Gorakhpur University News : काउंसिलिंग के बुनियादी सिद्धांत और महत्व से रूबरू हुए स्टूडेंट्स, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट में शुरू हुई वर्कशॉप
गोरखपुर (ब्यूरो)।इसमें रोल-प्ले, केस स्टडीज और ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से काउंसिलिंग स्किल को प्रैक्टिकल में अप्लाई करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। साथ ही काउंसिलिंग के क्षेत्र में आने वाली विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान के बारे में जानकारी दी गई।भविष्य पर पड़ रहा प्रभाव
वर्कशॉप को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता साइयूनी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज, लखनऊ के निदेशक डॉ। आशुतोष श्रीवास्तव ने स्टूडेंट्स को काउंसिलिंग के सही तरीके व विभिन्न प्रकार के काउंसिलिंग सलाह देने की कला के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि काउंसलिंग की जरूरत न सिर्फ परेशानी में बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करने के दौरान भी पड़ती है। डॉ। श्रीवास्तव ने बताया कि पहले की अपेक्षा विकल्प बढऩे से लोगों में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसी स्थिति में उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है साथ ही इसका प्रतिकूल प्रभाव उनके भविष्य पर भी पड़ रहा है। वर्कशॉप के मेन प्वॉइंट्स - परामर्श का परिचय एवं उसका महत्व।- परामर्श के बुनियादी सिद्धांत और नैतिकता।- सक्रिय श्रवण और सहानुभूति।- परामर्श में मौखिक और गैर-मौखिक संचार।- क्लाइंट के साथ संबंध और विश्वास बनाना।- परामर्श में भावनाओं को समझना और प्रबंधित करना।
- प्रतिरोध और जटिल समस्याओं वाले क्लाइंट को ठीक करने की तकनीक।- भूमिका निभाना और व्यावहारिक अभ्यास।- समस्या-समाधान में अर्जित ज्ञान को लागू करने के लिए केस स्टडी।मदद लेने में न करें संकोचडीएसडब्ल्यू और एचओडी प्रो। अनुभूति दुबे ने कहा कि पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग एक प्रोफेशनल कोर्स है जिसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो। रजनीकांत पांडेय ने दैनिक जीवन में परामर्श का महत्व बताते हुए यह कहा कि हर कोई जो अपनी समस्याओं से खुद निपटने में सक्षम नहीं है, उसे विशेषज्ञ की मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। मानसिक रोग की पहचान करने के साथ लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। डीन आट्र्स प्रो। कीर्ति पांडेय ने बताया कि परामर्श की प्रभावशीलता परामर्शदाता के प्रशिक्षण कौशलों पर निर्भर करता है। एक परामर्शदाता के लिए क्लाइंट के परिवेश एवं पूर्व जीवन का पूर्ण ज्ञान होने के साथ विनम्र आचरण होना जरूरी है। इस दौरान प्रो। सुष्मा पांडेय, प्रो। धनंजय कुमार, डॉ। विस्मिता पालीवाल समेत सभी टीचर्स और स्टूडेंट्स मौजूद रहे।