Gorakhpur News : 'खाकी' का सीतापुर कनेक्शन, आंख से पुलिस को नाप लेते हैं कारीगर
गोरखपुर (ब्यूरो)। तमाम शहरों में पुलिस की वर्दी सिलाई करने वाली दुकानों के नाम सीतापुर से ही शुरू होते हैं। दुकान के बोर्ड पर अगर सीतापुर ना लिखा हो तो शायद उनकी शॉप पर सन्नाटा ही पसरा रहेगा। इसलिए गोरखपुर की वे दुकानें जहां पुलिस के वर्दी की सिलाई होती है, वहां सीतापुर के कारीगर जरूर रखे जाते हैं। आइए जानते हैं यूपी पुलिस को सीतापुर के कारीगर आखिर इतना क्यों पसंद हैं। आंख से नापकर सील देंगे वर्दी
धर्मशाला स्थित न्यू सीतापुर पुलिस वर्दी कलेक्शन नाम से एक दुकान है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम यहां पहुंची। वहां दुकान के ओनर बृजेश कुमार से रिपोर्टर ने पूछा कि आपने अपनी शॉप पर सीतापुर क्यों लिखवाया है। बृजेश ने बताया कि सीतापुर के कारीगर मशहूर हैं। इसलिए लिखवाया है। रिपोर्टर ने पूछा कि कारीगर क्यों मशहूर हैं तो इसपर वह जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने सीतापुर निवासी अपने उस्ताद 65 वर्षीय मो। अनीस से मोबाइल से बात कराई। मो। अनीस से जब वही सवाल दोहराया गया तो उन्होंने तत्काल जवाब दिया कि यहां के कारीगर आंख से नाप लेकर वर्दी सिलने की काबिलियत रखते हैं। सीतापुर में है सबसे पुराना पुलिस ट्रेनिंग सेंटर
65 वर्षीय मो। अनीस ने बताया कि सीतापुर में अंग्रेजों के समय का पुलिस ट्रेनिंग सेंटर और पीएसी शस्त्रागार है। उन्होंने बताया कि जब नई-नई पुलिस की भर्ती होती है, उन्हें ट्रेनिंग के लिए यहां जब भेजा जाता है तो अधिकतर घरों के कारीगर वर्दी सिलने में बिजी हो जाते हैं। हमारे खानदान में पूर्वजों के समय से ही वर्दी की सिलाई की जा रही है। पुरुष हों या महिला पुलिसकर्मी एक बार उन्हें देख लें तो नाप लेने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। उनके फिटिंग की वर्दी हम लोग सिल देते हैं। सीतापुर के कारीगरों की विभिन्न जिलों में डिमांड है। पुलिस को पसंद दबंग और चंद्रमुखी चौटाला लुकमो। अनीस ने बताया कि पुराने समय से काम करने की वजह से सीतापुर के कारीगर वर्दी सिलने में महारथी हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि साल 2010 के पहले पुलिस कर्मी ऐसी वर्दी सिलवाते थे, जो बिल्कुल ढीली ढाली हो। वहीं साल 2010-11 से पुलिस कर्मियों का टेस्ट बदला है। एक तरफ पुरुष पुलिस कर्मी दबंग लुक में वर्दी सिलवाने की डिमांड करते हैं। वहीं वर्तमान समय में महिला पुलिस कर्मी टीवी सीरिलय एफआईआर की एक्ट्रेस चंद्रमुखी चौटाला की तरह वर्दी सिलवाना चाहते हैं। कानपुर से आता है सामान
ऑनर बृजेश कुमार ने बताया कि गोरखपुर में पुलिस की वर्दी और अन्य सामान कानपुर से लाते हैं। सीतापुर से कोई सामान नहीं बल्कि कारीगर बुलाए जाते हैं, जिनकी सैलरी से लगाकर रहने खाने का प्रबंध भी उन्हें ही करना होता है। फैक्ट एंड फिगर गोरखपुर में पुलिस की वर्दी सिलने वाली शॉप- 10-12इतने रुपए में तैयार हो जाती है एक वर्दी- 1600-1700पुलिस बेल्ट- 90 रुपएपुलिस कैप- 100 रुपएयूपीपी बिल्ला- 30 रुपएमेरी ट्रेनिंग मुरादाबाद में हुई थी। उस समय भी सीतापुर की सिलाई बहुत फेमस थी। लेकिन मैंने मुरादाबाद में ही अपनी वर्दी सिलाई थी। वर्दी की जब भी बात आती है तो सीतापुर की बात आती है। लेकिन क्यों आती है, यह कम लोग जानते होंगे। बड़ा ट्रेनिंग सेंटर होने की वजह से वहां के लोग वर्दी सिलने में एक्सपर्ट हो जाते हैं। शिवपूजन यादव, रिटायर्ड सीओ, यूपीपी