनाथ, उदयभान, सुरेश, रतन लाल, रामअधारे, मोहन, राजबली, रिखी म?ाह, रामसकल म?ाह आदि का घर सहित बालेश्वर मौर्य, मोहन मौर्य, शीतल विश्वकर्मा का पूरा खेत कटकर बह चुका है।

टरका देते हैं जनप्रतिनिधि

बाढ़ के समय अधिकारियों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का दौरा हर साल कटान स्थल पर होता है। दौरे के दौरान जिम्मेदार इस टोले की सुरक्षा के लिए वोल्डर पिचिंग का आश्वासन भी देते हैं लेकिन बाढ़ बीत जाने के बाद किसी को याद भी नहीं रहता। गांव के प्रधान राजेश मौर्या कहते हैं कि तहसील दिवस से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पर भी गांव के लोग टोले को बचाने के लिए धरना-प्रदर्शन कर चुके है लेकिन कुछ नहीं हुआ।

ग्रामीणों में भारी रोष

बारानगर निवासी 45 वर्षीय भागीरथी का कहना है घर को छोड़कर एक मीटर जमीन भी शेष नहीं बची है। अब घर भी नहीं बचेगा तो पूरा परिवार लेकर कहां जाऊंगा। दिन भर नाव चला और मछली मारकर पूरे परिवार का पेट पालता हूं। कोई भी सरकारी सहायता भी नसाीब नहीं हुई। 65 वर्षीय रामप्यारे साहनी कहते हैं छप्पर व घर कटान में बह चुका है। जो बचा है वह भी कटने ही वाला है। अब गांव छोड़कर कहां जाए.कुछ समझ में नहीं आ रहा है। पुरूषोत्तम पाल कहते है कि अधिकारी से लेकर नेता तक सबके पास तो हम लोग दौड़ लगा चुके हैं लेकिन सब आश्वासन देकर चुप हो जाते हैं। रणधीर सिंह कहते हैं कि म?ाह टोलो ही नहीं बारानगर सरयू पम्प कैनाल तक खतरा बना हुआ है। अगर सरकार को गांव वालों की नहीं चिन्ता है तो उसे पम्प कैनाल को तो बचाने का प्रयास करना चाहिए।

गांव को बचाने के लिए बोल्डर पीचिंग आदि की अभी कोई योजना नही है। बचाव के लिये कोई योजना बनेगी तो कार्य किया जायेगा।

नलिनिकांत सिंह, एसडीएम गोला

Posted By: Inextlive