यहां सुरक्षा की बात बेमानी है
- स्कूल, कालेज, कोचिंग सेंटर्स नहीं सेफ
- लड़कियों की आवाजाही फिर भी नहीं सिक्योरिटी GORAKHPUR: सिटी में स्कूल, कालेज और कोचिंग सेंटर्स के आसपास पुलिस की सुरक्षा नहीं रहती। सुबह, दोपहर और शाम लड़कियां खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। स्कूल आने का समय हो या घर जाने का समय। कालेज गेट से बाहर निकलने के बाद शोहदों का खतरा मंडराने लगता है। फब्तियां कसना, इशारे करना, अश्लील बातें करना सामान्य बात हो चुकी है। शोहदों की घूरती निगाहों को नजरअंदाज करके लड़कियां आगे बढ़ जाती हैं। थर्सडे को आई नेक्स्ट ने सुरक्षा के लिहाज से जब पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई। स्कूल, कालेज और कोचिंग सेंटर्स के आसपास किसी तरह की पुलिस सुरक्षा नहीं रहती। स्पॉट एक: यूनिवर्सिटी मेन गेट दोपहर एक बजेयूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लड़कियों की तादाद अधिक है। गेट से निकलकर लड़कियां छात्रसंघ चौराहा, यूनिवर्सिटी चौराहा, आरटीओ रोड, हरिओम नगर तक पैदल आती जाती हैं। करीब दो किलोमीटर के दायरे में छात्राओं की भीड़ लगी रहती है। सड़क पर इधर उधर खड़े रहने वाले लोगों की वजह से लड़कियों को काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। इस रूट पर भी पुलिस की गश्त नहीं होती।
स्पॉट दो : अंबेडकर चौराहा, सेंट एंड्रयूज डिग्री कालेजदोपहर डेढ़ बजे
सेंट एंड्रयूज कालेज के स्टूडेंट्स का यूनिफार्म निर्धारित होने से छात्रों की पहचान आसान हो गई है। स्कूल के गेट पर अक्सर बाहरी युवकों का जमावड़ा लगा रहता है। वे आसानी से पहचान में भी आ जाते हैं। आसपास की दुकानों पर भी दिन में युवकों की भीड़ नजर आती है। ये लोग कालेज से निकलने वाली लड़कियों को घूरते रहते हैं। अंबेडकर चौराहा से लेकर शास्त्री चौराहे तक कालेज की लड़कियों का मूवमेंट बना रहता है। इस रास्ते से पुलिस दिन भर आती जाती रहती है, लेकिन लड़कियों की सुरक्षा के लिए विशेष तौर पर कोई गश्त नहीं होती। स्पॉट : तीन दिग्विजयनाथ डिग्री कालेज तिराहा समय दोपहर दो बजेइंदिरा बाल बिहार तिराहा, एचपी स्कूल तिराहा और हरिओम नगर तिराहा से सड़क आती है। यहां तीनों तरफ से लड़कियों, महिलाओं का आवागमन होता है। स्कूल, कालेज और कोचिंग सेंटर्स आने जाने का मुख्य रास्ता है। लेकिन इस रास्ते पर पुलिस की गश्त नजर नहीं आती। सुबह, दोपहर और शाम सड़क पर आवाजाही के दौरान राह चलते लड़कियों पर कमेंट्स किए जाते हैं। कुछ स्टूडेंट्स तो कुछ बाहरी लोग गलत बातें करते रहते हैं। इसलिए यहां पर पुलिस की गश्त बेहद जरूरी है। हरिओम नगर में एक कोचिंग सेंटर की स्टूडेंट से छेड़छाड़ के बाद पिछले साल बवाल हुआ था। तब प्रशासन ने कोचिंग सेंटर्स के संचालन का समय बदलने का फैसला ले लिया। बाद में पब्लिक के विरोध पर इस फैसले को वापस लेना पड़ा।
स्पॉट : चार कार्मल इंटर कालेज रोड समय दोपहर ढाई बजे कार्मल रोड पर तीन स्कूल-कालेज हैं। यहां पांच हजार से अधिक लड़कियां पढ़ती हैं। स्कूल आने का समय हो या छुट्टी का, हर वक्त भीड़भाड़ रहती है, लेकिन यहां पर सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होती। एक तरफ प्राइवेट व्हीकल वालों का रेला लगा रहता है तो दूसरी ओर आटो-टैक्सी वाले भीड़ जमाए रहते हैं। यहां लड़कियों को रोजाना कई तरह की बातें सुननी पड़ती हैं। मामला बढ़ने पर शिकायतें भी करती हैं। एक साल पहले छेड़छाड़ के मामले को लेकर लड़कियों ने आंदोलन चलाया तो अफसर जागे। कुछ दिनों तक सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। कुछ दिनों के बाद अपाची दस्ता अब हॉक ने भी जाना बंद कर दिया। बंद हो गई महिला कांस्टेबल की गश्तख्0क्0 में शोहदों पर लगाम कसने के लिए तत्कालीन डीआईजी असीम अरुण ने नई व्यवस्था बनाई। उन्होंने स्कूल, कालेज, कोचिंग सेंटर्स और मार्केट में महिला कांस्टेबल की गश्त लगाई। स्कूटी सवार दो महिला कांस्टेबल लगातार गश्त करती रहती थी। किसी तरह की हरकत पाए जाने पर वह कार्रवाई करती थीं। लेकिन उनके ट्रांसफर होने के बाद महिला कांस्टेबल की गश्त बंद हो गई। कभी कभार महिला थाना प्रभारी अचानक जांच पड़ताल करती हैं। परमानेंट व्यवस्था न होने से शोहदे बेलगाम होते जा रहे हैं।