यूपी इलेक्शन 2017 : यहां जर्जर है रोड और वे मांग रहे विकास के नाम पर वोट..
GORAKHPUR: गोरखपुर क्षेत्र की नौ विधानसभाओं की चाय दुकानों पर चल रही चुनावी चर्चा आप तक पहुंचाने के लिए निकली आई नेक्स्ट टीम मंगलवार को जा पहुंची पिपराइच। यहां पिपराइच विस क्षेत्र के जीतपुर चौराहे स्थित एक चाय दुकान पर रौनक थी। हाड़ को कंपा देने वाली ठंड के चलते बाजार करने आए लोगों के अलावा राहगीर भी चाय पीने के लिए रुक जा रहे थे। चाय के लिए भीड़ बढ़ती-छंटती रही लेकिन उसमें शामिल कुछ लोग चर्चा को आगे बढ़ाते रहे। भीषण ठंड पर चाय की चुस्की के साथ चर्चा की तपिश भारी पड़ रही थी। ऐसी ही तो जगह चाहिए थी चाय पे चर्चा के लिए। बस, रिपोर्टर भी हो गया शामिल
विधानसभा क्षेत्र पिपराइच स्थान- जीतपुर चौराहा समय- 12 बजे दोपहर रिपोर्टर: बतकही सुनकर तो लग रहा है कि इस बार सेलेक्शन बड़ा सोच-समझकर होने वाला है। लगता है क्षेत्र की सूरत बदलने वाली है।(थोड़ा नाराज होते हुए)
जेडी सिंह: कहां से आए हो भाई? कौन-सी सूरत बदलने वाली है? देखा ना पांच साल? बदल गई सूरत? जो हाल तब था, वही अब है। विधायक कोई बने, यहां की हालत सुधरने वाली नहीं है।आरएस यादव: कैसे कहते हैं कि काम नहीं हुआ है? गली-गली में पिच रोड बन गई है। नाली-खड़ंजा सब बन गया है। अब हर आदमी चाहता है कि उसके घर में जाकर नेता काम कराए तो ऐसा थोडि़ए होता है
(बीच में ही बोल पड़े) इंद्रेश पासवान: किस नजर से देखते हैं आप? कहां काम हुआ है? अपने इलाके में देख लीजिए। हर जगह रोड टूटी पड़ी है लेकिन आप लोग घर से निकलेंगे तब तो जानेंगे। जीतने के बाद कितनी बार लोग आए यहां? यहां आते तब तो देखते कि क्या हालत है। (इंद्रेश का समर्थन करते हुए) गिरजाशंकर शुक्ला: आप की बात बिल्कुल सही है। इस क्षेत्र में ऐसा कोई काम नहीं हुआ जिससे कहा जाए कि विकास हो रहा है। काम हो रहा है तो दिखना भी तो चाहिए। लोग विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं और यहां रोड टूटी पड़ी है। मतलब हद होती है अशफाक अहमद: एकदम सही। विकास तो केवल कहने के लिए है। राजनीति तो केवल कुर्सी के लिए होती है। केन्द्र ने एम्स दिया लेकिन लोकल नेताओं की राजनीति में अपने एरिया में नहीं बन रहा। यहां बनता तो इधर की तकदीर संवर जाती।ध्रुव नारायण मिश्र: अरे भाई, आप भी क्या बात करते हैं। एम्स बन तो गोरखपुर में ही रहा है न? अब हर गांव-गांव में एम्स थोड़े बनेगा?
(ध्रुव नारायण की बातों को काटते हुए) महेंद्र विश्वकर्मा: दूसरे का खाया हुआ आप के पेट में जाएगा क्या? ऐसी बात कर रहे हैं। इस इलाके में गरीबी है। एम्स मिल जाता तो कितने लोगों को रोजगार मिलता। रविंद्र निषाद: हां, लेकिन जब अपने नेता एरिया का विकास चाहते ही नहीं तो वे यहां एम्स लाने के लिए क्यों प्रयास करते? एम्स आ जाता तो क्या कहना था। देखिए जिस एरिया में पीजीआई बना, वहां कितना विकास हो गया। (काफी देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए) प्रमोद कुमार: खूब बोल रहे हैं आप लोग लेकिन वोट देने के समय सारी बुद्धि कहीं और चली जाएगी। अभी तो सबके काम की समीक्षा हो रही है लेकिन जब वोट का दिन आएगा तो किसी और के कहने पर किसी को भी वोट दे देंगे।रामरतन: नेता तो एक दिन में सुधर जाएं लेकिन वैसी पब्लिक भी होनी चाहिए। जितने नेता आते हैं, सब पैसे के बल पर वोट खरीदना चाहते हैं। जब पैसे खर्च करते हैं तो डेवलपमेंट क्यों करें? चाय खत्म हो गई चलिए अपना काम करिए। चार मार्च आएगा तब देखा जाएगा कि कौन कितना विकास के नाम पर वोट देता है।
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टी स्टॉल इस चौराहे पर मेरी दुकान 11 साल से है। छोटा चौराहा है लेकिन आजकल गुलजार है। रोज यहां चुनावी बतकही चलती रहती है। नेता लोग भी यहीं आकर लोगों से वोट मांगकर चले जाते हैं। लोगों को विकास के नाम पर ही वोट करना चाहिए। रामजी, चाय विक्रेता