पंडाल में गूंज रही 'परंपराओं की धुन'
- त्योहार में डीजे बंद हो जाने से दुर्गा पूजा में बढ़ी नगाड़े की डिमांड
- प्रतिमाओं की अपेक्षा सिटी में काफी कम है नगाड़ों की संख्या - इसकी वजह से मनमाना रेट वसूल रहे हैं कारोबारीGORAKHPUR: दुर्गा पूजा पंडालों में 'परंपरा की धुन' गूंज रही है। प्रशासन के दुर्गा पूजा और मोहर्रम में डीजे पर बजाने पर पाबंदी के बाद ढोल और नगाड़ों की डिमांड बढ़ गई है। इस फैसले से डीजे कारोबारियों को भले ही भारी नुकसान उठाना पड़ा हो, लेकिन गाहे-बगाहे डिमांड में रहने वाले ढोल-नगाड़े हाथों-हाथ बुक हो जा रहे हैं। हालत यह है कि इनकी वेटिंग लिस्ट काफी लंबी हो चुकी है। इनकी इतनी डिमांड है कि कई पंडाल वालों को देसी ढोल खरीदकर काम चलाना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस बार त्योहार में डीजे पर नगाड़ा भारी पड़ रहा है। दशहरा और मोहर्रम के लिए जहां लाखों रुपए का न्यू सेटअप खरीद कर डीजे कारोबारी फंस गए हैं।
बढ़ गए नगाड़ों के नखरेसिटी में स्थापित होने वाली दुर्गा प्रतिमाओं की तुलना में नगाड़ों की संख्या काफी कम है। इससे ढोल-नगाड़े की डिमांड बढ़ जाने से सिटी में स्थापित होने वाली दुर्गा प्रतिमाओं के पंडाल और विजर्सन के लिए नगाड़ा भी नहीं मिल रहा है। नगाड़े की भारी शार्टेज होने से कई समितियों के लोग अन्य शहरों से नगाड़ा मंगाने में जुट गए हैं, वहीं डिमांड बढ़ने से नगाड़े वालों के नखरे भी बढ़ गए हैं। दशहरा में नगाड़ों की भारी डिमांड के मद्देनजर इनके रेट आसमान छूने लगे हैं। पहले विजर्सन के लिए जो नगाड़ा एक हजार रुपए से पंद्रह सौ रुपए तक मिलता था। इस बार इसका रेट बढ़कर सीधा दस हजार रुपए पहुंच गया है। इतना ही नहीं दुर्गा पूजा समितियों को दस हजार देने के बाद भी नगाड़ा नहीं मिल पा रहा है।
सीजन में मिला झटका त्योहार में डीजे बंद हो जाने से डीजे कारोबारियों को पीक सीजन में बड़ा झटका लगा है। डीजे कारोबारियों के मुताबिक गणेश पूजा के साथ ही दशहरा, दीपावली इस कारोबार के लिए पीक सीजन होता है। ऐसे में यह कारोबारी महीनों पहले ही अपने सेटअप को और अपटेड कर चुके हैं, लेकिन इस बार डीजे पर पाबंदी लग जाने से इन कारोबारियों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।एक तो इस बार डीजे बंद हो गया। उसपर से नगाड़ा नहीं मिल रहा है। इससे हम लोगों के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। कहीं नगाड़ा पता भी चल रहा है कि खाली है तो वह मनमाना रेट मांग रहे हैं। अब नगाड़े का दस हजार रुपए देना कहीं से वाजिब नहीं है।
पुष्पेश चंद्र श्रीवास्तव, दुर्गा पूजा आयोजक ऐसे तो डीजे बंद होने जाना ठीक ही है, लेकिन डीजे की जगह कोई ऑपशन तो मिलना चाहिए। सिटी में कहीं भी नगाड़ा खाली नहीं है। दूसरे आसपास के शहरों में भी हम लोग ट्राई कर रहे हैं, अगर वहां से मिल गया तो वहां से लाकर विर्सजन करेंगे। विकास त्रिपाठी, दुर्गा पूजा आयोजक इस बार दुर्गा पूजा में नगाड़ों की काफी डिमांड बढ़ी है। हमारे पास जितने नगाड़े थे, सभी किराए पर जा चुके हैं। लोग लेने के लिए आ रहे हैं, तो उन्हें दूसरी जगह भेजना पड़ रहा है। - गुड्डू, भंगड़ा ढोल शॉप ओनर