सिटी में चलने वाले ऑटो पर यूनिक आईडी कोड लगाने की रफ्तार सुस्त पड़ गई हैं. एडीजी के निर्देश पर आईडी कोड लगाया जाना था. इसके लिए आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदारी दी गई.


गोरखपुर (ब्यूरो)। विभाग सिर्फ तीन दिन तक एक्टिव रही। इस दौरान करीब 450 ऑटो संचालकों को यूनिक आईडी कोड जारी किया गया जबकि सिटी में 2300 ऑटो और चार हजार ई-रिक्शा का संचालन होता है। एडीजी के फरमान पर अफसर लगा रहे पलीता


9 अगस्त को सिटी की ट्रैफिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए एडीजी गोरखपुर जोन अखिल कुमार की अध्यक्षता बैठक हुई थी। बैठक में एडीजी ने ऑटो ड्राइवर्स व ई-रिक्शा ड्राइवर्स का कोई डेटा बेस नहीं होने के कारण घटनाएं होने की स्थिति में जांच करने में समस्या होती थी, इसलिए उन्होंने आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस को यूनिक आईडी कोड अंकित करने के निर्देश दिए थे। 16 अगस्त से अभियान चलाकर ऑटो पर आईडी कोड अंकित कराना था। इसके लिए सिर्फ दो दिन रेलवे स्टेशन गेट संख्या पांच के पास अभियान चला। तीसरे दिन मेयर और आरटीओ के अफसरों ने ऑटो व ई-रिक्शा संचालकों को प्रेरित भी किया, लेकिन इसके बाद अभियान सुस्त पड़ गया है। अब सड़क पर अफसर दिखाई भी नहीं देते।

अभियान के तहत 450 ऑटो पर यूनिक आईडी कोड अंकित किए जा चुके हैँ। सोमवार को ऑटो एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई गई है। इसके बाद अभियान को और तेज किया जाएगा। यदि 30 अगस्त तक आईडी कोड अंकित नहीं कराते हैं तो मोटरयान अधिनियम 1988 के सुसंगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। - संजय कुमार झा, आरटीओ प्रवर्तन

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