- सिलेंडर से लगी आग, थाने में नहीं दर्ज हो मुकदमे

- दस्तावेजी औपचारिकता के अभाव में दौड़ रहे पीडि़त

GORAKHPUR: रसोई गैस से होने वाली दुर्घटना के मुआवजे के भुगतान में पुलिस की रिपोर्ट नहीं होने होना आड़े आ रहा है। एफआईआर दर्ज नहीं होने की कीमत पीडि़त परिवारों परेशान होकर चुकानी पड़ रही है। क्लेम का भुगतान देने वाली कंपनियां कानूनी औपचारिकता के अभाव में फाइलें रिजेक्ट कर दे रही हैं। इसलिए पीडि़त परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एजेंसी संचालकों का कहना है कि उपभोक्ता नियमों का पालन नहीं करते, इसलिए प्रॉब्लम आती है। हालांकि सही जानकारी के अभाव में पीडि़त परिवारों को प्रॉब्लम उठानी पड़ रही है।

केस एक:

07 नवंबर 2016 गुलरिहा एरिया के सरहरी, बनरहां टोले में सिलेंडर फटने से आग लगी। अगलगी की चपेट में एक महिला सहित तीन लोगों की मौत हो गई। मृतकों में एक ही परिवार के पिता-पुत्र भी शामिल थे। इस मामले में पुलिस ने कोई प्राथमिकी नहीं दर्ज की। मुआवजा क्लेम करने के बाद से संबंधित बीमा कंपनियां एफआईआर की नकल मांग रही हैं। पीडि़त परिवार अब थाने का चक्कर लगा रहा है।

केस दो:

01 फरवरी 2016: बांसगांव एरिया के गोछरन गांव में सिलेंडर फटने से आग लग गई। आग की चपेट में आने से परिवार का एक सदस्य झुलस गया। आग पर काबू न होने से करीब 25 लाख रुपए का नुकसान हुआ। जांच-पड़ताल के बाद पुलिस ने कार्रवाई पूरी कर ली। बीमा क्लेम करने के लिए एफआईआर की जरूरत पड़ रही है। एफआईआर न होने से पीडि़त परिवार इधर-उधर भटक रहा है।

बीमा भुगतान के लिए ये जरूरी

- जिस नाम, पते से सिलेंडर लिया गया है, उसी पते पर सिलेंडर फटने से दुर्घटना होने पर क्लेम किया जा सकता है।

- दुर्घटना के दौरान रेगुलेटर, अन्य सभी सामान संबंधित एजेंसी और कंपनी का इस्तेमाल होना चाहिए।

- एजेंसी से खरीदे गए हर सामान पर आईएसआई मार्का होना जरूरी है।

- बाजार से खरीदे गए किसी सामान पर बीमा कंपनी की ओर से लाभ नहीं मिलेगा।

इस तरह मिलती बीमा राशि

- दुर्घटना के बाद गैस एजेंसी, पुलिस को तुरंत सूचित करना चाहिए।

- बिना किसी के बहकावे में आए प्रॉपर तरीके से एफआईआर दर्ज कराएं।

- उपभोक्ता के साथ हुई घटना की सूचना एजेंसी की ओर से गैस एजेंसी को दी जाती है।

- बीमा कंपनी के कर्मचारी घटनास्थल पर जाकर नुकसान का आंकलन करते हैं।

- बीमा कंपनी के कर्मचारियों की ओर से कंपनी को रिपोर्ट दी जाती है।

- रिपोर्ट के आधार पर बीमा कंपनी नुकसान का आंकलन करती है।

- मौत की दशा में मृत व्यक्ति की उम्र और उसकी इनकम से क्लेम तय किया जाता है।

- सभी प्रकार की कानूनी औपचारिकता पूरी करने पर बीमा कंपनी भुगतान करती है।

उपभोक्ताओं को नहीं करते जागरूक

सामान्य परिस्थितियों में गैस सिलेंडर से होने वाले एक्सीडेंट को लेकर कोई सजग नहीं रहता। यहां तक कि कनेक्शन देते समय एजेंसियां भी इसके बारे में किसी को जागरूक नहीं करती। बीमा योजना के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी देने की जिम्मेदारी संबंधित गैस एजेंसी की होती है। हर एजेंसी में बोर्ड लगाकर योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। सतर्कता बरतने से गैस सिलेंडर से होने वाले हादसों को कम किया जा सकता है।

इस बात का हमेशा रखें ख्याल

- घर में सिलेंडर को हमेशा खुली जगह पर रखें

- रात में नाब को जरूर बंद कर दें।

- लीकेज का अंदेशा होने पर बल्ब, माचिस न जलाएं।

- लीकेज होने पर खिड़की-दरवाजे तुरंत खोलें।

- गैस पाइप को समय-समय पर बदलते रहें।

वर्जन

मृतकों का पंचनामा, पोस्टमार्टम कराए जाने की दशा में थाना की जीडी में लिखा-पढ़ी की जाती है। तहरीर मिलने पर जरूर केस दर्ज कर लिया जाता। केस दर्ज होने के बाद एफआईआर की प्रति पीडि़त को जरूर दे दी जाती है। इस मामले में कोई औपचारिकता बाकी होगी तो उसे पूरा कराया जाएगा।

बीबी सिंह, एसएचओ, गुलरिहा

Posted By: Inextlive