स्थान: भीटी रावत चौराहा

विधान सभा: सहजनवां

समय: तीन बजे

GORAKHPUR: गोरखपुर क्षेत्र का सहजनवां एक महत्वपूर्ण विस क्षेत्र है। यहीं गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण है, यानी यह गोरखपुर का औद्योगिक क्षेत्र है। गोरखपुर-लखनऊ फोरलेन पर स्थित सहजनवां के लोग अपने मुद्दों को लेकर स्पष्ट हैं। यहां मुद्दा एक ही है- विकास। लेकिन,

अर्से से यहां की पब्लिक जिस नेता को विधायक बनाती है, उसकी प्रदेश में सरकार नहीं बन पाती। यह महज एक संयोग हो सकता है लेकिन अब सहजनवां वाले इसे दुर्भाग्य मान रहे हैं क्योंकि यहां की पब्लिक का मानना है कि सहजनवां का कंप्लीट डेवलपमेंट तभी होगा, जब यहां से चुने जाने वाले विधायक के दल की ही केन्द्र में भी सरकार बने। इससे भी आगे यहां की पब्लिक चाहती है कि प्रदेश में उसी की सरकार बने, जिसकी केन्द्र में हो ताकि विकास में कोई रुकावट न आए। रविवार को सहजनवां के भीटी रावत चौराहे पर चाय की चुस्की के साथ लोग इसी मुद्दे पर चर्चा में मशगूल थे। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर भी चाय के साथ चर्चा में शामिल हो गया।

रिपोर्टर: सभी नेता डेवलपमेंट का नारा दे रहे हैं लेकिन इस चुनाव में सहजनवां किस पर भरोसा कर रहा है?

आरडी सिंह: भाई साहब, एक बात जान लीजिए, जब तक केंद्र और प्रदेश दोनों जह एक पार्टी की सरकार नहीं बनती, तब तक विकास संभव नहीं होगा। केंद्र सरकार तो अनेक तरह की जन कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, लेकिन प्रदेश में दूसरे दल की सरकार होने के कारण योजनाएं सही तरीके से लागू ही नहीं हो पाती हैं।

छोटेलाल मौर्या (आरडी से सहमत होते हुए): सही कह रहे हैं सिंह साहब। केंद्र सरकार तो विकास के लिए काम कर रहा है, लेकिन उसकी छवि खराब करने के लिए प्रदेश सरकार उन योजनाओं को लागू ही नहीं होने देती है।

शैलेन्द्र यादव (थोड़ा गुस्साते हुए): आप ये कैसी बात कर रहे हैं। यहां के सांसद तो केंद्र सरकार वाली पार्टी से ही हैं, कितना विकास किए हैं? सभी नेता सालों से वही विकास के जुमले सुनाते हैं लेकिन कितना विकास हुआ है, सबके सामने है।

गुड्डू शाही: अरे भाई, मुद्दा विकास का होना चाहिए न कि केंद्र व प्रदेश सरकार का। हम लोग तो यहां से हर पार्टी के नेता को कभी न कभी मौका दिए, लेकिन किसने विकास किया? आज आमी एक तरह से समाप्त हो गई है, लेकिन इस मुद्दे को न तो विधानसभा में उठाया गया और न ही संसद में। इस बार तो किसी नेता के चुनावी मुद्दे में भी आमी नहीं है।

(गुड्ड की बात पर सहमति जताते हुए)

जीतू सिंह: सही है भाई, आमी नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गई है, लेकिन इसे कोई देखने वाला नहीं है। हम लोग सपा, बसपा, भाजपा सबको देख लिए हैं इसलिए इस बार ऐसी सरकार बनाएंगे जो जाति-धर्म से ऊपर उठकर सिर्फ विकास का कार्य करे।

(काफी देर से चुप बैठे सदानन्द शुक्ला से रहा नहीं गया)

सदानन्द शुक्ला: अरे भाई विकास की बात तो सब नेता करते हैं लेकिन विकास करता कौन है? इसलिए हम किस नेता पर विश्वास करें कि वह विकास करेगा?

श्रवण पांडेय: देखिए भाई, आप लोग भले ही किसी सरकार को दोषी मानें विकास न होने के लिए लेकिन यह भी सच है कि सहजनवां का दुर्भाग्य रहा है कि जब भी यहां से किसी पार्टी का नेता चुनाव जीतता है तो वह पार्टी सत्ता से बाहर रहती है। कई बार यहां से निर्दल प्रत्याशी के सिर ही जीत का सेहरा बंध जाता है।

भोला अकेला: अरे भाई साहब, विधायक ने तो काम किया ही है, लेकिन अब प्रदेश सरकार पांच साल परिवार के विवाद में ही उलझी रह गई तो कोई क्या करे। आप ही बताइए, जो अपना परिवार नहीं चला सकता, वह प्रदेश क्या चलाएगा?

(अकेला की बातों पर ऐतराज जताते हुए)

सुग्रीव यादव: किस परिवार में विवाद नहीं होता? मुद्दा परिवार का नहीं, विकास का है। आप लोग देख सकते हैं, जिला पर जाने के लिए टू-लेन से जाते थे, लेकिन अब आपको कालेसर से फोर लेन मिल रहा है।

शैलेन्द्र यादव: लेकिन, इतने से तो संतोष नहीं कर सकते ना? भाई साहब, अब तो उसी को वोट देने की जरूरत है, जो जाति-पाति, धर्म और परिवार से ऊपर उठकर सबके विकास के बारे में सोचे।

(सुग्रीव यादव की बात का जवाब देते हुए)

राधेश्याम: किस विकास की बात करते हैं? पूर्वाचल की शान हुआ करती थी कभी यहां की चीनी मिलें, आज बंद पड़ी हैं। किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। हर पार्टी के लोग सत्ता में आए, लेकिन किसी ने मिलों को शुरू करने का काम नहीं किया।

श्रवण पांडेय (चाय की प्याली मेज पर रखते हुए): इसका हिसाब केंद्र सरकार से लेंगे क्या? चीनी मिलें राज्य सरकार की जिम्मेदारी हैं। कौन सा विकास हुआ प्रदेश में कि चीनी मिलें तक नहीं चलाई गई।

ब्रम्हानंद शुक्ला: भाई साहब इसलिए तो कह रहा हूं, जब केंद्र और प्रदेश में एक ही पार्टी की सरकार होती तो विकास होगा। केंद्र तो पैसा देता है लेकिन प्रदेश सरकार उसे सही तरीके से खर्च नहीं कर पाती। ऐसे में कैसे विकास होगा?

(ब्रह्मानंद की बातों पर सभी सहमत हो जाते हैं और इसी के साथ चर्चा समाप्त होती है.)

टी-प्वाइंट

यह चौराहा तो हमेशा गुलजार रहता है लेकिन चुनाव आते ही रौनक बढ़ जाती है। मेरी दुकान पर तो इन दिनों स्थिति ऐसी है कि दिनभर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां चाय पीते-पीते समीकरण बनते बिगड़ते रहते हैं। लोग सरकार बनाते-बिगाड़ते रहते हैं। कई बार तो लोग यहां पर जमकर हंगामा भी कर देते हैं। अगले दस साल से यहां पर दुकान चला रहा हूं। लोग विकास के नाम पर वोट मांगने आते हैं, लेकिन होता क्या है? कुछ नहीं। वोट तो विकास के नाम पर ही देना है लेकिन देखिए इस बार भी जीतने वाला व्यक्ति विकास करता है या नहीं।

रामबदन, दुकान मालिक

Posted By: Inextlive