यूपी इलेक्शन 2017 : नेता वो हो, जिसमें प्रोफेशनलिज्म, ह्यूमनिज्म, लोकलिज्म हो..
गोरखपुर के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में हुई चाय पे चर्चा की बात हमने आप तक पहुंचाई। बुधवार को हमने शहर विधानसभा क्षेत्र के जागरूक मतदाताओं को आई नेक्स्ट ऑफिस में चाय पे चर्चा के लिए आमंत्रित किया। चर्चा में यह बात सामने आई कि क्षेत्र के विकास के लिए पब्लिक का जागरूक होना जरूरी है। वहीं, नेताओं में भी प्रोफेशनलिज्म, ह्यूमनिज्म और लोकलिज्म होना चाहिए। साथ ही हर व्यक्ति को वोट जरूर देना चाहिए। क्योंकि जितनी अधिक वोटिंग होगी, उतनी सशक्त सरकार बनेगी और उतना ही अधिक विकास होगा। यदि कोई भी कैंडिडेट पसंद नहीं तो नोटा लगाएं, लेकिन वोट देने जरूर जाएं।
विधानसभा क्षेत्र: गोरखपुर शहर स्थान : आई नेक्स्ट ऑफिस समय :डॉ। आरसी श्रीवास्तव: यहां की पब्लिक ने सभी कैंडिडेट को देखा है। कौन कितना पढ़ा-लिखा है, किसने विकास किया है, किसने नहीं, कौन आपराधिक छवि का है, अधिकतर लोग जानते हैं। ऐसे में जरूरत है कि सभी वोटर्स को जागरूक करके मेजोरिटी क्रिएट की जाए। ऐस नेता चुना जाए, जो सबको सर्वमान्य हो। जाति, धर्म, की जगह बड़े मुद्दों को मुहिम बनाकर उसी आधार पर वोट देने से ही बदलाव संभव होगा।
सुशील गुप्ता: चुनाव आते ही सारे लोग नेताओं के बारे में तरह-तरह की बातें करने लगते हैं। लेकिन, पब्लिक भी कम दोषी नहीं है। शहर के कितने ही लोगों का व्यवहार, सोच, मानसिकता अभी भी नहीं बदली है। खुद भी जागरूक होना पड़ेगा तभी अच्छा नेता चुन पाएंगे।
(सुशील की बातों का समर्थन करते हुए) धीरेंद्र धर द्विवेदी: शहर के हालात कैसे बदलेंगे? जब कोई जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी निभाना ही नहीं चाहता। समस्याएं पहले भी थीं और आज भी हैं। देखिएगा ऐसे ही कल भी बनी रहेंगी। इस हालात को बदलने के लिए जनता को ही कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। राहुल शुक्ला: विकास का काम कैसे हो पाएगा? नेताओं के भीतर प्रोफेशनलिच्म नहीं है। जब तक नेताओं में प्रोफेशनलिच्म नहीं आएगा तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता। (राहुल की बात काटते हुए) डॉ। आरसी श्रीवास्तव: राहुलजी, नेताओं में प्रोफेशनलिच्म तो है, लेकिन उनके भीतर ह्यूमनिज्म, लोकलिज्म नहीं रह गया है। इस वजह से नेता पब्लिक की आम समस्याओं को समझ ही नहीं पा रहे हैं।राहुल शुक्ला: सहीं कहते हैं। पहले नेता लोगों के बीच से आते थे। अब नेता लोगों के बीच में जा रहे हैं। हवा-हवाई किसी को भी कहीं भी चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया जा रहा है। कोई पार्टी के नाम पर तो कोई प्रत्याशी के नाम पर चुनाव लड़ रहा है। ऐसे प्रत्याशियों को लेकर पब्लिक भी कन्फ्यूज रहती है।
(राहुल की बात का जवाब देते हुए) आरसी श्रीवास्तव: माना कि प्रत्याशी बाहर से आते हैं, लेकिन जनता हर प्रत्याशी के बारे में जानती है। नेता की प्रोफाइल तो पता होता है लेकिन उसका व्यक्तित्व, आचार-विचार की जानकारी नहीं हो पाती। वहीं चुने जाने के बाद हर नेता बदल जाता है। (आरसी श्रीवास्तव का खंडन करते हुए) आतिश तिवारी: आम जनता किसी का ट्रैक रिकॉर्ड कैसे जान पाएगी। हर आदमी किसी नेता के बारे में कितनी जानकारी ले पाएगा। इसका समाधान यही है कि ऐसे प्रत्याशी को वोट दें जो बेसिक चीजों को समझता हो। उसे हर तरह की जानकारी हो। जेपी गुप्ता: राजनीतिक पार्टियां बाहरी लोगों को ला रही हैं। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भेजकर उनको चुनाव लड़ाया जाता है। हमारा नेता जो भी हो। वह एक अभिभावक के रूप में होना चाहिए। आतिश तिवारी: मुझे लगता है कि हर किसी को जाति और धर्म से ऊपर उठना होगा। ज्यादातर नेता और पार्टियां इन्हीं मुद्दों को लेकर चुनाव जीत जा रही हैं। पूरा चुनाव धर्म और जाति आधारित हो जा रहा है। केवल विकास को मुद्दा बनाकर वोटिंग हो तो बदलाव आएगा।आलोक सिंह: धर्म और जाति से ऊपर उठने की जरूरत है। हर जगह से रिलीजन का कॉलम हटा देना चाहिए। इससे सिर्फ नेशनललिज्म की बात होगी। हर कोई सिर्फ राष्ट्रीयता के बारे में सोचेगा।
आरसी श्रीवास्तव: ये तभी संभव हो सकेगा जब हम लोगों को जागरूक करेंगे। पब्लिक के बीच जाकर उनको यह बताने की जरूरत है कि कौन सा कैंडिडेट कितना उपयुक्त है। हेमेंद्र सिंह: हमारा कैंडिडेट कैसा होना चाहिए, इसका आंकलन करना बहुत जरूरी है। अगर कोई ठीक नहीं है तो उसे रिजेक्ट करने की जरूरत है। आरपीएन सिंह: अक्सर नेता चुनाव के बाद मुद्दे भूल जाते हैं। फिर पांच साल तक इंतजार करना पड़ता है। पहले से यह देख लिया जाए कि कौन सा प्रत्याशी वाकई विकास कर सकता है। कौन प्रत्याशी जनता के बीच में रह सकता है। उसे ही सबका समर्थन मिलना चाहिए। कृष्ण कुमार मिश्रा: इसका सिर्फ एक ही विकल्प है कि अपने मताधिकार का भरपूर प्रयोग किया जाए। इस रेसियो को बढ़ाया जाए तो फर्क हर जगह नजर आएगा। इसके अलावा कोई उपाय नहीं है।आलोक सिंह : ऐसा होना चाहिए कि नेता अपनी जनता की सेवा करें। जिसकी छवि साफ और जो विकास करता हो। जिसका ट्रैक रिकार्ड अच्छा हो, उसे ही वोट देने की जरूरत है। तभी परिवर्तन आ पाएगा।